वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने देश में बीफ की बढ़ती कीमतों का संज्ञान लिया है। ट्रंप ने खासतौर से मांस पैकिंग कंपनियों की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने अपने न्याय विभाग से मांस पैकिंग कंपनियों की कीमतों में बढ़ोतरी में भूमिका की जांच करने के लिए कहा है। ट्रंप ने मिलीभगत, मूल्य निर्धारण और मूल्य हेरफेर के जरिए कंपनियों पर बीफ की कीमत बढ़ाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इन कंपनियों की जांच किया जाना जरूरी है।
ट्रंप की ओर से बीफ की कीमतों की जांच का आदेश ऐसे समय में आया है, जब बढ़ती कीमतें एक राजनीतिक मुद्दा बन गई हैं। इससे अमेरिका में खाद्य कीमतों को कम करने के ट्रंप के वादों पर भी गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। यह घोषणा न्यूयॉर्क मेयर समेत कई चुनावों में ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी की हार के बाद की गई है। डेमोक्रेट उम्मीदवारों ने चुनाव में महंगाई को अहम मुद्दा बनाया था।
ट्रंप ने क्या कहा हैडोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'मैंने न्याय विभाग से उन मांस पैकिंग कंपनियों की जांच करने को कहा है, जो अवैध तरीके से कीमतें बढ़ा रही हैं। हम अपने अमेरिकी पशुपालकों की भी रक्षा करेंगे। उन्हें बहुसंख्यक विदेशी स्वामित्व वाले मांस पैकर्स के काम लिए दोषी ठहराया जा रहा है, जो कृत्रिम रूप से कीमतें बढ़ाते हैं और हमारी खाद्य आपूर्ति को खतरे में डालते हैं।'
अमेरिका में बीफ की कीमतें बढ़ने की सबसे अहम वजह मवेशियों की घटती संख्या है। सूखे और तक कम कीमतों के कारण अमेरिका में कई दशकों में सबसे कम मवेशी हैं। इससे बीफ की कीमतें रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गई हैं। प्रमुख बीफ निर्यातक ब्राजील पर ट्रंप के टैरिफ ने भी आयात पर अंकुश लगाया है। इससे स्थिति और खराब हुई है।
अमेरिका में बीफ की मांगअमेरिका में बीफ की मांग मजबूत बनी हुई है। कंसास स्टेट यूनिवर्सिटी में मीट डिमांड मॉनिटर की प्रमुख ग्लिन टोन्सर का कहना है कि कीमतें बढ़ी हैं क्योंकि लोग इसे खाना चाहते हैं और वे इसके लिए भुगतान कर रहे हैं। टोन्सर ने कहा कि पिछले चार वर्षों में मीट पैकिंग उद्योग में स्वामित्व में कोई खास बदलाव नहीं आया है।
मीट पैकिंग व्यवसाय में संकेन्द्रण किसानों और राजनेताओं की चिंता रहा है। अमेरिका के बीफ बाजार पर चार प्रमुख मीट पैकिंग कंपनियों का दबदबा है। हालांकि ओक्लाहोमा स्टेट यूनिवर्सिटी के कृषि अर्थशास्त्री डेरेल पील का कहना है कि इसका कोई सबूत नहीं है कि बड़े पैकर्स अपनी ताकत का इस्तेमाल बीफ की कीमतें बढ़ाने के लिए करते हैं।
ट्रंप की ओर से बीफ की कीमतों की जांच का आदेश ऐसे समय में आया है, जब बढ़ती कीमतें एक राजनीतिक मुद्दा बन गई हैं। इससे अमेरिका में खाद्य कीमतों को कम करने के ट्रंप के वादों पर भी गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। यह घोषणा न्यूयॉर्क मेयर समेत कई चुनावों में ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी की हार के बाद की गई है। डेमोक्रेट उम्मीदवारों ने चुनाव में महंगाई को अहम मुद्दा बनाया था।
ट्रंप ने क्या कहा हैडोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'मैंने न्याय विभाग से उन मांस पैकिंग कंपनियों की जांच करने को कहा है, जो अवैध तरीके से कीमतें बढ़ा रही हैं। हम अपने अमेरिकी पशुपालकों की भी रक्षा करेंगे। उन्हें बहुसंख्यक विदेशी स्वामित्व वाले मांस पैकर्स के काम लिए दोषी ठहराया जा रहा है, जो कृत्रिम रूप से कीमतें बढ़ाते हैं और हमारी खाद्य आपूर्ति को खतरे में डालते हैं।'
अमेरिका में बीफ की कीमतें बढ़ने की सबसे अहम वजह मवेशियों की घटती संख्या है। सूखे और तक कम कीमतों के कारण अमेरिका में कई दशकों में सबसे कम मवेशी हैं। इससे बीफ की कीमतें रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गई हैं। प्रमुख बीफ निर्यातक ब्राजील पर ट्रंप के टैरिफ ने भी आयात पर अंकुश लगाया है। इससे स्थिति और खराब हुई है।
अमेरिका में बीफ की मांगअमेरिका में बीफ की मांग मजबूत बनी हुई है। कंसास स्टेट यूनिवर्सिटी में मीट डिमांड मॉनिटर की प्रमुख ग्लिन टोन्सर का कहना है कि कीमतें बढ़ी हैं क्योंकि लोग इसे खाना चाहते हैं और वे इसके लिए भुगतान कर रहे हैं। टोन्सर ने कहा कि पिछले चार वर्षों में मीट पैकिंग उद्योग में स्वामित्व में कोई खास बदलाव नहीं आया है।
मीट पैकिंग व्यवसाय में संकेन्द्रण किसानों और राजनेताओं की चिंता रहा है। अमेरिका के बीफ बाजार पर चार प्रमुख मीट पैकिंग कंपनियों का दबदबा है। हालांकि ओक्लाहोमा स्टेट यूनिवर्सिटी के कृषि अर्थशास्त्री डेरेल पील का कहना है कि इसका कोई सबूत नहीं है कि बड़े पैकर्स अपनी ताकत का इस्तेमाल बीफ की कीमतें बढ़ाने के लिए करते हैं।
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