आज की युवा पीढ़ी के लिए लिव-इन रिलेशनशिप एक आम बात हो गई है। फिल्मों और वेब सीरीज़ में तो यह बहुत ही कूल और मॉडर्न लगता है - प्यार है, आज़ादी है, और शादी की बड़ी ज़िम्मेदारियों का कोई झंझट नहीं। एक-दूसरे को समझने, साथ रहने का एक आसान तरीका लगता है।लेकिन इस 'आसान' रिश्ते की एक सच्चाई भी है, जिसे ज़्यादातर लड़के-लड़कियाँ नज़रअंदाज़ कर देते हैं। वह है क़ानून। क्या आपको पता है कि अगर कल आपका रिश्ता टूट जाए तो आपके क्या अधिकार हैं? क्या लड़की को गुजारा भत्ता मिलेगा? अगर बच्चा हुआ, तो उसका क्या होगा?प्यार में पड़ना अच्छी बात है, लेकिन भावनाओं में बहकर अपने क़ानूनी अधिकारों को भूल जाना सबसे बड़ी मूर्खता हो सकती है।तो क़ानून की नज़र में लिव-इन रिलेशनशिप क्या है?पहली और सबसे अच्छी खबर यह है कि भारतीय क़ानून लिव-इन रिलेशनशिप को 'नाजायज़' नहीं मानता। सुप्रीम कोर्ट ने भी कई बार स्पष्ट किया है कि अगर कोई लड़का और लड़की लंबे समय तक पति-पत्नी की तरह साथ रहते हैं, तो कानून उन्हें विवाहित जोड़े की तरह ही मानेगा।लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों के 4 सबसे बड़े अधिकार जो सभी को पता होने चाहिए1. क्या लड़की को भरण-पोषण मिलता है?हाँ, बिल्कुल। यह सबसे बड़ा अधिकार है। अगर रिश्ता टूट जाता है और लड़की आर्थिक रूप से लड़के पर निर्भर थी, तो वह घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के तहत लड़के से भरण-पोषण की माँग कर सकती है। कानून उसे बेसहारा नहीं छोड़ सकता।2. अगर बच्चा पैदा हो गया तो क्या होगा?यह एक बहुत बड़ा सवाल है, और इसका जवाब साफ़ है। लिव-इन रिलेशनशिप से पैदा हुआ बच्चा कानून की नज़र में पूरी तरह से वैध माना जाता है। उसे अपने माता-पिता दोनों की संपत्ति पर पूरा अधिकार मिलता है, ठीक वैसे ही जैसे किसी विवाहित जोड़े से पैदा हुए बच्चे को मिलता है।3. क्या पार्टनर का संपत्ति पर अधिकार है?यहाँ एक बहुत बड़ी ग़लतफ़हमी है। लिव-इन में रहने से आपको अपने साथी की निजी या पैतृक संपत्ति पर स्वतः ही कोई अधिकार नहीं मिल जाता। हाँ, अगर दोनों ने मिलकर कोई संपत्ति खरीदी है, तो उस पर दोनों का समान अधिकार होगा।4. घरेलू हिंसा से पूर्ण सुरक्षालिव-इन में रहने वाली महिला को भी घरेलू हिंसा से उतनी ही सुरक्षा मिलती है जितनी एक पत्नी को। अगर साथी उसके साथ किसी भी तरह की शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक हिंसा करता है, तो वह कानून का दरवाजा खटखटा सकती है।रिश्ता शुरू करने से पहले इन बातों का ध्यान रखेंलिव-इन रिश्ता जितनी आज़ादी देता है, उतनी ही असुरक्षित भी हो सकता है। अगर कल मामला अदालत पहुँचता है, तो आपको यह साबित करना होगा कि आप पति-पत्नी के रूप में रह रहे थे। इसलिए, रिश्ते का एक 'कागज़ी सबूत' ज़रूर बनाना समझदारी है।दोनों के नाम पर रेंट एग्रीमेंट बनाएँ।एक संयुक्त बैंक खाता खोलें।घर के बिल, निवेश आदि में एक-दूसरे का नाम दर्ज करें।याद रखें, प्यार अंधा हो सकता है, लेकिन कानून नहीं। अपने दिल से प्यार करो, लेकिन अपने दिमाग से भी प्यार करो।
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