नई दिल्ली: रेयर अर्थ पर लड़ाई ठंडी जरूरी हुई है। लेकिन, अभी यह खत्म होती नहीं दिख रही है। चोट खाने के बाद अमेरिका चीन के दबदबे का विकल्प तलाशने लगा है। अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने इसके साफ संकेत दे दिए हैं। उन्होंने कहा है कि चीन ने रेयर अर्थ यानी दुर्लभ पृथ्वी खनिजों के निर्यात को रोकने की धमकी देकर बड़ी गलती की है। फाइनेंशियल टाइम्स को दिए इंटरव्यू में बेसेंट ने यह बात कही। बेसेंट के मुताबिक, चीन की इस धमकी के बाद अमेरिका अगले दो सालों में इन खनिजों के वैकल्पिक स्रोत खोजने की कोशिश करेगा। यह बयान अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की दक्षिण कोरिया में हुई मुलाकात के बाद आया है। दोनों नेताओं ने एशिया-पैसिफिक इकोनॉमिक कोऑपरेशन (एपीईसी) समिट के इतर करीब दो घंटे तक बातचीत की थी। बेसेंट ने कहा, 'चीन ने सबको खतरे से आगाह कर दिया है। उन्होंने एक बहुत बड़ी गलती की है। बंदूक मेज पर रखना एक बात है, हवा में गोलियां चलाना दूसरी बात।'
बेसेंट का रेयर अर्थ पर चीन के निर्यात प्रतिबंध को 'गलती' बताना भारत के लिहाज से भी अहम है। इससे भारत के लिए रणनीतिक और आर्थिक अवसर के दरवाजे खुल गए हैं। चूंकि रेयर अर्थ हाई-टेक इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा उपकरणों और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों की लाइफलाइन हैं। ऐसे में चीन पर अत्यधिक निर्भरता खत्म करने की अमेरिकी रणनीति भारत की खनिज संपदा और बढ़ती भू-राजनीतिक प्रासंगिकता पर केंद्रित हो सकती है। यह घटनाक्रम न केवल भारत को ग्लोबल सप्लाई चेन में 'गेम चेंजर' की भूमिका देगा, बल्कि चीन के दबाव का मुकाबला करने के लिए भारत-अमेरिका आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी को भी नई ऊंचाई पर ले जा सकता है।
रेयर अर्थ को हथियार नहीं बनने देगा अमेरिका बेसेंट ने यह भी बताया कि अमेरिका और चीन के लीडर्स के बीच 'संतुलन' बन गया है। अमेरिका ने चीन को चेतावनी दी है कि वह रेयर अर्थ को हथियार के तौर पर इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। बेसेंट ने कहा, 'एक समझौता हुआ है कि बाकी सब चीजें वैसी ही रहने पर, हम एक संतुलन बनाकर रखेंगे और हम अगले 12 महीनों तक इस संतुलन में काम कर सकते हैं।' उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि चीन का अमेरिका पर दबदबा 12 से 24 महीने से ज्यादा नहीं टिक पाएगा। उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि वे अभी ऐसा कर सकते हैं क्योंकि हमारे पास इसके जवाब में उपाय हैं।'
इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के शी जिनपिंग के साथ एक साल का ऐसा समझौता किया है जिसे बढ़ाया जा सकता है ताकि रेयर अर्थ मिनरल का निर्यात जारी रहे। चीन दुनिया में रेयर अर्थ मिनरल का सबसे बड़ा उत्पादक है। इनका इस्तेमाल लड़ाकू विमान, रोबोट, इलेक्ट्रिक वाहन और अन्य हाई-टेक उत्पादों को बनाने में होता है। चीन ने 9 अक्टूबर 2025 से इन खनिजों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था।
ट्रंप और जिनपिंग की यह मुलाकात दोनों देशों के बीच चल रहे व्यापार युद्ध के छह महीने बाद हुई थी। दोनों नेताओं ने एक-दूसरे पर भारी टैरिफ लगाए। बाद में टैरिफ शांति पर सहमति बनी थी। इसके बाद चीन ने अमेरिका और दुनिया के अन्य देशों को रेयर अर्थ के निर्यात पर अपना कंट्रोल जताया था। बेसेंट ने फाइनेंशियल टाइम्स को बताया, 'मुझे लगता है कि चीनी नेतृत्व उनके निर्यात नियंत्रण पर वैश्विक प्रतिक्रिया से थोड़ा चिंतित था।'
क्यों रेयर अर्थ महत्वपूर्ण?
