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राहुल गांधी का भविष्य: राहु की दशा लाएगी सत्ता या मुसीबत?

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इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, राहुल गांधी का जन्म 18 जून 1970 को सुबह 8 बजकर 52 मिनट पर दिल्ली में हुआ था। उनकी कुंडली के अनुसार, वे वृश्चिक राशि और मकर लग्न के जातक हैं। उनकी कुंडली में दूसरे भाव में राहु, चौथे में शनि, पांचवें में बुध, छठे में सूर्य और मंगल, सातवें में शुक्र, आठवें में केतु, दसवें में गुरु और ग्यारहवें में चंद्र मौजूद हैं। यह कुंडली उनके जीवन और राजनीतिक करियर के कई पहलुओं को दर्शाती है, जो आने वाले समय में उनके लिए बड़े बदलाव ला सकती है।

राहु की दशा: उग्रता और सफलता का मेल

वर्तमान में राहुल गांधी की कुंडली के अनुसार मंगल में राहु की दशा चल रही है, जो 23 नवंबर 2025 तक रहेगी। मंगल और राहु का यह संयोग उन्हें साहसी और जोशीला बनाता है। यह दशा उनके सामने राजनीतिक चुनौतियां ला सकती है, लेकिन कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि यही दशा उन्हें अचानक सफलता और नई पहचान भी दे सकती है। वहीं, लाल किताब के अनुसार गुरु की दशा में सूर्य की अंतर्दशा 18 जून 2026 तक चलेगी। यह समय राहुल गांधी के लिए सुनहरा हो सकता है। इस दौरान वे अपनी पार्टी को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे और सत्ता पक्ष के लिए मुश्किलें खड़ी करेंगे।

आने वाला समय: लोकप्रियता और धोखे का खतरा

आने वाले समय में राहुल गांधी सत्ता पक्ष के सामने कड़ी चुनौती पेश करेंगे। उनकी लोकप्रियता चरम पर होगी और जनसमर्थन में भी इजाफा होगा। लेकिन कुंडली में कुछ संकेत बताते हैं कि पार्टी के भीतर से उन्हें धोखा मिल सकता है। मंगल की दशा उन्हें हर क्षेत्र में जीत दिलाने की ताकत देती है, बशर्ते वे दूसरे भाव के मंगल का ज्योतिषीय उपाय करें। अगर वे सही कदम उठाते हैं, तो उनकी स्थिति और मजबूत होगी।

2025-2026 का वर्षफल: क्या कहता है भविष्य?

2025 का वर्षफल देखें तो राहुल गांधी की लोकप्रियता का ग्राफ बढ़ेगा, लेकिन छठे भाव में मुंथा होने के कारण उनके विरोधी, चाहे पार्टी के भीतर हों या बाहर, सक्रिय रहेंगे। गलत सलाहकारों के कारण वे मुश्किल में पड़ सकते हैं। वहीं, 2026 का वर्षफल कुछ अलग कहानी कहता है। इस साल मुंथा चौथे भाव में होगी, जो पारिवारिक परेशानियों और पद खोने की आशंका को दर्शाती है। इन चुनौतियों के बावजूद, उनकी मेहनत और रणनीति उन्हें आगे ले जा सकती है।

कुंडली का गहरा विश्लेषण

राहुल गांधी की मकर लग्न की कुंडली में शनि एक महत्वपूर्ण ग्रह है, क्योंकि यह लग्नेश है और सत्ता का कारक भी। उनकी वृश्चिक राशि के अधिपति मंगल हैं। कुंडली में शनि केंद्र में नीच राशि में है, जिसके कारण उन्हें जीवन में कठिन मेहनत और संघर्ष के बाद ही सफलता मिलेगी। शनि की उच्च दृष्टि कर्मक्षेत्र पर है, जो शुभ संकेत है। लेकिन कर्मक्षेत्र का कारक शुक्र शत्रुक्षेत्र में है, जिसके कारण सत्ता प्राप्ति में देरी और बाधाएं आ सकती हैं।

सप्तम भाव में अकेला शुक्र और नीच राशिगत सप्तमेश होने से उन्हें दांपत्य सुख में कमी रह सकती है। दूसरी ओर, दूसरे भाव में राहु उनकी वाणी को प्रभावित करता है और पारिवारिक सुख में बाधा डालता है। छठे भाव में मंगल होने के कारण उनकी लोकप्रियता तो बढ़ेगी, लेकिन उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिशें भी होंगी। सप्तमेश के नीच राशिगत होने से गठबंधन और साझेदारी में लाभ की उम्मीद कम है। इसलिए राहुल गांधी को अपने दम पर ही रास्ता बनाना होगा।

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