वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत के साथ रिश्ते पर की गई टिप्पणियां चर्चा में है। ट्रंप ने पहले कहा कि अमेरिका ने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया है। इसके एक दिन बाद शनिवार को डोनाल्ड ट्रंप के तेवर बदल गए। ट्रंप ने भारत-अमेरिका के रिश्तों को खास बताते हुए कहा कि पीएम मोदी हमेशा उनके दोस्त रहेंगे। ट्रंप के इस रुख पर लेखक और विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने प्रतिक्रिया दी है। चेलानी का मानना है कि ट्रंप ने भारत के साथ रिश्ते को अहमियत देते हुए रास्ता निकालने का संकेत दिया है।
चेलानी ने एक्स पर अपनी पोस्ट में लिखा, 'ट्रंप ने भारत को चीन के हाथों खो देने की बात कही फिर मोदी से रिश्ते पर जोर दिया। उनकी चेतावनी से यह आश्वस्त करने तक कि अमेरिका और भारत के बीच एक खास रिश्ता है, विदेश नीति के प्रति उनके सहज लेन-देन वाले दृष्टिकोण को दर्शाता है। इस तरह के शिफ्ट उन्हें एक साथ कई सुनने वालों को संबोधित करने का मौका देती है। अपने घरेलू आधार को मजबूत करते हुए वह प्रमुख सहयोगियों से संबंध रखने की कोशिश में हैं।'
यही ट्रंप का स्टाइलचेलानी आगे कहते हैं, 'डोनाल्ड ट्रंप के बयानों में विरोधाभास नए नहीं हैं। ये ट्रंप की राजनीतिक शैली की पहचान हैं। उनके मैसेज मीडिया के नजरिए, प्रभाव और सार्वजनिक बातचीत पर हावी होने की जरूरत से प्रेरित होते हैं। ट्रंप के स्टाइल में एक दिन की सख्त बातचीत को अगले दिन बिना किसी परवाह वापस लिया जा सकता है। भारत के मामले में यह चेतावनी सार्वजनिक दबाव की रणनीति के रूप में आई और फिर दोस्ती की बात ने उन्हें कमजोर नजर आए बिना तनाव कम करने में मदद की।'
चेलानी ने एक्स पर अपनी पोस्ट में लिखा, 'ट्रंप ने भारत को चीन के हाथों खो देने की बात कही फिर मोदी से रिश्ते पर जोर दिया। उनकी चेतावनी से यह आश्वस्त करने तक कि अमेरिका और भारत के बीच एक खास रिश्ता है, विदेश नीति के प्रति उनके सहज लेन-देन वाले दृष्टिकोण को दर्शाता है। इस तरह के शिफ्ट उन्हें एक साथ कई सुनने वालों को संबोधित करने का मौका देती है। अपने घरेलू आधार को मजबूत करते हुए वह प्रमुख सहयोगियों से संबंध रखने की कोशिश में हैं।'
यही ट्रंप का स्टाइलचेलानी आगे कहते हैं, 'डोनाल्ड ट्रंप के बयानों में विरोधाभास नए नहीं हैं। ये ट्रंप की राजनीतिक शैली की पहचान हैं। उनके मैसेज मीडिया के नजरिए, प्रभाव और सार्वजनिक बातचीत पर हावी होने की जरूरत से प्रेरित होते हैं। ट्रंप के स्टाइल में एक दिन की सख्त बातचीत को अगले दिन बिना किसी परवाह वापस लिया जा सकता है। भारत के मामले में यह चेतावनी सार्वजनिक दबाव की रणनीति के रूप में आई और फिर दोस्ती की बात ने उन्हें कमजोर नजर आए बिना तनाव कम करने में मदद की।'
Trump’s rapid shift—from warning that India has been “lost” to “deepest, darkest China” to reassuring that the U.S. and India share a “very special bond”—reflects his instinctive, transactional approach to foreign policy. This kind of rhetorical whiplash allows him to speak to…
— Dr. Brahma Chellaney (@Chellaney) September 6, 2025
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