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शनिदेव की कृपा: जानें कैसे पहचानें शुभ लक्षण

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शनिवार का महत्व और शनिदेव की पूजा

लाइव हिंदी खबर :-शनिवार को शनिदेव का दिन माना जाता है, जब सूर्य पुत्र शनिदेव की विशेष पूजा की जाती है। भक्त शनिदेव के मंदिर जाकर उनकी आराधना करते हैं ताकि वे प्रसन्न हों। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि, राहु और केतु को पापी ग्रह माना जाता है, लेकिन शनि को कर्म फलदाता के रूप में जाना जाता है, जो मनुष्य के कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं।


साढ़ेसाती का प्रभाव

शनि की साढ़ेसाती अक्सर लोगों में डर और भविष्य के प्रति आशंका पैदा करती है। हालांकि, कुछ व्यक्तियों में ऐसे लक्षण होते हैं जिनसे पता चलता है कि शनिदेव का शुभ प्रभाव उन पर है। यहां हम कुछ ऐसे लक्षणों का उल्लेख कर रहे हैं, जिनसे आप जान सकते हैं कि क्या आप पर शनिदेव की कृपा है।


शारीरिक लक्षण

शास्त्रों के अनुसार, शनिदेव का निवास मनुष्य के पैरों में होता है। यदि किसी व्यक्ति को छोटी उम्र से हड्डियों से संबंधित समस्याएं होती हैं, तो यह संकेत है कि शनि की कृपा उन पर बनी हुई है। इसके अलावा, यदि कम उम्र में पैरों में मोच, कमर में दर्द या मांसपेशियों में चोटें आती हैं, तो ये भी शनिदेव के प्रभाव के लक्षण हैं। ये समस्याएं गंभीर हो सकती हैं, लेकिन अक्सर दिखाई नहीं देतीं। उदाहरण के लिए, यदि ऐसे लोग गिरते हैं, तो सिर में सूजन आ सकती है, लेकिन खून नहीं निकलता।


अकेलेपन में शनिदेव की कृपा

कुछ लोग बाहरी रूप से सामान्य दिखते हैं, लेकिन अंदर से वे अकेले होते हैं। इसका कारण यह है कि शनिदेव व्यक्ति को भ्रम की स्थितियों से बाहर रखते हैं, जिससे उन्हें रिश्तों की सच्चाइयों का पता चलता है। शनिदेव को छल-कपट पसंद नहीं है, इसलिए ऐसे लोग किसी से जुड़ नहीं पाते और अकेले रह जाते हैं। वे एकांत में रहना पसंद करते हैं और संसार के वास्तविक सुख-दुख को समझकर ईश्वर की ओर उन्मुख होते हैं। इन पर शनिदेव की कृपा बनी रहती है।


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