नई दिल्ली, 29 अप्रैल . दिल्ली सरकार राजधानी के निजी एवं सरकारी स्कूलों में फीस को विनियमित करने के लिए विधेयक लाएगी. दिल्ली मंत्रिमंडल ने आज इसे मंजूरी प्रदान की.
दिल्ली सचिवालय में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने पत्रकार वार्ता में आज इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि दिल्ली कैबिनेट ने निजी एवं सरकारी स्कूलों में फीस को विनियमित करने के लिए नए विधेयक को मंजूरी दी है. इसमें दिल्ली के सभी 1677 स्कूलों के लिए (निजी एवं सरकारी स्कूलों की) फीस को लेकर पूरा दिशानिर्देश और प्रक्रिया तय की जाएगी.
उन्होंने कहा कि दिल्ली में पिछली सरकारों ने कभी भी ऐसा कोई प्रावधान नहीं किया कि दिल्ली में फीस न बढ़े. 1973 के दिल्ली स्कूल एक्ट में फीस को लेकर एक सेक्शन 17(3) है. इसमें ऐसी कोई गाइड लाइन नहीं थी कि प्राइवेट स्कूलों की फीस न बढ़े और जिसके लिए सरकार के पास क्या ताकत है और क्या प्रक्रिया अपनायी जानी चाहिए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि 1973 से लेकर आज तक इस पर कोई प्रावधान नहीं हुआ कि स्कूलों में फीस बढ़ने से कैसे रोक जाए लेकिन आज दिल्ली सरकार ने एक ऐतिहासिक और साहसिक फैसला लिया है. आज हमने कैबिनेट में मसौदा विधेयक पास किया है, जिसमें सभी निजी स्कूलों में फीस को लेकर दिशानिर्देश तय जाएगा.
मनमाने ढंग से फीस वृद्धि की शिकायतों पर सख्ती की जानकारी देते हुए रेखा गुप्ता ने कहा कि स्कूलों को नोटिस जारी किए गए हैं. उनकी सरकार पारदर्शिता और बच्चों के शिक्षा के अधिकार की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. स्कूल प्रशासन द्वारा की जा रही गतिविधियों के कारण बच्चों और उनके अभिभावकों परेशान थे, जिसके लिए यह कदम उठाया गया है.
गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार की ओर से तैयार प्रारूप में अभिभावकों, स्कूल और प्रबंधन के साथ सरकार की भी भूमिका रहेगी. साथ ही दिल्ली सरकार द्वारा फीस वृद्धि की जानकारी के लिए डीएम को स्कूलों में हो रहे कार्यो का जायजा लेने के लिए भेजा जा रहा था.
स्कूल फीस वृद्धि के मामले पर शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने आज कैबिनेट में कहा कि फीस बढ़ाने या ना बढ़ाने के संदर्भ में एक कानून सम्मत निर्णय लेकर एक विधेयक बनाया गया है. इसमें सरकार को ताकत दी गई है कि वो कार्य कर सके, फीस वृद्धि रोक सके और अगर कोई स्कूल ना माने तो उस पर दंडात्मक कार्रवाई कर सके. इसी बिल के आधार पर फीस बढ़ाने या घटाने का काम किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि इस बिल को जल्द ही विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा और पारित किया जाएगा. अभिभावक, शिक्षक और प्रबंधन मिलकर फीस वृद्धि के प्रारूप पर कार्य करेंगे. उन्होंने कहा कि 18 प्रावधानों में जांचते हुए इस पर कार्य किया जाएगा. तीन साल में एक बार ही फीस को बढ़ाने का कानून बनाया गया है.
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/ माधवी त्रिपाठी
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