जयपुर, 23 मई . राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश में बिना उपकरण मैन्युअल तरीके से सीवरेज चैंबर की सफाई के चलते आए दिन सफाई कर्मचारियों की मौत के मामले में स्वायत्त शासन सचिव, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता सचिव और राजस्थान सफाई कर्मचारी आयोग से जवाब तलब किया है. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह और जस्टिस आनंद शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश स्नेहांश फाउंडेशन की ओर से दायर जनहित याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए. दूसरी ओर बीकानेर की वूलन मिल में सेप्टिक टैंक की सफाई करने उतरे तीन सफाई कर्मचारियों की मौत के मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग ने भी स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लेते हुए स्थानीय कलेक्टर, एसपी और मिल प्रबंधक से जवाब मांगा है.
जनहित याचिका में अधिवक्ता पलक श्रीवास्तव ने अदालत को बताया कि प्रदेश में अधिकांश स्थानों पर सफाई कर्मचारी बिना उपकरण सीवरेज लाइन में उतर कर सफाई करते हैं. जिसके चलते कई बार इन सफाई कर्मचारियों की जहरीली गैस से मौत तक हो जाती है. हाल ही में सीकर के फतेहपुर और पाली सहित अन्य जगहों पर सफाई के दौरान कर्मचारियों की मौत हो गई. याचिका में कहा गया कि 31 जुलाई 2024 की केन्द्र सरकार की रिपोर्ट के अनुसार बीते पांच साल में 377 सफाई कर्मचारियों की मौत हो चुकी है. वहीं सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के आंकड़ों के अनुसार साल 2014 से 2019 तक 33 सफाई कर्मचारियों की सफाई के दौरान मौत हो चुकी है. इसके अलावा साल 2019 के बाद भी कई सफाई कर्मचारी इस दौरान अपना जीवन खो चुके हैं. इसके बावजूद भी राज्य सरकार की ओर से सीवर लाइनों की ऑटोमेटिक मशीन से सफाई नहीं की जा रही है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकार ने साल 2020 में प्रदेश के बडे जिलों में सफाई उपकरण खरीदने के लिए 176 करोड रुपए स्वीकृत किए, लेकिन दौसा, भरतपुर और सीकर जिलों के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया. याचिका में गुहार की गई है कि सफाई के दौरान सुरक्षा मापदंडों को अपनाया जाना सुनिश्चित किया जाए. इसके अलावा मामले में एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया जाए तो नियमित तौर पर अदालत में अपनी रिपोर्ट पेश करे. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.
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