News India Live, Digital Desk: देश में ‘वन नेशन वन टैक्स’ का सिद्धांत लागू करने की बात वर्षों से चल रही है, लेकिन शराब पर अलग-अलग राज्यों के टैक्स की भारी असमानता आज भी बनी हुई है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, शराब की एक बोतल गोवा में 100 रुपये, जबकि पड़ोसी कर्नाटक में यही बोतल 305 रुपये, तेलंगाना में 229 रुपये, और राजस्थान में 205 रुपये में बिकती है।
इसका मुख्य कारण है शराब पर लगने वाली राज्यवार एक्साइज ड्यूटी और टैक्स, जिसमें गोवा सबसे कम (55%) और कर्नाटक सबसे ज्यादा (80%) टैक्स लेता है। यही वजह है कि मशहूर ब्लैक लेबल व्हिस्की दिल्ली में 3,310 रुपये, मुंबई में 4,200 रुपये, और कर्नाटक में लगभग 5,200 रुपये की मिलती है।
जीएसटी लागू होने के बावजूद शराब पर टैक्स में एकरूपता नहीं आ पाई है। इससे शराब की तस्करी बढ़ रही है। दिल्ली के लोग हरियाणा से, तमिलनाडु के लोग पुदुचेरी से शराब खरीदते हैं, जिससे ज्यादा टैक्स वाले राज्यों को नुकसान होता है।
राज्यों की मजबूरीजीएसटी लागू होने के बाद राज्यों के पास कमाई के सीमित विकल्प हैं, इसलिए वे शराब पर एक्साइज ड्यूटी और पेट्रोल-डीजल पर वैट पर निर्भर रहते हैं। मुफ्त योजनाओं की वजह से टैक्स की आय राज्यों के लिए घाटा पूरा करने का बड़ा साधन बन जाती है।
विशेषज्ञों के सुझाव) के सीईओ संजीत पधी का सुझाव है कि टैक्स को तर्कसंगत करने से ग्राहक बेहतर गुणवत्ता वाली शराब खरीदेंगे, जिससे लंबे समय में राज्य की आय बढ़ेगी। महाराष्ट्र और कर्नाटक ने पहले टैक्स घटाकर ज्यादा कमाई का सफल उदाहरण पेश किया है।
कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहलिक बेवरेज इंडस्ट्री (CIABC) के दीपक रॉय का मानना है कि उद्योग को बढ़ावा देने और तस्करी को रोकने के लिए एकसमान टैक्स नीति आवश्यक है।
क्या है समाधान?टैक्स को तर्कसंगत और एकसमान बनाकर राज्यों को लंबी अवधि में अधिक फायदा मिल सकता है। इससे तस्करी कम होगी, उद्योग को बढ़ावा मिलेगा, और ग्राहकों को भी उचित कीमत पर गुणवत्ता वाली शराब मिलेगी। यही ‘वन नेशन वन टैक्स’ सिद्धांत को सफल बना सकता है।
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