नई दिल्ली: भारत की तरक्की की कहानी बिखर रही है! ऐसा हम नहीं कह रहे हैं। यह कहना है एक स्टार्टअप के CEO का। उनका मानना है कि समस्या पैसों की नहीं, बल्कि सोच, भ्रष्टाचार (Corruption) और एक ऐसी व्यवस्था (Corrupt System) की है जो तरक्की को रोकती है। इन्हें अब देश के विकास की कहानी पर भरोसा ही नहीं है।
कौन हैं ये सीईओMave Health नाम की मेंटल वेलनेस स्टार्टअप के फाउंडर ( Startup Founder ) और सीईओ हैं धवल जैन। उन्हें अब देश की विकास की कहानी पर भरोसा नहीं है। उन्होंने X पर एक पोस्ट कर सरकारी सिस्टम में गड़बड़ी, खराब इंफ्रास्ट्रक्चर और ऐसे माहौल की आलोचना की है जहां मुश्किलों का हल निकालने से ज़्यादा शॉर्टकट को बढ़ावा मिलता है। जैन ने लिखा है, "सालों तक मुझे लगा कि हम बस एक गरीब देश हैं। कि तरक्की सब ठीक कर देगी। लेकिन बदलाव नहीं आ रहा।"
ऐसा क्यों लगा?उनके लिए यह सब तब हुआ जब उनके पड़ोसी के बेटे की एक गड्ढे वाली सड़क पर हुए एक्सीडेंट में मौत हो गई। सड़क को तो घंटों में ठीक कर दिया गया, लेकिन सिर्फ़ उसी एक जगह को। हफ्तों बाद, वह फिर से वैसी ही हो गई जैसी पहले थी। उन्होंने लिखा, "सोचिए उन्हें कैसा महसूस हुआ होगा।" जैन कहते हैं कि यह एक आम बात है। नेता सफाई का प्रचार करते हैं, लेकिन सार्वजनिक जगहों को गंदा छोड़ देते हैं। टैक्स का पैसा कहां जाता है, इसका कोई हिसाब नहीं। छोटे-मोटे काम करवाने के लिए भी रिश्वत देनी पड़ती है। उन्होंने कहा, "अगर आपके पास अच्छी नीयत है तो काम करवाना एक बुरे सपने जैसा है।"
लोगों को निराश करती है व्यवस्थावह इस देश के नागरिकों को दोष नहीं देते। उनका कहना है कि यह व्यवस्था ही ऐसी बनाई गई है जो लोगों को निराश करती है। उन्होंने लिखा, "अच्छी शुरुआत ऊपर से होती है," और सार्वजनिक नेताओं की ओर इशारा किया जो उन नियमों का पालन नहीं करते जो वे दूसरों से उम्मीद करते हैं। उनकी आलोचना देश की नई टेक्नोलॉजी को अपनाने में हिचकिचाहट पर भी जाती है। जैन का कहना है कि भारत ऑटोमेशन और AI के लिए तैयार नहीं है, और उन्हें डर है कि लाखों नौकरियां खत्म हो जाएंगी जबकि नीतियां पीछे रह जाएंगी।
उम्मीद की किरण कहांउनकी नज़र में उम्मीद की इकलौती किरण देश के उद्यमी हैं। उन्होंने कहा, "युवा भारतीय सिस्टम बना रहे हैं, रिसर्च में पैसा लगा रहे हैं, स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बना रहे हैं। वे ज़्यादा पहचान के हक़दार हैं।" जैन का संदेश सिर्फ़ अपनी सुविधा के बारे में शिकायत नहीं है। उन्होंने लिखा, "यह कोई गुस्सा नहीं है। मैं ज़्यादातर प्राइवेट सेवाओं के एक बुलबुले में रहता हूं। लेकिन मैं चाहता हूँ कि देश बेहतर करे।" वह एक शांत चुनौती के साथ अपनी बात खत्म करते हैं। "मुझे उम्मीद है कि भारत किसी और ब्रह्मांड में फल-फूल रहा होगा, क्योंकि मुझे सच में विश्वास है कि वह कर सकता है।"
कौन हैं ये सीईओMave Health नाम की मेंटल वेलनेस स्टार्टअप के फाउंडर ( Startup Founder ) और सीईओ हैं धवल जैन। उन्हें अब देश की विकास की कहानी पर भरोसा नहीं है। उन्होंने X पर एक पोस्ट कर सरकारी सिस्टम में गड़बड़ी, खराब इंफ्रास्ट्रक्चर और ऐसे माहौल की आलोचना की है जहां मुश्किलों का हल निकालने से ज़्यादा शॉर्टकट को बढ़ावा मिलता है। जैन ने लिखा है, "सालों तक मुझे लगा कि हम बस एक गरीब देश हैं। कि तरक्की सब ठीक कर देगी। लेकिन बदलाव नहीं आ रहा।"
I was high on India’s growth story. But not anymore.
