जयपुर, 22 मई . महिला उत्पीड़न मामलों की विशेष अदालत ने दहेज प्रताड़ना से तंग आकर विवाह के तीन माह बाद ही विवाहिता के आत्महत्या करने के मामले में उसके पति विकास शर्मा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने अभियुक्त पर पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. पीठासीन अधिकारी आशुतोष कुमावत ने अपने आदेश में कहा कि एक लडकी के लिए उसका विवाह जीवन का एक महत्वपूर्ण पल होता है. जहां वह अपने पिता के संरक्षण से दूर सुंदर भविष्य का सपना देखते हुए अपने पति के साथ विदा होती है. उस समय लडकी के मन में यह विश्वास होता है कि उसका पति उसके पिता की तरह आगामी जीवन में उसका संरक्षण करेगा. विवाह के बाद प्रारंभिक वर्ष में दंपत्ति इन सुखद सपनों के साथ भविष्य की नींव तैयार करते हैं, लेकिन इस मामले में अभियुक्त का कृत्य अपनी पत्नी के प्रति ऐसा रहा कि उसके पास विवाह के तीन माह बाद ही आत्महत्या करने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहा. ऐसे में अभियुक्त को कठोरतम दंड से दंडित करना उचित है.
अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक नरेश गजराज ने अदालत को बताया कि अभियुक्त विकास की 12 जून, 2017 को किरण के साथ सामूहिक विवाह सम्मेलन में शादी हुई थी. शादी के कुछ दिनों बाद से ही अभियुक्त मोटर साइकिल, सोने की चैन और दो लाख रुपये की मांग कर किरण के साथ मारपीट करना शुरू कर दिया. वहीं किरण के भाई मुकेश कुमार ने भी अपने बयानों में अदालत को जानकारी दी कि किरण के आत्महत्या करने से करीब बीस दिन पहले उसकी किरण के साथ फोन पर बात हुई थी. इस दौरान किरण ने उसे बताया था कि उसका पति और ससुराल के अन्य लोग दहेज के लिए उसके साथ मारपीट करते हैं. इसके चलते 22 सितंबर को किरण ने फंदा लगाकर जीवन लीला समाप्त कर ली. घटना को लेकर किरण के परिजनों ने 25 सितंबर को करणी विहार थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई.
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