– रीजनल ट्रेडिंग में डॉलर का विकल्प बनेगा रुपया
New Delhi, 02 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . डॉलर की तुलना में रुपये की लगातार बढ़ रही कमजोरी के सिलसिले पर रोक लगाने, रुपये की स्थिति में सुधार लाने, रिजनल ट्रेडिंग में डॉलर पर निर्भरता कम करने और वैश्विक बाजार में डॉलर की जगह रुपये की स्थिति मजबूत करने के लिए अब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्टिव हो गया है. डॉलर के साथ ही दुनिया की दूसरी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं की तुलना में रुपये की पकड़ को मजबूत बनाने के लिए रिजर्व बैंक एक साथ तीन उपायों पर काम शुरू करने जा रहा है. इन उपायों का उद्देश्य रीजनल ट्रेडिंग में डॉलर की निर्भरता को न्यूनतम करना (इनडायरेक्ट डीडॉलराइजेशन) और भुगतान माध्यम के रूप में रुपये को एक विश्वसनीय विकल्प के रूप में स्थापित करना है.
रिजर्व बैंक ने एफबीआईएल (फाइनेंशियल बेंचमार्क इंडिया लिमिटेड) की बेंचमार्क लिस्ट में दुनिया की कुछ अन्य मुद्राओं को भी शामिल करने का फैसला किया है, जिससे Indian बैंक विदेशी मुद्रा जोड़ी (करेंसी पेयर्स) को सीधे कोट कर सकेंगे. ऐसा होने से डॉलर पर निर्भरता कम हो सकेगी, क्योंकि डॉलर के जरिए व्यापार होने पर भुगतान के दौरान होने वाले दोहरे रूपांतरण की वजह से लागत बढ़ने की समस्या भी कम हो पाएगी. Indian कंपनियां कई देशों में सीधे रुपये का लेनदेन करके कारोबार कर पाएंगी, जिससे कंपनियों की लागत भी घटेगी और भुगतान प्रक्रिया भी आसान हो सकेगी. ऐसा होने से रुपये को क्षेत्रीय स्तर पर मजबूती भी मिल सकेगी.
इसी तरह Indian रिजर्व बैंक ने स्पेशल रुपी वोस्ट्रो अकाउंट्स (एसआरवीए) के तहत जमा राशि को कॉरपोरेट बॉन्ड्स या कॉमर्शियल पेपर्स में इन्वेस्ट करने की अनुमति भी दे दी है. इस तरह से विदेशी निवेशकों को कॉरपोरेट बॉन्ड्स और कॉमर्शियल पेपर्स में इन्वेस्टमेंट करने के लिए अधिक विकल्प मिल पाएगा, जिससे कॉरपोरेट बॉन्ड मार्केट की लिक्विडिटी में भी बढ़ोतरी होगी. ऐसा होने से रुपये की वैश्विक पकड़ भी तुलनात्मक तौर पर और मजबूत होगी.
आरबीआई की कोशिश है कि रीजनल ट्रेडिंग में डॉलर की जगह रुपये के जरिये लेनदेन को बढ़ाया जाए, जिससे रुपया पड़ोसी देशों के साथ होने वाले व्यापार में डॉलर के विकल्प के रूप में उभर सके. ऐसा होने से भारत की आर्थिक संप्रभुता भी बढ़ेगी. रुपये की मजबूती के लिए जिन तीन उपाय पर काम किया जा रहा है, उनमें पड़ोसी देशों के लिए रुपये में कर्ज की सुविधा देना भी शामिल है. इसके लिए ऑथोराइज्ड डीलर बैंकों को पड़ोसी देशों में रुपये के रूप में कर्ज देने की अनुमति भी दे दी गई है. इन उपायों से रुपये को वैश्विक बाजार में तो मजबूती मिलेगी ही, इससे जियो-पॉलिटिकल लेवल पर भी भारत अपनी आर्थिक मजबूती का एक अहम संदेश देने में सफल होगा. इसके साथ ही ऐसा करके रुपया धीरे-धीरे वैश्विक व्यापार में डॉलर के एकछत्र राज्य के बीच अपनी मजबूत जगह बना सकेगा.
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(Udaipur Kiran) / योगिता पाठक
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