नई दिल्ली: पाकिस्तान खेल करने का माहिर है। वह हर किसी के साथ ठगी करने के लिए जाना जाता है। उसने फिर कुछ ऐसा किया है जिसके कारण अमेरिका को उसे अल्टीमेटम देना पड़ा है। अमेरिका ने पाकिस्तान की वित्तीय पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं। 2025 की फिस्कल ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट में सैन्य और खुफिया खर्चों को दिखाने में कमियां बताई गई हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान ने बजट और साल के अंत की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया। लेकिन, सैन्य और खुफिया बजट पर संसद या जनता की निगरानी नहीं थी। पाकिस्तान आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक जैसी ग्लोबल संस्थाओं से कर्ज लेकर उसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ आतंकियों को पालने-पोसने में करता रहा है। इसे लेकर भारत भी बार-बार अपनी चिंता जताता आया है।
अमेरिका के विदेश विभाग ने 2025 की फिस्कल ट्रांसपेरेंसी रिटपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान अपने बजट को सार्वजनिक करने, उसकी जांच करने और सार्वजनिक धन का प्रबंधन करने में कैसा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के सैन्य और खुफिया बजट पर संसद या जनता की निगरानी नहीं है।
जनता की निगरानी में लाने को कहारिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान को वित्तीय पारदर्शिता बढ़ाने के लिए सैन्य और खुफिया एजेंसियों के बजट को संसद या जनता की निगरानी में लाना चाहिए। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, विदेश विभाग ने पाकिस्तान से यह भी कहा है कि वह समय पर अपना कार्यकारी बजट प्रस्ताव प्रकाशित करे। सरकार ने समय पर अपना कार्यकारी बजट प्रस्ताव प्रकाशित नहीं किया। अगर इसे पहले जारी किया जाता तो इस पर बेहतर बहस और जांच हो सकती थी।
अमेरिका ने पाकिस्तान से कहा है कि वह अपने रक्षा और खुफिया बजट को संसद या जनता की निगरानी में लाए। इसे वित्तीय जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए जरूरी बताया गया है। खासकर राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों के कर्ज की जानकारी देना जरूरी है। यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब अमेरिका और पाकिस्तान के संबंध सुधर रहे हैं।
कर्ज की दी जा रही है सीमित जानकारी
कर्ज के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने कर्ज की सीमित जानकारी ही सार्वजनिक की है। इसमें राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों का कर्ज भी शामिल है। रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि सरकार को अपने कर्ज की पूरी जानकारी देनी चाहिए। इसमें राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों का कर्ज भी शामिल होना चाहिए।
रिपोर्ट में कुछ अच्छी बातें भी बताई गई हैं। पाकिस्तान का बजट और साल के अंत की रिपोर्ट जनता के लिए आसानी से उपलब्ध है। यह ऑनलाइन भी उपलब्ध है। बजट की जानकारी भरोसेमंद है और इसकी जांच सुप्रीम ऑडिट इंस्टीट्यूशन करता है। ऑडिट इंस्टीट्यूशन अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार स्वतंत्र है।
डॉन के अनुसार, 2025 की रिपोर्ट में पिछली रिपोर्टों की तरह ही कर्ज की पारदर्शिता और रक्षा खर्च पर निगरानी की कमी पर चिंता जताई गई है। यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब पाकिस्तान पर बजट का दबाव बढ़ रहा है। पाकिस्तान के 2025-26 के बजट में 17.57 ट्रिलियन रुपये का आवंटन किया गया है। इसमें से 9.7 ट्रिलियन रुपये कर्ज चुकाने के लिए और 2.55 ट्रिलियन रुपये रक्षा के लिए रखे गए हैं। रक्षा बजट में पिछले साल के मुकाबले लगभग 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
