नई दिल्लीः दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई शहरों में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। डॉक्टरों के मुताबिक यह हर उम्र के व्यक्ति और यहां तक कि गर्भ में पल रहे बच्चों के लिए भी खतरनाक है। IIT दिल्ली समेत कई प्रमुख संस्थानों द्वारा किए गए एक संयुक्त अध्ययन में पाया गया है कि गर्भावस्था के दौरान हवा में सूक्ष्म कण प्रदूषण (PM2.5) का स्तर बढ़ने से बच्चों के समय से पहले जन्म लेने और कम वजन के पैदा होने की संभावना में काफी बढ़ोतरी होती है।   
   
गर्भवती महिलाओं को खतराअध्ययन के अनुसार, पीएम 2.5 का स्तर 40 होने के बाद हवा में हर 10 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पीएम 2.5 बढ़ने पर कम वजन वाले बच्चों की दर 5 फीसदी और समय से पहले जन्म की दर 12 फीसदी तक बढ़ जाती है। एनवायरनमेंट एपिडेमियोलॉजी पर रिसर्च करने वाले IIT' दिल्ली के वैज्ञानिक अरूप जाना इस स्टडी के प्रमुख रिसर्चर है। यह शोध नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आंकड़ों और सैटेलाइट रास्टर इमेज के संयोजन से तैयार किया गया है। इसमें गर्भवती महिलाओं के निवास क्षेत्र की वायु गुणवत्ता का विश्लेषण करते हुए यह समझने की कोशिश की गई कि गर्भावस्था के दौरान प्रदूषण किस हद तक जन्म को प्रभावित करता है।
     
नवजात का हेल्थ जोखिम बढ़ता है तेजी सेअध्ययन में कई स्टेटिस्टिकल और स्थानिक मॉडल जैसे मल्टीस्केल ज्योग्राफिकली रिग्रेशन वेटेड (MGWR) का उपयोग किया गया। अध्ययन में बताया गया है कि जिन माताओं को गर्भावस्था के दौरान पीएम 2.5 का अधिक स्तर झेलना पड़ा, उनमें कम वजन वाले बच्चों के जन्म की आशंका 1.4 गुना और समय से पहले प्रसव की आशंका 1.7 गुना अधिक रही। शोध में यह भी पाया गया कि जब हवा में पीएम 2.5 का स्तर 40 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ऊपर जाता है, तब नवजात का हेल्थ जोखिम तेजी से बढ़ता है।
गर्भवती महिलाओं को खतराअध्ययन के अनुसार, पीएम 2.5 का स्तर 40 होने के बाद हवा में हर 10 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पीएम 2.5 बढ़ने पर कम वजन वाले बच्चों की दर 5 फीसदी और समय से पहले जन्म की दर 12 फीसदी तक बढ़ जाती है। एनवायरनमेंट एपिडेमियोलॉजी पर रिसर्च करने वाले IIT' दिल्ली के वैज्ञानिक अरूप जाना इस स्टडी के प्रमुख रिसर्चर है। यह शोध नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आंकड़ों और सैटेलाइट रास्टर इमेज के संयोजन से तैयार किया गया है। इसमें गर्भवती महिलाओं के निवास क्षेत्र की वायु गुणवत्ता का विश्लेषण करते हुए यह समझने की कोशिश की गई कि गर्भावस्था के दौरान प्रदूषण किस हद तक जन्म को प्रभावित करता है।
नवजात का हेल्थ जोखिम बढ़ता है तेजी सेअध्ययन में कई स्टेटिस्टिकल और स्थानिक मॉडल जैसे मल्टीस्केल ज्योग्राफिकली रिग्रेशन वेटेड (MGWR) का उपयोग किया गया। अध्ययन में बताया गया है कि जिन माताओं को गर्भावस्था के दौरान पीएम 2.5 का अधिक स्तर झेलना पड़ा, उनमें कम वजन वाले बच्चों के जन्म की आशंका 1.4 गुना और समय से पहले प्रसव की आशंका 1.7 गुना अधिक रही। शोध में यह भी पाया गया कि जब हवा में पीएम 2.5 का स्तर 40 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ऊपर जाता है, तब नवजात का हेल्थ जोखिम तेजी से बढ़ता है।
You may also like

गाजा युद्धविराम से भारत की बल्ले-बल्ले, IMEC गलियारे पर काम शुरू, इजरायल बोला- हम करेंगे पूरी मदद

अमेरिका के पूर्व उपराष्ट्रपति डिक चेनी का निधन

ChatGPT Go भारत में हुआ फ्री! लेकिन जिन्होंने पैसे दिए थे, क्या उन्हें रिफंड मिलेगा? जानें OpenAI ने क्या कहा

आईसीसी की वनडे रैंकिंग में नंबर वन बल्लेबाज बनीं लौरा वोल्वार्ड्ट

कार्तिक पूर्णिमा पर बलिया में पांच लाख लोग लगाएंगे आस्था की डुबकी




