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राष्ट्रीय राजमार्गों पर स्पीड हो रही 53% तक कम; रिंग रोड, बाईपास और एलिवेटेड रोड बनाने पर जोर

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजमार्गों पर बढ़ते लोकल ट्रैफिक, अवैध कब्जे और सटीक योजना के अभाव में ट्रैफिक संचालन में हो रही परेशानी को दूर करने के लिए केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने शहरी कनेक्टिविटी को और अधिक मजबूत करने के लिए रिंग रोड, बाईपास और जरूरत के मुताबिक एलिवेटेड रोड बनाने पर जोर दिया। ताकि नेशनल हाईवे पर लोकल ट्रैफिक का लोड कम से कम पड़ सके।



उच्च स्तरीय वर्कशॉप का आयोजनइसके लिए बुधवार को केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में दिल्ली में एक उच्च स्तरीय वर्कशॉप का आयोजन किया गया, जिसमें केंद्रीय राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा और अजय टम्टा समेत राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी और म्युनिसिपल कमिश्नर भी शामिल हुए।



मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि इसमें देश के 83 मुख्य शहरों में 2022 से अब तक आबादी और गाड़ियों के बढ़ने की तुलना करते हुए इनसे निकल रहे राष्ट्रीय राजमार्गों पर ट्रैफिक के बढ़ते दबाव के बारे में विस्तार से बात की गई। जिसमें दिल्ली-एनसीआर समेत लखनऊ, मुंबई और अन्य शहर शामिल हैं।



बढ़ती आबादी के हिसाब से विकास नहीं हुआबताया गया कि यहां आबादी जिस तेजी से बढ़ती जा रही है। उस स्पीड से यहां अन्य विकास कार्यों में तेजी नहीं हुई। इससे शहरों का लोकल ट्रैफिक, कमजोर ट्रैफिक मैनेजमेंट और अवैध कब्जों ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर भीड़ को बढ़ा दिया। इस वजह से कुछ नेशनल हाईवे पर तो ट्रैफिक की स्पीड 53 फीसदी तक कम हो गई है।



तेल ज्यादा लगता है और ट्रांसपोर्ट की लागत भी बढ़ती है

इससे ना केवल तेल अधिक फुंकता है बल्कि ट्रांसपोर्ट की लागत भी बढ़ती है। बाजारों में माल देरी से पहुंचता है। इन सभी का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ता है। ऐसे में जरूरी है कि राज्य सरकारों के साथ मिलकर शहरों से निकलने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों पर भीड़-भाड़ कम करने के लिए बड़े स्तर पर अगले कम से कम 20 साल को सोचते हुए काम किया जाए। जिसमें सबसे पहले जरूरी है कि ट्रैफिक को डायवर्ट करने के लिए रिंग रोड बनाए जाएं। जहां पहले से रिंग रोड हैं, वहां अतिरिक्त रिंग रोड बनाए जाने की बात कही गई। साथ ही बाईपास और जरूरत के मुताबिक एलिवेटेड रोड बनाने पर जोर दिया गया।



मीटिंग में इस बात पर भी विचार-विमर्श किया गया कि इस तरह के प्रोजेक्टों में केंद्र और राज्य सरकारों के बीच कई बार समन्वय की कमी होती है। इसे मजबूत करने पर जोर दिया गया। ताकि केंद्र और राज्य सरकार मिलकर शहरों में बढ़ते ट्रैफिक लोड को डायवर्ट कर सकें।

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