लॉस एंजिल्स कॉलेज गोलीबारी: अमेरिका की ‘बंदूक संस्कृति’ का खतरनाक चेहरा एक बार फिर सामने आया है। कैलिफोर्निया के लॉस एंजिल्स के इंगलवुड क्षेत्र में स्थित स्पार्टन कॉलेज ऑफ एयरोनॉटिक्स एंड टेक्नोलॉजी के परिसर में सोमवार दोपहर हुई गोलीबारी में दो महिलाएं गंभीर रूप से घायल हो गईं, जिन्हें अस्पताल ले जाया गया।
इस घटना से इलाके में तनावपूर्ण माहौल पैदा हो गया है और पुलिस ने पूरे परिसर को सील कर दिया है तथा कमरे-दर-कमरे तलाशी शुरू कर दी है। इंगलवुड के मेयर जेम्स बट्स के अनुसार गोलीबारी शाम करीब 4 बजे हुई। और हालांकि इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं है कि संदिग्ध उस क्षेत्र में है, फिर भी पुलिस कोई जोखिम नहीं ले रही है।
शैक्षणिक संस्थानों में हिंसा – एक गंभीर चिंतास्पार्टन कॉलेज पूरे संयुक्त राज्य अमेरिका में विमानन और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रशिक्षण के लिए जाना जाता है। उनकी वेबसाइट के अनुसार, इस परिसर में लगभग 500 छात्र अध्ययन कर रहे हैं। ऐसे प्रतिष्ठित संस्थान पर सशस्त्र हमला शैक्षणिक संस्थानों की सुरक्षा पर बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। इस घटना के बाद इलाके में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है और स्थानीय नागरिकों में भय का माहौल है। सौभाग्य से गोलीबारी में कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन दो महिलाएं गंभीर रूप से घायल हो गईं।
वर्जीनिया में तीन मौतें, अमेरिका में ‘बंदूक संस्कृति’ का कहरइस घटना से कुछ दिन पहले, वर्जीनिया के स्पॉट्सिल्वेनिया काउंटी में एक टाउनहाउस परिसर में हुई गोलीबारी में तीन नागरिक मारे गए थे और कई अन्य घायल हो गए थे। पुलिस नियंत्रण कक्ष को स्थानीय समयानुसार शाम 5:30 बजे सूचना प्राप्त हुई और कानून प्रवर्तन कर्मी घटनास्थल पर पहुंचे। हालाँकि, इस मामले में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। स्पॉट्सिल्वेनिया काउंटी पुलिस विभाग और जांच एजेंसियों ने जांच शुरू कर दी है तथा घटनास्थल पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।
अमेरिका की ‘बंदूक संस्कृति’: हथियारों का संकटअमेरिका को दुनिया का सबसे शक्तिशाली राष्ट्र माना जाता है, लेकिन अपनी बंदूक संस्कृति के कारण वह अपने नागरिकों की सुरक्षा की गारंटी देने में विफल हो रहा है। आज संयुक्त राज्य अमेरिका की जनसंख्या लगभग 330 मिलियन है, लेकिन पंजीकृत हथियारों की संख्या 400 मिलियन से अधिक हो गई है। इस मुद्दे पर राजनीतिक विभाजन है। एक ओर कुछ तत्व बंदूक नियंत्रण की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कई नागरिक संविधान के दूसरे संशोधन के अधिकार का हवाला देते हुए हथियार रखने पर जोर दे रहे हैं। चाहे वह बाइडेन प्रशासन हो या ट्रम्प प्रशासन – किसी ने भी इस मुद्दे पर ठोस कदम नहीं उठाए हैं। परिणामस्वरूप, स्कूलों, कॉलेजों, शॉपिंग मॉल्स और यहां तक कि धार्मिक स्थलों पर गोलीबारी की घटनाएं बढ़ गई हैं।
श्रेय : सोशल मीडिया
कानून का शासन या हथियारों का कहर?चाहे वह स्पार्टन कॉलेज गोलीबारी हो या वर्जीनिया में नरसंहार – इन सभी घटनाओं ने एक बार फिर दिखा दिया है कि अमेरिका अब अपनी ही बंदूक संस्कृति की गिरफ्त में फंस चुका है। विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि अगर सरकार ने सुरक्षा, शिक्षा और मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए तत्काल कड़े फैसले नहीं लिए तो भविष्य में ऐसी घटनाएं बढ़ेंगी। इन घटनाओं ने न केवल अमेरिका को बल्कि पूरे विश्व को इस हद तक झकझोर दिया है कि अब कोई भी यह गारंटी नहीं दे सकता कि बंदूक का मुद्दा कहां रुकेगा।
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