नई दिल्ली: इस समय कॉपर (तांबा) की चर्चा कुछ ज्यादा होने लगी है। कई एक्सपर्ट ने कॉपर को भविष्य की धातु बताया है। यानी यह रिटर्न के मामले में सोना और चांदी को पीछे छोड़ सकती है। वहीं अब वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने भी कॉपर को लेकर अपनी बात रखी है। उन्होंने लाल धातु यानी कॉपर को नया युग बताया है।
अनिल अग्रवाल ने कॉपर को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट की है। उन्होंने एक्स पर लिखा है, 'तांबे का इंसानी सभ्यता की तरक्की और प्राचीन भारत से बहुत गहरा नाता रहा है। करीब 6000 साल पहले दुनिया की पहली महान सभ्यताओं में से एक सिंधु घाटी सभ्यता कॉपर एज (तांबे के युग) में ही फली-फूली। यह वह सभ्यता थी जब हमने पहली बार इस लाल धातु का इस्तेमाल करना सीखा। मुझे विश्वास है कि हम अब एक नए कॉपर युग में प्रवेश कर रहे हैं।'
तांबा कितना जरूरी?अनिल अग्रवाल ने अपनी पोस्ट में बताया है कि तांबा आने वाले समय में इंडस्ट्री की जरूरत बनने वाला है। उन्होंने लिखा कि भविष्य की सभी तकनीकें जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) या ऊर्जा परिवर्तन (energy transition) बहुत बड़े पैमाने पर तांबे पर ही निर्भर करेंगी। उन्होंने लिखा कि तांबा एक बहुत ही उपयोगी धातु है और बिजली की सबसे अच्छा सुचालक (conductor) है।
भारत बन सकता है ग्लोबल लीडरअनिल अग्रवाल का मानना है कि भारत तांबे के मामले में दुनिया का लीडर बन सकता है। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा है, 'हमारे पास मानव संसाधन, प्राकृतिक संसाधन और तकनीकी क्षमता है। हमारा भविष्य उतना ही समृद्ध और गौरवशाली होगा जितना हमारा प्राचीन अतीत था।'
क्या है अन्य एक्सपर्ट की रायकॉपर को नए युग की धातु बताने वाले अनिल अग्रवाल अकेले नहीं हैं। सीनियर एनालिस्ट सुजय यू ने भी कॉपर को भविष्य की धातु बताया है। उन्होंने लिंक्डइन पर लिखा है कि अगले 5 से 10 साल में कॉपर दूसरी अन्य धातुओं यानी सोना और चांदी से आगे निकल सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसकी सप्लाई कम है और ईवी, सोलर पैनल, चार्जिंग स्टेशन, डेटा सेंटर आदि में इसका इस्तेमाल बहुत ज्यादा है।
अनिल अग्रवाल ने कॉपर को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट की है। उन्होंने एक्स पर लिखा है, 'तांबे का इंसानी सभ्यता की तरक्की और प्राचीन भारत से बहुत गहरा नाता रहा है। करीब 6000 साल पहले दुनिया की पहली महान सभ्यताओं में से एक सिंधु घाटी सभ्यता कॉपर एज (तांबे के युग) में ही फली-फूली। यह वह सभ्यता थी जब हमने पहली बार इस लाल धातु का इस्तेमाल करना सीखा। मुझे विश्वास है कि हम अब एक नए कॉपर युग में प्रवेश कर रहे हैं।'
तांबा कितना जरूरी?अनिल अग्रवाल ने अपनी पोस्ट में बताया है कि तांबा आने वाले समय में इंडस्ट्री की जरूरत बनने वाला है। उन्होंने लिखा कि भविष्य की सभी तकनीकें जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) या ऊर्जा परिवर्तन (energy transition) बहुत बड़े पैमाने पर तांबे पर ही निर्भर करेंगी। उन्होंने लिखा कि तांबा एक बहुत ही उपयोगी धातु है और बिजली की सबसे अच्छा सुचालक (conductor) है।
भारत बन सकता है ग्लोबल लीडरअनिल अग्रवाल का मानना है कि भारत तांबे के मामले में दुनिया का लीडर बन सकता है। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा है, 'हमारे पास मानव संसाधन, प्राकृतिक संसाधन और तकनीकी क्षमता है। हमारा भविष्य उतना ही समृद्ध और गौरवशाली होगा जितना हमारा प्राचीन अतीत था।'
Copper has a very close association with the advance of human civilization, and our ancient India. Around 6,000 years ago, the Indus Valley Civilization one of the world's first great civilizations came up in the Copper Age, when we learnt to use the red metal for the first time.… pic.twitter.com/hzWKBWNRIC
— Anil Agarwal (@AnilAgarwal_Ved) November 10, 2025
क्या है अन्य एक्सपर्ट की रायकॉपर को नए युग की धातु बताने वाले अनिल अग्रवाल अकेले नहीं हैं। सीनियर एनालिस्ट सुजय यू ने भी कॉपर को भविष्य की धातु बताया है। उन्होंने लिंक्डइन पर लिखा है कि अगले 5 से 10 साल में कॉपर दूसरी अन्य धातुओं यानी सोना और चांदी से आगे निकल सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसकी सप्लाई कम है और ईवी, सोलर पैनल, चार्जिंग स्टेशन, डेटा सेंटर आदि में इसका इस्तेमाल बहुत ज्यादा है।
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