प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बाबा रामदेव की कंपनी पंतजलि आयुर्वेद को तगड़ा झटका दिया है। कंपनी की ओर से हाईकोर्ट में 273.5 करोड़ रुपये के जीएसटी नोटिस खिलाफ याचिका दाखिल की गई थी, जिसको कोर्ट ने सोमवार को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने पंतजलि को उस दलील को मानने से इनकार कर दिया, जिसमें कंपनी ने कहा कि क्रिमिनल ट्रायल होने के बाद ही ऐसी पेनाल्टी लगनी चाहिए। सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि टैक्स अथॉरिटीज की ओर से जीएसटी ऐक्ट के सेक्शन 122 के तहत पेनाल्टी लगाई जा सकती है। इसके लिए ट्रायल की जरूर नहीं है।
जस्टिस शेखर बी सर्राफ और जस्टिस विपिन चंद्र दीक्षित की बेंच ने सोमवार को दायर याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि जीएसट की पेनाल्टी का मामला सिविल प्रकृति का है। इसमें क्रिमिनल ट्रायल की कोई जरूर नहीं है। जीएसटी अधिकारी कार्रवाई को आगे बढ़ सकते हैं। इसके लिए मुकदमे की जरूरत नहीं है। उत्तराखंड के हरिद्वार, हरियाणा के सोनीपत और महाराष्ट्र के अहमदनगर में पतंजिल आयुर्वेद लिमिटेड की तीन यूनिट्स हैं। जहां संदिग्ध लेने-देने की जानकारी मिली थी। इनपुट ट्रैक्स क्रेडिट (आईटीसी) की उपयोगिता तो अधिक थी, लेकिन उनके पास कोई आयकर दस्तावेज नहीं थे।
पतंजलि आयुर्वेद कंपनी को डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (DGGST) इंटेलिजेंस ने 19 अप्रैल 2014 को कारण बताओ नोटिस दी थी, जिसमें 273.5 करोड़ रुपये की पेनाल्टी लगाई थी। 10 जनवरी को नोटिस को वापस ले ली गई थी। जीएसटी ने पाया कि सभी वस्तुओं के मामले में आपूर्तिकर्ताओं से खरीदी गई मात्राओं की तुलना में बेची गई मात्रा हमेशा अधिक थी। विवादित वस्तुओं पर प्राप्त की गई आईटीसी को याचिकाकर्ता की ओर से आगे स्थानांतरित कर दिया गया था। इसके बाद जीएसटी अधिकारियों ने धारा 122 के तहत दंडात्मक कार्रवाई जारी रखने का निर्णय लिया। जिसे पतंजलि आयुर्वेद कंपनी की ओर से हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।
जस्टिस शेखर बी सर्राफ और जस्टिस विपिन चंद्र दीक्षित की बेंच ने सोमवार को दायर याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि जीएसट की पेनाल्टी का मामला सिविल प्रकृति का है। इसमें क्रिमिनल ट्रायल की कोई जरूर नहीं है। जीएसटी अधिकारी कार्रवाई को आगे बढ़ सकते हैं। इसके लिए मुकदमे की जरूरत नहीं है। उत्तराखंड के हरिद्वार, हरियाणा के सोनीपत और महाराष्ट्र के अहमदनगर में पतंजिल आयुर्वेद लिमिटेड की तीन यूनिट्स हैं। जहां संदिग्ध लेने-देने की जानकारी मिली थी। इनपुट ट्रैक्स क्रेडिट (आईटीसी) की उपयोगिता तो अधिक थी, लेकिन उनके पास कोई आयकर दस्तावेज नहीं थे।
पतंजलि आयुर्वेद कंपनी को डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (DGGST) इंटेलिजेंस ने 19 अप्रैल 2014 को कारण बताओ नोटिस दी थी, जिसमें 273.5 करोड़ रुपये की पेनाल्टी लगाई थी। 10 जनवरी को नोटिस को वापस ले ली गई थी। जीएसटी ने पाया कि सभी वस्तुओं के मामले में आपूर्तिकर्ताओं से खरीदी गई मात्राओं की तुलना में बेची गई मात्रा हमेशा अधिक थी। विवादित वस्तुओं पर प्राप्त की गई आईटीसी को याचिकाकर्ता की ओर से आगे स्थानांतरित कर दिया गया था। इसके बाद जीएसटी अधिकारियों ने धारा 122 के तहत दंडात्मक कार्रवाई जारी रखने का निर्णय लिया। जिसे पतंजलि आयुर्वेद कंपनी की ओर से हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।
You may also like
बांग्लादेश में गैस सिलेंडर से लदा ट्रक पलटा,लगी आग, जोरदार धमाका
NEET-PG 2025 अब 3 अगस्त को? परीक्षा के लिए NBEMS ने सुप्रीम कोर्ट से की तारीख बदलने की मांग
राजस्थान में बारात के जश्न से पहले आई बड़ी त्रासदी, दूल्हे की हादसे में मौत से घर में छाया मातम का सन्नाटा
दक्षिण कोरिया में लिबरल नेता ली जे-म्युंग बने नए राष्ट्रपति, किम मून-सू ने मानी हार
आईपीएल 2025 : मैंने हार्दिक को कहा था 'पांड्या परिवार' 11 साल में नौ ट्रॉफी जीतेगा- क्रुणाल