बीजिंग: जी7 देशों में महत्वपूर्ण खनिज उत्पादन पर साथ मिलकर काम करने पर सहमति बनी है। ये चीन के रेयर अर्थ एलीमेंट पर दबदबे को चुनौती देने की कोशिश के तहत किया गया है। हालांकि इसके बावजूद चीन का इस क्षेत्र से दबदबे को तोड़ना आसान नहीं होगा। चीनी पर्यवेक्षकों का कहना है कि महत्वपूर्ण खनिजों पर बीजिंग के प्रभुत्व को चुनौती देने की जी-7 की प्रतिबद्धता के बावजूद अमेरिका के साथ चीन के संबंधों में रेयर अर्थ चीन के लिए महत्वपूर्ण कार्ड है।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, शुक्रवार को कनाडा के टोरंटो शहर में हुई बैठक में जी-7 के ऊर्जा मंत्रियों ने दो दर्जन से अधिक नए निवेश, साझेदारियां और महत्वपूर्ण खनिज परियोजनाओं में 4.57 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश का फैसला लिया है। इन देशों में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूके और अमेरिका शामिल हैं।
चीन का दबदबाचीन दुनिया में दुर्लभ मृदा खनिजों की आपूर्ति पर हावी है। दुनियाभर में खनिजों के 70 प्रतिशत तक निष्कर्षण, लगभग 85 प्रतिशत शोधन क्षमता और 90 प्रतिशत दुर्लभ मृदा धातु मिश्र धातु और चुंबक उत्पादन को नियंत्रित करता है। 9 अक्टूबर को चीन ने दुर्लभ मृदा निर्यात पर नए प्रतिबंधों की घोषणा की थी। ये नियंत्रण 1 नवंबर से लागू होने वाले थे लेकिन डोनाल्ड ट्रंप से मिलने के बाद चीन ने इन्हें एक साल के लिए निलंबित कर दिया।
फुडान विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन संस्थान के डीन वू शिनबो कहते हैं कि G7 लंबे समय से चीनी दुर्लभ मृदाओं पर निर्भरता से मुक्त होना चाहता है लेकिन वास्तव में वे ऐसा नहीं कर सकते हैं। मेरा मानना है कि निकट भविष्य में ना तो बाजार और ना ही गैर बाजार रणनीतियां सफल होंगी। चीन-अमेरिका संबंधों में दुर्लभ मृदाएं चीन के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण कार्ड बनी रहेंगी। हमें इस पर पूरा भरोसा है।
अभी चलता रहेगा टकरावनानजिंग विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन स्कूल के कार्यकारी डीन झू फेंग का कहना है कि जी-7 शिखर सम्मेलन ने अमेरिका की स्थिति के बारे में एक स्पष्ट संदेश दिया है। झू कहते हैं, 'हालांकि चीन और अमेरिका ने व्यापार पर एक अस्थायी समझौता किया है लेकिन यह खत्म नहीं हुआ है। चीन-अमेरिका व्यापार समझौते पर अभी तक आधिकारिक रूप से हस्ताक्षर नहीं हुए हैं।'
झू का मानना है कि फिलहाल अमेरिका पश्चिमी औद्योगिक प्रणाली पर प्रतिबंध के अल्पकालिक झटके से बचने की कोशिश कर रहा है। दीर्घकालिक लक्ष्य चीन की दुर्लभ मृदा आपूर्ति श्रृंखला और मूल्य श्रृंखला पर निर्भरता से मुक्त होना है। यह चीन और अमेरिका के बीच रणनीतिक प्रतिस्पर्धा का केंद्रबना हुआ है।
झू ने आगाह किया कि चीन स्वाभाविक रूप से जी-7 की योजना को लेकर चिंतित है क्योंकि आपूर्ति श्रृंखलाएं खुली, विविध और बाजार प्रतिस्पर्धा के अनुकूल होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक कारकों को आपूर्ति श्रृंखलाओं पर कब्जा करने की अनुमति देने से केवल प्रतिगमन और विखंडन ही होगा।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, शुक्रवार को कनाडा के टोरंटो शहर में हुई बैठक में जी-7 के ऊर्जा मंत्रियों ने दो दर्जन से अधिक नए निवेश, साझेदारियां और महत्वपूर्ण खनिज परियोजनाओं में 4.57 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश का फैसला लिया है। इन देशों में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूके और अमेरिका शामिल हैं।
चीन का दबदबाचीन दुनिया में दुर्लभ मृदा खनिजों की आपूर्ति पर हावी है। दुनियाभर में खनिजों के 70 प्रतिशत तक निष्कर्षण, लगभग 85 प्रतिशत शोधन क्षमता और 90 प्रतिशत दुर्लभ मृदा धातु मिश्र धातु और चुंबक उत्पादन को नियंत्रित करता है। 9 अक्टूबर को चीन ने दुर्लभ मृदा निर्यात पर नए प्रतिबंधों की घोषणा की थी। ये नियंत्रण 1 नवंबर से लागू होने वाले थे लेकिन डोनाल्ड ट्रंप से मिलने के बाद चीन ने इन्हें एक साल के लिए निलंबित कर दिया।
फुडान विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन संस्थान के डीन वू शिनबो कहते हैं कि G7 लंबे समय से चीनी दुर्लभ मृदाओं पर निर्भरता से मुक्त होना चाहता है लेकिन वास्तव में वे ऐसा नहीं कर सकते हैं। मेरा मानना है कि निकट भविष्य में ना तो बाजार और ना ही गैर बाजार रणनीतियां सफल होंगी। चीन-अमेरिका संबंधों में दुर्लभ मृदाएं चीन के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण कार्ड बनी रहेंगी। हमें इस पर पूरा भरोसा है।
अभी चलता रहेगा टकरावनानजिंग विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन स्कूल के कार्यकारी डीन झू फेंग का कहना है कि जी-7 शिखर सम्मेलन ने अमेरिका की स्थिति के बारे में एक स्पष्ट संदेश दिया है। झू कहते हैं, 'हालांकि चीन और अमेरिका ने व्यापार पर एक अस्थायी समझौता किया है लेकिन यह खत्म नहीं हुआ है। चीन-अमेरिका व्यापार समझौते पर अभी तक आधिकारिक रूप से हस्ताक्षर नहीं हुए हैं।'
झू का मानना है कि फिलहाल अमेरिका पश्चिमी औद्योगिक प्रणाली पर प्रतिबंध के अल्पकालिक झटके से बचने की कोशिश कर रहा है। दीर्घकालिक लक्ष्य चीन की दुर्लभ मृदा आपूर्ति श्रृंखला और मूल्य श्रृंखला पर निर्भरता से मुक्त होना है। यह चीन और अमेरिका के बीच रणनीतिक प्रतिस्पर्धा का केंद्रबना हुआ है।
झू ने आगाह किया कि चीन स्वाभाविक रूप से जी-7 की योजना को लेकर चिंतित है क्योंकि आपूर्ति श्रृंखलाएं खुली, विविध और बाजार प्रतिस्पर्धा के अनुकूल होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक कारकों को आपूर्ति श्रृंखलाओं पर कब्जा करने की अनुमति देने से केवल प्रतिगमन और विखंडन ही होगा।
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