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पुलिस पर फायरिंग, आंसू गैस के गोले... 2014 में संत रामपाल का आश्रम बन गई थी रणभूमि, जानिए अब क्यों मिली जमानत

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चंडीगढ़: साल 2014 में हरियाणा के हिसार जिले में पुलिस और रामपाल के समर्थकों के बीच हुई हिंसा ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। संत रामपाल का ये आश्रम रणभूमि में बदल गया था। इस दौरान जमकर फायरिंग, आंसू गैस के गोले और पत्थरबाजी हुई थी। अब इस मामले में रामपाल को जमानत मिल गई, जिससे मामला फिर चर्चा में हैं। पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने सतलोक आश्रम प्रमुख स्वयंभू बाबा रामपाल को जमानत दी है। कोर्ट ने आश्रम में पांच लोगों की मौत के मामले में उम्र कैद की सजा को सस्पेंड कर दिया है। 2018 में रामपाल को सजा सुनाई गई थी। कोर्ट ने कहा कि रामपाल 10 साल, 8 महीने और 21 दिन जेल में बिता चुका है। उसकी उम्र 74 साल है इसलिए उसकी सजा को निलंबित करने का फैसला किया गया है। कोर्ट ने रामपाल को जमानत देते हुए कई शर्तें रखी हैं।





नवंबर 2014 में हुई थी बरवाला आश्रम में झड़प

19 नवंबर 2014 को बरवाला आश्रम के बाहर रामपाल की गिरफ्तारी के दौरान पुलिस से उसके समर्थकों की झड़प हुई थी। रामपाल समर्थकों ने आश्रम में आए लोगों को बंधक बना लिया था और पुलिस पर गोलीबारी थी। पुलिस को हालात काबू में करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े थे। इस घटना में सैकड़ों लोग घायल हुए थे और चार महिला समेत पांच लोगों की मौत हुई थी। पुलिस को आश्रम से 15,000 लोगों को निकालना पड़ा था। स्वयंभू बाबा रामपाल के खिलाफ हिसार जिले के बरवाला पुलिस स्टेशन में दर्ज किए गए थे। बाद में पुलिस ने रामपाल और उसके की समर्थकों को हत्या और आपराधिक साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया था। 2018 में रामपाल और कुछ अनुयायियों को हत्या, गलत तरीके से कैद करने और आपराधिक साजिश से जुड़े दो अलग-अलग मामलों में दोषी ठहराया गया था।





जानिए दोनों पक्षों के वकीलों ने क्या कहा

रामपाल ने हाई कोर्ट में अपनी सजा को चुनौती दी और इस पर रोक लगाने की मांग की थी। उसके वकील ने कोर्ट में दलील दी कि सतलोक आश्रम में मौतें आंसू गैस के गोले के कारण हुईं थी। उन्होंने कहा कि आंसू गैस के कारण दम घुटने की स्थिति पैदा हो गई थी, इससे भगदड़ मच गई और पांच लोगों की मौत हो गई। वकील ने दावा किया कि मेडिकल रिपोर्ट से पता चलता है कि मौतें प्राकृतिक कारणों से हुईं। वकील ने कहा कि रामपाल 74 साल का है. वह 10 साल से ज्यादा समय से जेल में है। उसके 13 सह-आरोपियों को पहले ही जमानत मिल चुकी है इसलिए, उसे भी जमानत मिलनी चाहिए। सरकारी वकील ने दलील का विरोध करते हुए कहा कि रामपाल ने महिलाओं और अन्य लोगों को बंधक बनाकर रखा था। उसने उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया था। इससे दम घुटने की स्थिति पैदा हो गई और उनकी मौत हो गई।





शर्तों के साथ मिली रामपाल को जमानत

जस्टिस गुरविंदर सिंह गिल और जस्टिस दीपेंद्र सिंह नलवा की बेंच ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद आजीवन कारावास की सजा पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा कि रामपाल के खिलाफ महिलाओं और अन्य लोगों को बंदी बनाने का आरोप है। यह निश्चित रूप से कुछ विवादास्पद मुद्दा है। इस केस में चश्मदीदों ने अभियोजन पक्ष का समर्थन नहीं किया है, जबकि वे मरने वालों के रिश्तेदार हैं। उन्होंने कहा है कि आंसू गैस के गोले के कारण दम घुटने की स्थिति पैदा हो गई थी। कोर्ट ने रामपाल को चेतावनी दी है कि वह किसी भी तरह से भीड़ जमा करने को बढ़ावा नही देगा। उसे ऐसी सभाओं में शामिल होने से बचना चाहिए जहां शांति भंग होने का खतरा हो। कोर्ट ने कहा कि अगर रामपाल ने जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया, तो उसकी जमानत रद्द कर दी जाएगी।

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