इस्लामाबाद: तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने खैबर पख्तूनख्वा के कई इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। उसने सार्वजनिक रूप से भारी हथियारों का प्रदर्शन किया है और बन्नू-वजीरिस्तान सीमा पर कई चौकियां भी स्थापित की है। इससे खैबर पख्तूनख्वा में पाकिस्तानी सेना को बड़ा झटका लगा है। हाल के दिनों में सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे वीडियो में टीटीपी लड़ाकों को कई मुख्य सड़कों पर गाड़ियों की जांच करते और लोगों के पहचान पत्रों को देखते हुए देखा जा सकता है। कुछ क्लिप में टीटीपी लड़ाकों को हथियारों की नई खेप के साथ पाकिस्तानी सुरक्षा बलों पर और अधिक हमले का दावा करते हुए दिखाई दे रहे हैं।
पाकिस्तानी सेना की टेंशन बढ़ी
न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार, खैबर पख्तूनख्वा में इन नए घटनाक्रमों ने पाकिस्तानी सेना की चिंता को बढ़ा दिया है। टीटीपी 2021 के बाद से अपने फिर से उत्थान के बाद से कबायली इलाकों और खैबर पख्तूनख्वा के कुछ हिस्सों पर कब्जा करने में सक्षम रहा है। कई विश्लेषकों और क्षेत्रीय निगरानीकर्ताओं ने हाल के महीनों और वर्षों में खैबर पख्तूनख्वा में कई झड़पों, सड़क किनारे हमलों और आतंकवादी चौकियों की स्थापना की जानकारी दी है। पाकिस्तानी सुरक्षा बल इनके खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करने में नाकाम रहे हैं और उन्हें भारी नुकसान भी उठाना पड़ा है।
पाकिस्तान में गश्त लगा रहे टीटीपी आतंकी
स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, आतंकवादियों की धमकियां मिलने के बाद निचले स्तर के कई सैनिकों ने सीमावर्ती चौकियां खाली कर भाग गए थे। इस कारण टीटीपी लड़ाके कुछ जिलों में स्वतंत्र रूप से गश्त लगा रहे हैं। वे स्थानीय व्यापारिकों को धमकियां दे रहे हैं और इलाके से रंगदारी भी वसूल कर रहे हैं। इससे उन्हें और अधिक हथियार खरीदने में मदद मिल रही है। वहीं, पाकिस्तानी सेना टीटीपी शासित इलाकों में जाने से बच रही है, क्योंकि उन्हें इन इलाकों में भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
पाकिस्तानी सेना कार्रवाई से डर रही
पाकिस्तानी सेना और दूसरी सुरक्षा एजेंसियों ने खैबर पख्तूनख्वा में टीटीपी के कब्जे से संबंधित दावों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, बन्नू क्षेत्र में हुई पिछली कई घटनाओं, जिसमें आत्मघाती हमले और 2025 की शुरुआत में सैन्य चौकियों पर हुए हमले शामिल हैं, बताते हैं कि यह जिला पहले से ही संघर्ष का क्षेत्र बना हुआ है। टीटीपी की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए पाकिस्तान की तरफ से बहुत सतही कार्रवाइयां हुई हैं, जिनका आतंकी संगठन पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ा है। यहां तक कि पाकिस्तान टीटीपी के बड़े लड़ाकों को मारने में भी नाकाम रहा है।
पाकिस्तानी सेना की टेंशन बढ़ी
न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार, खैबर पख्तूनख्वा में इन नए घटनाक्रमों ने पाकिस्तानी सेना की चिंता को बढ़ा दिया है। टीटीपी 2021 के बाद से अपने फिर से उत्थान के बाद से कबायली इलाकों और खैबर पख्तूनख्वा के कुछ हिस्सों पर कब्जा करने में सक्षम रहा है। कई विश्लेषकों और क्षेत्रीय निगरानीकर्ताओं ने हाल के महीनों और वर्षों में खैबर पख्तूनख्वा में कई झड़पों, सड़क किनारे हमलों और आतंकवादी चौकियों की स्थापना की जानकारी दी है। पाकिस्तानी सुरक्षा बल इनके खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करने में नाकाम रहे हैं और उन्हें भारी नुकसान भी उठाना पड़ा है।
पाकिस्तान में गश्त लगा रहे टीटीपी आतंकी
स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, आतंकवादियों की धमकियां मिलने के बाद निचले स्तर के कई सैनिकों ने सीमावर्ती चौकियां खाली कर भाग गए थे। इस कारण टीटीपी लड़ाके कुछ जिलों में स्वतंत्र रूप से गश्त लगा रहे हैं। वे स्थानीय व्यापारिकों को धमकियां दे रहे हैं और इलाके से रंगदारी भी वसूल कर रहे हैं। इससे उन्हें और अधिक हथियार खरीदने में मदद मिल रही है। वहीं, पाकिस्तानी सेना टीटीपी शासित इलाकों में जाने से बच रही है, क्योंकि उन्हें इन इलाकों में भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
पाकिस्तानी सेना कार्रवाई से डर रही
पाकिस्तानी सेना और दूसरी सुरक्षा एजेंसियों ने खैबर पख्तूनख्वा में टीटीपी के कब्जे से संबंधित दावों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, बन्नू क्षेत्र में हुई पिछली कई घटनाओं, जिसमें आत्मघाती हमले और 2025 की शुरुआत में सैन्य चौकियों पर हुए हमले शामिल हैं, बताते हैं कि यह जिला पहले से ही संघर्ष का क्षेत्र बना हुआ है। टीटीपी की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए पाकिस्तान की तरफ से बहुत सतही कार्रवाइयां हुई हैं, जिनका आतंकी संगठन पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ा है। यहां तक कि पाकिस्तान टीटीपी के बड़े लड़ाकों को मारने में भी नाकाम रहा है।
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