इस्लामाबाद: पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का संस्थापक मसूद अजहर वर्षों तक खामोश रहने के बाद एक बार फिर सार्वजनिक रूप से सामने आया है। उसके भाषण और ऑडियो संदेश जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े सोशल मीडिया चैनलों पर शेयर किए जा रहे हैं। इन संदेशों में जैश में नई भर्ती और नए सिरे से जिहाद का आह्वान किया गया है। इतना ही नहीं, मसूद अजहर ने अपनी बड़ी बहन सादिया अजहर के नेतृत्व में एक महिला विंग का भी गठन किया है, जिसका मकसद भारतीय महिलाओं को निशाना बनाना है। माना जा रहा है कि जैश के इस उदय के पीछे पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर और खुफिया एजेंसी आईएसआई की बड़ी चाल है, ताकि जम्मू और कश्मीर को अस्थिर किया जा सके।
पाकिस्तान ने मसूद अजहर को बाहर क्यों निकाला
जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई का करीबी सहयोगी माना जाता है। वह लंबे समय से सार्वजनिक रूप से दिखाई नहीं दिया था। माना जा रहा था कि भारत के हमले के डर से आईएसआई ने मसूद अजहर को छिपाए रखा था। लेकिन, ऑपरेशन सिंदूर में बहावपुर स्थित जैश के ठिकाने पर भारत के मिसाइल हमले ने पाकिस्तान को हिलाकर रख दिया है। इस हमले में मसूद अजहर के परिवार के कई सदस्य भी मारे गए थे। माना जा रहा है कि इसी बौखलाहट में मसूद अजहर सार्वजनिक रूप से दिखने को मजबूर हुआ है, ताकि लोगों के मन में जैश का खौफ खत्म न हो जाए।
मसूद अजहर के सार्वजनिक होने का कारण क्या है
द संडे गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, खुफिया अधिकारियों का मानना है कि मसूद अजहर के ये संदेश केवल जैश-ए-मोहम्मद के अनुयायियों के लिए नहीं हैं, बल्कि जानबूझकर भारतीय और पश्चिमी पर्यवेक्षकों की नजर में आने के लिए तैयार किए गए हैं। एक वरिष्ठ आतंकवाद-रोधी अधिकारी ने कहा, "जैश और रावलपिंडी में उसके समर्थक, दोनों को ठीक-ठीक पता है कि कौन देख रहा है। ये संदेश दुश्मन के कानों के लिए उतने ही तैयार किए जाते हैं जितने उनके अपने कैडर के लिए।"
पाकिस्तानी सेना-आईएसआई कर रही समर्थन
इन बयानों के लहजे और समय ने न केवल भारत में, बल्कि पश्चिमी खुफिया हलकों का भी ध्यान खींचा है, जो इन्हें सहज बयानबाजी के बजाय जानबूझकर दिए गए संकेत मानते हैं। सुरक्षा पर्यवेक्षकों के अनुसार, अजहर की फिर से उपस्थिति को पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसी का समर्थन प्राप्त है। उसकी अचानक उपस्थिति अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों में सुधार के दौर के साथ मेल खाती है, जो, विश्लेषकों का कहना है, इस्लामाबाद को तत्काल कूटनीतिक नुकसान के डर के बिना एक पुराने छद्म युद्ध को फिर से शुरू करने की शक्ति प्रदान कर रहा है।
कश्मीर में भारत की बढ़ सकती है टेंशन
जैश-ए-मोहम्मद के उत्थान से भारत की टेंशन बढ़ सकती है। भारत लंबे समय से इस आतंकी संगठन के हमलों का सामना करता रहा है। हालांकि, हाल के कुछ वर्षों में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी समूहों की कमर तोड़ दी है। इस कारण ये आतंकी समूह अब पहले की तरह शक्तिशाली नहीं रहे हैं। लेकिन, मसूद अजगर के भाषणों की बढ़ती तादाद ने भारतीय एजेंसियों को चौकन्ना कर दिया है और कश्मीर के लिए नई चिंताा पैदा की है।
पाकिस्तान ने मसूद अजहर को बाहर क्यों निकाला
जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई का करीबी सहयोगी माना जाता है। वह लंबे समय से सार्वजनिक रूप से दिखाई नहीं दिया था। माना जा रहा था कि भारत के हमले के डर से आईएसआई ने मसूद अजहर को छिपाए रखा था। लेकिन, ऑपरेशन सिंदूर में बहावपुर स्थित जैश के ठिकाने पर भारत के मिसाइल हमले ने पाकिस्तान को हिलाकर रख दिया है। इस हमले में मसूद अजहर के परिवार के कई सदस्य भी मारे गए थे। माना जा रहा है कि इसी बौखलाहट में मसूद अजहर सार्वजनिक रूप से दिखने को मजबूर हुआ है, ताकि लोगों के मन में जैश का खौफ खत्म न हो जाए।
मसूद अजहर के सार्वजनिक होने का कारण क्या है
द संडे गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, खुफिया अधिकारियों का मानना है कि मसूद अजहर के ये संदेश केवल जैश-ए-मोहम्मद के अनुयायियों के लिए नहीं हैं, बल्कि जानबूझकर भारतीय और पश्चिमी पर्यवेक्षकों की नजर में आने के लिए तैयार किए गए हैं। एक वरिष्ठ आतंकवाद-रोधी अधिकारी ने कहा, "जैश और रावलपिंडी में उसके समर्थक, दोनों को ठीक-ठीक पता है कि कौन देख रहा है। ये संदेश दुश्मन के कानों के लिए उतने ही तैयार किए जाते हैं जितने उनके अपने कैडर के लिए।"
पाकिस्तानी सेना-आईएसआई कर रही समर्थन
इन बयानों के लहजे और समय ने न केवल भारत में, बल्कि पश्चिमी खुफिया हलकों का भी ध्यान खींचा है, जो इन्हें सहज बयानबाजी के बजाय जानबूझकर दिए गए संकेत मानते हैं। सुरक्षा पर्यवेक्षकों के अनुसार, अजहर की फिर से उपस्थिति को पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसी का समर्थन प्राप्त है। उसकी अचानक उपस्थिति अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों में सुधार के दौर के साथ मेल खाती है, जो, विश्लेषकों का कहना है, इस्लामाबाद को तत्काल कूटनीतिक नुकसान के डर के बिना एक पुराने छद्म युद्ध को फिर से शुरू करने की शक्ति प्रदान कर रहा है।
कश्मीर में भारत की बढ़ सकती है टेंशन
जैश-ए-मोहम्मद के उत्थान से भारत की टेंशन बढ़ सकती है। भारत लंबे समय से इस आतंकी संगठन के हमलों का सामना करता रहा है। हालांकि, हाल के कुछ वर्षों में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी समूहों की कमर तोड़ दी है। इस कारण ये आतंकी समूह अब पहले की तरह शक्तिशाली नहीं रहे हैं। लेकिन, मसूद अजगर के भाषणों की बढ़ती तादाद ने भारतीय एजेंसियों को चौकन्ना कर दिया है और कश्मीर के लिए नई चिंताा पैदा की है।
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