विदेश विभाग ने कहा है कि उसकी सिफारिशों का उद्देश्य पाकिस्तान के वित्तीय प्रबंधन में जनता और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का भरोसा बढ़ाना है। खासकर ऐसे समय में जब पाकिस्तान को अपनी अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए बाहरी वित्तीय सहायता और निवेश की जरूरत है। डॉन ने बताया कि 2025 की फिस्कल ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट में 140 सरकारों और संस्थाओं का मूल्यांकन किया गया है। इसमें बजट प्रकाशन, कर्ज की जानकारी, ऑडिट की स्वतंत्रता और रक्षा और खुफिया जैसे संवेदनशील खर्चों की निगरानी जैसे पहलुओं को देखा गया है।
अमेरिका के विदेश विभाग ने 2025 की फिस्कल ट्रांसपेरेंसी रिटपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान अपने बजट को सार्वजनिक करने, उसकी जांच करने और सार्वजनिक धन का प्रबंधन करने में कैसा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के सैन्य और खुफिया बजट पर संसद या जनता की निगरानी नहीं है।
जनता की निगरानी में लाने को कहारिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान को वित्तीय पारदर्शिता बढ़ाने के लिए सैन्य और खुफिया एजेंसियों के बजट को संसद या जनता की निगरानी में लाना चाहिए। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, विदेश विभाग ने पाकिस्तान से यह भी कहा है कि वह समय पर अपना कार्यकारी बजट प्रस्ताव प्रकाशित करे। सरकार ने समय पर अपना कार्यकारी बजट प्रस्ताव प्रकाशित नहीं किया। अगर इसे पहले जारी किया जाता तो इस पर बेहतर बहस और जांच हो सकती थी।
अमेरिका ने पाकिस्तान से कहा है कि वह अपने रक्षा और खुफिया बजट को संसद या जनता की निगरानी में लाए। इसे वित्तीय जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए जरूरी बताया गया है। खासकर राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों के कर्ज की जानकारी देना जरूरी है। यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब अमेरिका और पाकिस्तान के संबंध सुधर रहे हैं।
कर्ज की दी जा रही है सीमित जानकारी
कर्ज के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने कर्ज की सीमित जानकारी ही सार्वजनिक की है। इसमें राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों का कर्ज भी शामिल है। रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि सरकार को अपने कर्ज की पूरी जानकारी देनी चाहिए। इसमें राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों का कर्ज भी शामिल होना चाहिए।
रिपोर्ट में कुछ अच्छी बातें भी बताई गई हैं। पाकिस्तान का बजट और साल के अंत की रिपोर्ट जनता के लिए आसानी से उपलब्ध है। यह ऑनलाइन भी उपलब्ध है। बजट की जानकारी भरोसेमंद है और इसकी जांच सुप्रीम ऑडिट इंस्टीट्यूशन करता है। ऑडिट इंस्टीट्यूशन अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार स्वतंत्र है।
डॉन के अनुसार, 2025 की रिपोर्ट में पिछली रिपोर्टों की तरह ही कर्ज की पारदर्शिता और रक्षा खर्च पर निगरानी की कमी पर चिंता जताई गई है। यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब पाकिस्तान पर बजट का दबाव बढ़ रहा है। पाकिस्तान के 2025-26 के बजट में 17.57 ट्रिलियन रुपये का आवंटन किया गया है। इसमें से 9.7 ट्रिलियन रुपये कर्ज चुकाने के लिए और 2.55 ट्रिलियन रुपये रक्षा के लिए रखे गए हैं। रक्षा बजट में पिछले साल के मुकाबले लगभग 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
विदेश विभाग ने कहा है कि उसकी सिफारिशों का उद्देश्य पाकिस्तान के वित्तीय प्रबंधन में जनता और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का भरोसा बढ़ाना है। खासकर ऐसे समय में जब पाकिस्तान को अपनी अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए बाहरी वित्तीय सहायता और निवेश की जरूरत है। डॉन ने बताया कि 2025 की फिस्कल ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट में 140 सरकारों और संस्थाओं का मूल्यांकन किया गया है। इसमें बजट प्रकाशन, कर्ज की जानकारी, ऑडिट की स्वतंत्रता और रक्षा और खुफिया जैसे संवेदनशील खर्चों की निगरानी जैसे पहलुओं को देखा गया है।
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