— Dhawal Jain (@thatssodhawal) October 27, 2025
For years, I thought we were on the right path, it’s only that we’re a poor country (thanks to colonisation) but as our income grows everything will change. And that’s going to happen soon. We’ll have great infrastructure,… pic.twitter.com/Ez4SxImXaA
ऐसा क्यों लगा?उनके लिए यह सब तब हुआ जब उनके पड़ोसी के बेटे की एक गड्ढे वाली सड़क पर हुए एक्सीडेंट में मौत हो गई। सड़क को तो घंटों में ठीक कर दिया गया, लेकिन सिर्फ़ उसी एक जगह को। हफ्तों बाद, वह फिर से वैसी ही हो गई जैसी पहले थी। उन्होंने लिखा, "सोचिए उन्हें कैसा महसूस हुआ होगा।" जैन कहते हैं कि यह एक आम बात है। नेता सफाई का प्रचार करते हैं, लेकिन सार्वजनिक जगहों को गंदा छोड़ देते हैं। टैक्स का पैसा कहां जाता है, इसका कोई हिसाब नहीं। छोटे-मोटे काम करवाने के लिए भी रिश्वत देनी पड़ती है। उन्होंने कहा, "अगर आपके पास अच्छी नीयत है तो काम करवाना एक बुरे सपने जैसा है।"
लोगों को निराश करती है व्यवस्थावह इस देश के नागरिकों को दोष नहीं देते। उनका कहना है कि यह व्यवस्था ही ऐसी बनाई गई है जो लोगों को निराश करती है। उन्होंने लिखा, "अच्छी शुरुआत ऊपर से होती है," और सार्वजनिक नेताओं की ओर इशारा किया जो उन नियमों का पालन नहीं करते जो वे दूसरों से उम्मीद करते हैं। उनकी आलोचना देश की नई टेक्नोलॉजी को अपनाने में हिचकिचाहट पर भी जाती है। जैन का कहना है कि भारत ऑटोमेशन और AI के लिए तैयार नहीं है, और उन्हें डर है कि लाखों नौकरियां खत्म हो जाएंगी जबकि नीतियां पीछे रह जाएंगी।
उम्मीद की किरण कहांउनकी नज़र में उम्मीद की इकलौती किरण देश के उद्यमी हैं। उन्होंने कहा, "युवा भारतीय सिस्टम बना रहे हैं, रिसर्च में पैसा लगा रहे हैं, स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बना रहे हैं। वे ज़्यादा पहचान के हक़दार हैं।" जैन का संदेश सिर्फ़ अपनी सुविधा के बारे में शिकायत नहीं है। उन्होंने लिखा, "यह कोई गुस्सा नहीं है। मैं ज़्यादातर प्राइवेट सेवाओं के एक बुलबुले में रहता हूं। लेकिन मैं चाहता हूँ कि देश बेहतर करे।" वह एक शांत चुनौती के साथ अपनी बात खत्म करते हैं। "मुझे उम्मीद है कि भारत किसी और ब्रह्मांड में फल-फूल रहा होगा, क्योंकि मुझे सच में विश्वास है कि वह कर सकता है।"
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