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भारत-पाकिस्तान जंग पर गिद्ध की तरह नजर गड़ाए बैठा है ड्रैगन, भारत के हमलों की जमीन से आसमान तक यूं जासूसी कर रहा चीन

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इस्लामाबाद/बीजिंग: पहलगाम आतंकी हमला करवाकर पाकिस्तान सोच रहा था कि वो बचकर निकल जाएगा, लेकिन भारत ने जो कहर बरपाया है, उसने आतंकियों को पालने वाले इस देश की कमर तोड़ दी है। भारत ने पाकिस्तान के तीन एयरबेस को तबाह कर दिया है, जिसे पाकिस्तान ने खुद कबूल किया है। लेकिन पाकिस्तान पर होने वाले भारतीय टारगेट पर चीन गिद्ध की नजर गड़ाए बैठा है। चीन भी भारत का दुश्मन ही है और इस बार भी चीन पाकिस्तान का साथ दे रहा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने खुद कबूल है कि सैन्य कार्रवाई के दौरान चीन के राजदूत सुबह 4 बजे तक अपनी टीम के साथ उनके दफ्तर में मौजूद थे। यानि आप समझ सकते हैं कि चीन और पाकिस्तान के बीच कैसा गठजोड़ है।समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) भारत-पाकिस्तान के इस संघर्ष से जुड़ी हर जानकारी, चाहे वो भारतीय ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल का इस्तेमाल हो, एयर डिफेंस सिस्टम की तैनाती हो, या फिर भारतीय नौसेना की गतिशीलता हो, उसे बारीकी से रिकॉर्ड कर रही है। भारत-पाकिस्तान संघर्ष पर चीन की नजरसमाचार एजेंसी रॉयटर्स ने एक्सपर्ट्स और डिप्लोमेट्स के हवाले से कहा है कि चीन इस संघर्ष को एक "रियल टाइम वॉर लैब" की तरह देख रहा है, जहां से वो भारत के रणनीतिक हथियारों के ऑपरेशन, कमांड-एंड-कंट्रोल नेटवर्क और मिसाइल लॉन्च पैटर्न की जानकारी निकालने की कोशिश कर रहा है। चीन की सबसे ज्यादा दिलचस्पी भारतीय ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलों को लेकर है, जिसे भारत और रूस ने मिलकर बनाया है। ब्रह्मोस मिसाइल को ट्रैक करने की क्षमता चीन के पास नहीं है। ब्रह्मोस मिसाइल का इस्तेमाल अभी तक भारत ने सिर्फ टेस्ट के दौरान किया है। ये एक महाविनाशक मिसाइल है और अभी भी भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ इस मिसाइल का इस्तेमाल नहीं किया है। लेकिन अगर भारत इस मिसाइल का इस्तेमाल करता है तो चीन के लिए ब्रह्मोस के असर को देखने का दुर्लभ मौका होगा।चीन का सर्विलांस सिर्फ दोनों देशों के बीच चल रहे मौजूदा संघर्ष तक सीमित नहीं है, बल्कि उसने पिछले कुछ सालों में हिंद महासागर में भी अपनी जासूसी को काफी तेज कर दिया है। स्पेस ट्रैकिंग शिप, ओसियनोग्राफिक रिसर्च शिप और यहां तक की मछली पकड़ने वाले जहाजों के जरिए भी जासूसी करने की कोशिश कर रहा है। एक मई को भी जब भारत अरब सागर में युद्धाभ्यास कर रहा था, उस दौरान अचानक चीन के मछली पकड़ने वाले नौकाओं का एक बड़ा बेड़ा पहुंच गया था। OSINT (Open Source Intelligence) tracker डेमियन सायमॉन ने एक्स पर यह खुलासा किया कि ये जहाज जासूसी जहाज की तरह काम कर सकते हैं, जो रेडियो फ्रीक्वेंसी, रडार रिटर्न और इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल रिकॉर्ड करके PLA को फीड करते हैं। जबकि पेंटागन की कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि मछली पकड़ने वाले जहाजों में सिर्फ मछुआरे नहीं होते, बल्कि नागरिक लिबास में पीएलए के खुफिया एजेंट होते हैं। चीन-पाकिस्तान की डिफेंस पार्टनरशिपचीन और पाकिस्तान के बीच डिफेंस पार्टनरशिप हैं। पाकिस्तान के पास जो एडवांस एयर डिफेंस है, वो चीन का ही है। इसके अलावा पाकिस्तान के पास जो एडवांस हथियार हैं, जैसे की JF-17 फाइटर, VT-4 टैंक और HQ-9B SAM सिस्टम, उनमें से ज्यादातर चीन के ही हैं। इनके जरिए भी चीन लगातार पाकिस्तान से भारत को लेकर डेटा हासिल करता रहता है। पाकिस्तान के कमांड सेंटर पर भी चीन का कंट्रोल है। RSIS सिंगापुर के जेम्स चार ने कहा है कि 'पीएलए के पास इनके डेटा पहुंचते रहते हैं।' चीन के सैन्य सलाहकार और टेक्निकल टीमें रावलपिंडी, चकलाला और पाकिस्तान की जॉइंट स्टाफ कमान में मौजूद रहती हैं। यही टीमें भारत के खिलाफ होने वाली हर मिसाइल लॉन्च, हवाई हमले और जवाबी कार्रवाई का विश्लेषण करने में लगी हैं।डेटा से क्या जानकारियां हासिल करता चीन?
  • ब्रह्मोस मिसाइल के बारे में जानकारी- अगर भारत ब्रह्मोस को पहली बार युद्ध में इस्तेमाल करता है, तो चीन उसकी ट्रेजेक्टरी, एकुरेसी, सीकर परफॉर्मेंस समेत कई और टेक्नोलॉजिकल जानकारियां हासिल कर सकता है।
  • भारतीय एयर डिफेंस नेटवर्क की जानकारी- चीन की कोशिश भारतीय एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम, आकाश मिसाइल सिस्टम और MRSAM सिस्टम के बारे में जानकारियां लेने की होगी। वो इनके रडार लॉक टाइम और फायर कंट्रोल जैसी जानकारियां हासिल कर सकता है।
  • कमांड-एंड-कंट्रोल मेंटालिटी- इसके अलावा चीन इस बात की भी जानकारी हासिल करने की कोशिश कर सकता है कि भारतीय सैनिक किस तरह से फैसले लेते हैं, किस तरह से जवाब देते हैं। जिससे चीनी सैनिकों को भारत के खिलाफ रणनीति बनाने में मदद मिलेगी।
भारत-चीन सीमा विवाद (LAC) और ताइवान संकट को देखते हुए चीन जानता है कि अगला बड़ा युद्ध कब और कहां हो सकता है। उसकी प्लानिंग भी यही है जो कई रिपोर्ट्स में सामने आ चुकी हैं। लेकिन यदि भारत को भविष्य में चीन को मुंहतोड़ जवाब देना है तो उसे हर भारतीय रणनीति और हथियार प्रणाली की जानकारी पहले से लेनी होगी, जो शायद वो ले रहा होगा।
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