कोलकाता, 28 मई .
उत्तर 24 परगना के स्वरूपनगर के रहने वाले 11 वर्षीय अंकन विश्वास की जान उस वक्त खतरे में पड़ गई, जब उसके फेफड़े में एक बोर्डपिन फंस गया. असहनीय सीने के दर्द और लगातार खांसी की शिकायत के बाद परिजन उसे इलाज के लिए पहले स्थानीय डॉक्टर और फिर अस्पताल लेकर पहुंचे. जांच में जो सामने आया, उसने डॉक्टरों को भी चौंका दिया.
बच्चे के फेफड़े के बाएं हिस्से में एक धातु का बोर्डपिन फंसा हुआ था, जिससे उसका फेफड़ा सिकुड़ गया था और सांस लेने में गंभीर दिक्कत हो रही थी. आखिरकार कोलकाता मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग की टीम ने दो घंटे लंबी जटिल सर्जरी कर उसकी जान बचाई.
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सीटी स्कैन में सामने आया चौंकाने वाला दृश्य
बच्चे के माता-पिता, गौतम विश्वास और साधना देवी ने बुधवार को बताया कि अंकन को बीते तीन-चार दिनों से बाईं छाती में तेज दर्द, सूखी खांसी और हल्का सांस फूलने की शिकायत थी. पहले स्थानीय डॉक्टर से इलाज कराया गया, लेकिन आराम नहीं मिला. इसके बाद उसे बसिरहाट सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां एक्स-रे में डॉक्टरों को उसके फेफड़े में पिन जैसी कोई चीज दिखाई दी.
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अंकन को कोलकाता मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया. सोमवार तड़के साढ़े तीन बजे उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था. ईएनटी विभाग के सह-प्राध्यापक डॉ. दीप्तांशु मुखोपाध्याय ने बताया, जब बच्चा हमारे पास लाया गया, तब उसकी हालत बेहद नाजुक थी. उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी और लगातार खांसी आ रही थी. सीटी स्कैन में पता चला कि उसके बाएं फेफड़े की नली में एक धातु का पिन फंसा है.
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रिजिड ब्रॉन्कोस्कोपी से निकाली गई पिन, जटिल ऑपरेशन में मिली सफलता
चिकित्सकों के मुताबिक, पिन कई दिनों से फंसी होने के कारण फेफड़ा सामान्य रूप से फैल नहीं पा रहा था और सिकुड़ चुका था. बिना देर किए ऑपरेशन का फैसला लिया गया. सर्जरी टीम में डॉ. दीप्तांशु मुखोपाध्याय के अलावा सहायक प्राध्यापक डॉ. बिजन अधिकारी, डॉ. तनया पांजा और पीजीटी डॉ. शुभ्रज्योति नस्कर शामिल थे.
ब्रॉन्कोस्कोपी तकनीक से करीब 2.5 सेमी लंबी वह पिन निकाली गई, जो बेहद संवेदनशील स्थान पर फंसी हुई थी. डॉ. शुभ्रज्योति नस्कर ने बताया कि पिन निकालने के दौरान फेफड़े में हल्की चोट भी लगी, लेकिन मंगलवार देर शाम को ऑपरेशन के बाद अब बच्चे को पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट में रखा गया है और उसकी स्थिति स्थिर है.
अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि इतनी खतरनाक स्थिति कैसे बनी. अंकन के माता-पिता ने भी इस बारे में अनभिज्ञता जताई है. उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता कि पिन उसके शरीर में कब और कैसे गया.
/ ओम पराशर
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