जयपुर: भारत की तीनों सेनाओं ने राजस्थान के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज (थार रेगिस्तान) में 28-30 अक्टूबर तक 'त्रिशूल' सैन्य अभ्यास शुरू किया। इसमें एक बड़ी सैन्य कवायद 'Sentinel Strike' (सेंटिनल स्ट्राइक) आयोजित की। इसका उद्देश्य सेना की फायरिंग क्षमता, जमीनी मूवमेंट और हवाई ताकत का तालमेल परखना था।   
   
   
क्या है सेंटिनल स्ट्राइक एक्सरसाइज?इस संयुक्त एक्सरसाइज में सेना ने आधुनिक तकनीक, हथियारों और ड्रोन-विरोधी रणनीतियों का प्रदर्शन किया। इस दौरान सेना ने जमीनी और हवाई प्लेटफॉर्म से लाइव फायरिंग (Live Firing) की। इसमें देश में निर्मित लॉन्ग रेंज वेपन सिस्टम, अटैक हेलिकॉप्टर, आर्टिलरी गन, अजेया (T-72) टैंक और BMP जैसे युद्धक वाहन शामिल रहे।
   
     
एक्सरसाइज की खास बातेंसिम्युलेटेड वॉर एनवायरनमेंट अभ्यास को एक काल्पनिक युद्ध परिदृश्य में अंजाम दिया गया, जहां सैनिकों ने ड्रोन और अन्य हवाई खतरों का सामना किया। काउंटर-ड्रोन और C-UAS (Counter-Unmanned Aerial System) तकनीक का उपयोग किया गया। इस ऑपरेशन का मकसद आधुनिक युद्ध के दौरान ड्रोन हमलों से निपटने की सेना की तैयारी को परखना था। मैकेनाइज्ड फोर्सेस (Mechanised Forces) ने तालमेल के साथ तेज मूवमेंट और सटीक फायरिंग की क्षमता का प्रदर्शन किया।
   
   
क्यों महत्वपूर्ण है यह अभ्यासआज के समय में युद्ध का स्वरूप लगातार बदल रहा है। ड्रोन अटैक, साइबर वारफेयर, और टेक्नोलॉजी-बेस्ड कॉम्बैट सिस्टम आधुनिक युद्ध का हिस्सा बन चुके हैं। ऐसे में भारतीय सेना इस तरह के अभ्यासों के जरिए अपनी रियल-टाइम रिस्पॉन्स कैपेबिलिटी, कोऑर्डिनेशन और ड्रोन डिफेंस टेक्नोलॉजी को और मजबूत कर रही है।
क्या है सेंटिनल स्ट्राइक एक्सरसाइज?इस संयुक्त एक्सरसाइज में सेना ने आधुनिक तकनीक, हथियारों और ड्रोन-विरोधी रणनीतियों का प्रदर्शन किया। इस दौरान सेना ने जमीनी और हवाई प्लेटफॉर्म से लाइव फायरिंग (Live Firing) की। इसमें देश में निर्मित लॉन्ग रेंज वेपन सिस्टम, अटैक हेलिकॉप्टर, आर्टिलरी गन, अजेया (T-72) टैंक और BMP जैसे युद्धक वाहन शामिल रहे।
एक्सरसाइज की खास बातेंसिम्युलेटेड वॉर एनवायरनमेंट अभ्यास को एक काल्पनिक युद्ध परिदृश्य में अंजाम दिया गया, जहां सैनिकों ने ड्रोन और अन्य हवाई खतरों का सामना किया। काउंटर-ड्रोन और C-UAS (Counter-Unmanned Aerial System) तकनीक का उपयोग किया गया। इस ऑपरेशन का मकसद आधुनिक युद्ध के दौरान ड्रोन हमलों से निपटने की सेना की तैयारी को परखना था। मैकेनाइज्ड फोर्सेस (Mechanised Forces) ने तालमेल के साथ तेज मूवमेंट और सटीक फायरिंग की क्षमता का प्रदर्शन किया।
क्यों महत्वपूर्ण है यह अभ्यासआज के समय में युद्ध का स्वरूप लगातार बदल रहा है। ड्रोन अटैक, साइबर वारफेयर, और टेक्नोलॉजी-बेस्ड कॉम्बैट सिस्टम आधुनिक युद्ध का हिस्सा बन चुके हैं। ऐसे में भारतीय सेना इस तरह के अभ्यासों के जरिए अपनी रियल-टाइम रिस्पॉन्स कैपेबिलिटी, कोऑर्डिनेशन और ड्रोन डिफेंस टेक्नोलॉजी को और मजबूत कर रही है।
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