कानपुर: कानपुर देहात में एक ऐसी वारदात हुई जिस पर यकीन करने का मन नहीं होता। यहां एक विधवा महिला ने अपने 25 साल के बेटे का अपने प्रेमी के हाथों मर्डर करवा दिया। इसके पीछे लालच था बेटे के बीमे के 40 लाख रुपयों को हड़पने। बेटा उसके प्रेम संबंध का विरोध करता था, इसलिए इस वजह से भी उसे रास्ते से हटाना था। लेकिन यह जुर्म छिप नहीं सका और पुलिस ने हत्यारों समेत मां को अरेस्ट कर लिया।
यह घटना है कानपुर देहात के अंगदपुर गांव की। यहां का निवासी प्रदीप (25) आंध्रप्रदेश में नौकरी करता था। दिवाली के मौके पर वह घर वापस आया था। उसे 27 अक्टूबर को वापस लौटना था। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, 26 अक्टूबर की शाम को उसके पास आरोपी मयंक और ऋषि उसके पास आए। दोनों बहाने से उसे अपने साथ कार में ले गए।
सुनसान जगह पर प्रदीप के सिर पर हथौड़े से वारकर उसकी हत्या कर दी। हत्या को सड़क हादसे की शक्ल देने के लिए उसे हाईवे पर फेंक दिया। उधर जब प्रदीप घर नहीं लौटा तो उसके चचेरे भइयों ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। इसी बीच पुलिस को सूचना मिली कि बलहारामऊ मोड पर किसी युवक का शव पड़ा है। पुलिस मौके पर पहुंची तो देखा कि प्रदीप का लहूलुहान शव सड़क के किनारे पड़ा था। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया।
जब पुलिस ने पूछताछ की तो प्रदीप की मां ममता ने बताया कि उसके बेटे की सड़क हादसे में मौत हुई है। लेकिन प्रदीप के बाबा जगदीश नारायण, चाचा संजय, हरिशंकर, चचेरे भाई शिवम और सौरभ ने उसकी हत्या की आशंका जताई। उन्होंने गांव के ही रहने वाले ऋषि और मयंक पर हत्या करने का आरोप लगाया।
दरअसल, प्रदीप के पिता की मौत 7 साल पहले बीमारी से हुई थी। मरने से पहले उन्होंने प्रदीप का 40 लाख का बीमा कराया था। उनकी मौत के बाद ममता का मयंक से प्रेम संबंध हो गया था। प्रदीप इसका विरोध करता था।
वह अपनी मां के साथ न रहकर अपने बाबा के साथ रहता था। ममता को उसका विरोध नागवार गुजरता था। इतना ही नहीं उसकी नजर बीमा के 40 लाख रुपयों पर भी थी। इसी सबके लिए उसने प्रेमी मयंक से मिलकर प्रदीप की हत्या की साजिश रची। मयंक ने अपने भाई ऋषि की मदद से इस वारदात को अंजाम दिया।
अंतत: पुलिस दोनों आरोपियों को एनकाउंटर के बाद पकड़ लिया। पुलिस के सामने ममता ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया।
यह घटना है कानपुर देहात के अंगदपुर गांव की। यहां का निवासी प्रदीप (25) आंध्रप्रदेश में नौकरी करता था। दिवाली के मौके पर वह घर वापस आया था। उसे 27 अक्टूबर को वापस लौटना था। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, 26 अक्टूबर की शाम को उसके पास आरोपी मयंक और ऋषि उसके पास आए। दोनों बहाने से उसे अपने साथ कार में ले गए।
सुनसान जगह पर प्रदीप के सिर पर हथौड़े से वारकर उसकी हत्या कर दी। हत्या को सड़क हादसे की शक्ल देने के लिए उसे हाईवे पर फेंक दिया। उधर जब प्रदीप घर नहीं लौटा तो उसके चचेरे भइयों ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। इसी बीच पुलिस को सूचना मिली कि बलहारामऊ मोड पर किसी युवक का शव पड़ा है। पुलिस मौके पर पहुंची तो देखा कि प्रदीप का लहूलुहान शव सड़क के किनारे पड़ा था। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया।
जब पुलिस ने पूछताछ की तो प्रदीप की मां ममता ने बताया कि उसके बेटे की सड़क हादसे में मौत हुई है। लेकिन प्रदीप के बाबा जगदीश नारायण, चाचा संजय, हरिशंकर, चचेरे भाई शिवम और सौरभ ने उसकी हत्या की आशंका जताई। उन्होंने गांव के ही रहने वाले ऋषि और मयंक पर हत्या करने का आरोप लगाया।
दरअसल, प्रदीप के पिता की मौत 7 साल पहले बीमारी से हुई थी। मरने से पहले उन्होंने प्रदीप का 40 लाख का बीमा कराया था। उनकी मौत के बाद ममता का मयंक से प्रेम संबंध हो गया था। प्रदीप इसका विरोध करता था।
वह अपनी मां के साथ न रहकर अपने बाबा के साथ रहता था। ममता को उसका विरोध नागवार गुजरता था। इतना ही नहीं उसकी नजर बीमा के 40 लाख रुपयों पर भी थी। इसी सबके लिए उसने प्रेमी मयंक से मिलकर प्रदीप की हत्या की साजिश रची। मयंक ने अपने भाई ऋषि की मदद से इस वारदात को अंजाम दिया।
अंतत: पुलिस दोनों आरोपियों को एनकाउंटर के बाद पकड़ लिया। पुलिस के सामने ममता ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया।
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