नई दिल्ली : हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम का पूरा पैसा न मिलने की बढ़ती शिकायतों के बाद अब बीमा रेगुलेटर IRDAI ने सख्त रुख अपनाया है। IRDAI ने बीमा कंपनियों को दो टूक कहा है कि वे दावों का निपटारा ईमानदारी, पारदर्शिता और तेजी से करें। क्योंकि क्लेम में होने वाली कटौती से ग्राहकों का भरोसा टूट रहा है। IRDAI इस बात की बारीकी से जांच कर रहा है कि हेल्थ इंश्योरेंस के दावों (क्लेम) का पूरा पैसा क्यों नहीं चुकाया जा रहा है। यह मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि कुल शिकायतों में से आधी से ज्यादा हेल्थ पॉलिसी से ही जुड़ी होती हैं।
मंगलवार को 'बीमा लोकपाल दिवस के मौके पर IRDAI के चेयरमैन अजय सेठ ने कहा, हेल्थ इंश्योरेंस में हमें लगातार कुछ कमियां दिख रही हैं। भले ही निपटाए गए दावों की संख्या काफी ज्यादा है, लेकिन जो रकम चुकाई जा रही है, वह कई बार उम्मीद से कम होती है। उन्होंने बीमा कंपनियों से क्लेम निपटाने में ईमानदारी और पारदर्शिता बरतने को कहा। वित्त वर्ष 2024 में मिली 53,230 शिकायतों में से 54% हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर से जुड़ी थीं।
आरोप-प्रत्यारोप
चेयरमैन ने कहा कि बीमा कंपनियों से हमारी उम्मीद बिल्कुल साफ है - दावों का निपटान जल्दी, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हो। इससे कम कुछ भी हमारे उद्योग के भरोसे को कमजोर करता है, जिस पर हमारा पूरा उद्योग टिका है। बीमा कंपनियों का कहना है कि दावों की राशि में कमी इसलिए आती है क्योंकि स्वास्थ्य सेवा प्रदाता, बीमा कंपनियों के साथ तय की गई दरों का पालन नहीं करते। वहीं, अस्पताल बीमा कंपनियों पर चिकित्सा प्रक्रियाओं पर सवाल उठाने का आरोप लगाते हैं।
मंगलवार को 'बीमा लोकपाल दिवस के मौके पर IRDAI के चेयरमैन अजय सेठ ने कहा, हेल्थ इंश्योरेंस में हमें लगातार कुछ कमियां दिख रही हैं। भले ही निपटाए गए दावों की संख्या काफी ज्यादा है, लेकिन जो रकम चुकाई जा रही है, वह कई बार उम्मीद से कम होती है। उन्होंने बीमा कंपनियों से क्लेम निपटाने में ईमानदारी और पारदर्शिता बरतने को कहा। वित्त वर्ष 2024 में मिली 53,230 शिकायतों में से 54% हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर से जुड़ी थीं।
आरोप-प्रत्यारोप
चेयरमैन ने कहा कि बीमा कंपनियों से हमारी उम्मीद बिल्कुल साफ है - दावों का निपटान जल्दी, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हो। इससे कम कुछ भी हमारे उद्योग के भरोसे को कमजोर करता है, जिस पर हमारा पूरा उद्योग टिका है। बीमा कंपनियों का कहना है कि दावों की राशि में कमी इसलिए आती है क्योंकि स्वास्थ्य सेवा प्रदाता, बीमा कंपनियों के साथ तय की गई दरों का पालन नहीं करते। वहीं, अस्पताल बीमा कंपनियों पर चिकित्सा प्रक्रियाओं पर सवाल उठाने का आरोप लगाते हैं।
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