रेयर अर्थ ऐसे 17 रासायनिक तत्वों का समूह है जो आधुनिक तकनीक के लिए बहुत जरूरी हैं। इनमें मोबाइल फोन, कंप्यूटर, इलेक्ट्रिक कार की बैटरियां, पवन टरबाइन और रक्षा उपकरण बनाने में इस्तेमाल होने वाले पुर्जे शामिल हैं। चीन इन खनिजों का सबसे बड़ा उत्पादक है और दुनिया भर में इनकी सप्लाई पर उसका बड़ा नियंत्रण है। इसी वजह से चीन की निर्यात नीतियों में कोई भी बदलाव वैश्विक बाजारों को प्रभावित कर सकता है।
अमेरिका और चीन के बीच यह तनाव तब और बढ़ गया जब चीन ने इन खनिजों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दी। इस धमकी का सीधा मतलब था कि अमेरिका को अपने हाई-टेक उद्योगों के लिए जरूरी सामग्री मिलना मुश्किल हो सकता था। अमेरिका इस बात को लेकर चिंतित था कि चीन अपनी आर्थिक ताकत का इस्तेमाल राजनीतिक दबाव बनाने के लिए कर सकता है। हालांकि, ट्रंप और जिनपिंग के बीच हुई मुलाकात के बाद स्थिति थोड़ी बदली है। दोनों नेताओं के बीच एक 'संतुलन' बनाने की कोशिश की गई है। इसका मतलब है कि दोनों देश एक-दूसरे की चिंताओं को समझते हुए आगे बढ़ेंगे। अमेरिका अब चीन पर निर्भरता कम करने के लिए दूसरे देशों से दुर्लभ पृथ्वी खनिजों की आपूर्ति के रास्ते तलाश रहा है। यह एक लंबी प्रक्रिया होगी, लेकिन चीन की धमकी ने अमेरिका को इस दिशा में तेजी से कदम उठाने के लिए प्रेरित किया है।
बेसेंट का रेयर अर्थ पर चीन के निर्यात प्रतिबंध को 'गलती' बताना भारत के लिहाज से भी अहम है। इससे भारत के लिए रणनीतिक और आर्थिक अवसर के दरवाजे खुल गए हैं। चूंकि रेयर अर्थ हाई-टेक इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा उपकरणों और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों की लाइफलाइन हैं। ऐसे में चीन पर अत्यधिक निर्भरता खत्म करने की अमेरिकी रणनीति भारत की खनिज संपदा और बढ़ती भू-राजनीतिक प्रासंगिकता पर केंद्रित हो सकती है। यह घटनाक्रम न केवल भारत को ग्लोबल सप्लाई चेन में 'गेम चेंजर' की भूमिका देगा, बल्कि चीन के दबाव का मुकाबला करने के लिए भारत-अमेरिका आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी को भी नई ऊंचाई पर ले जा सकता है।
रेयर अर्थ को हथियार नहीं बनने देगा अमेरिका बेसेंट ने यह भी बताया कि अमेरिका और चीन के लीडर्स के बीच 'संतुलन' बन गया है। अमेरिका ने चीन को चेतावनी दी है कि वह रेयर अर्थ को हथियार के तौर पर इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। बेसेंट ने कहा, 'एक समझौता हुआ है कि बाकी सब चीजें वैसी ही रहने पर, हम एक संतुलन बनाकर रखेंगे और हम अगले 12 महीनों तक इस संतुलन में काम कर सकते हैं।' उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि चीन का अमेरिका पर दबदबा 12 से 24 महीने से ज्यादा नहीं टिक पाएगा। उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि वे अभी ऐसा कर सकते हैं क्योंकि हमारे पास इसके जवाब में उपाय हैं।'
इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के शी जिनपिंग के साथ एक साल का ऐसा समझौता किया है जिसे बढ़ाया जा सकता है ताकि रेयर अर्थ मिनरल का निर्यात जारी रहे। चीन दुनिया में रेयर अर्थ मिनरल का सबसे बड़ा उत्पादक है। इनका इस्तेमाल लड़ाकू विमान, रोबोट, इलेक्ट्रिक वाहन और अन्य हाई-टेक उत्पादों को बनाने में होता है। चीन ने 9 अक्टूबर 2025 से इन खनिजों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था।
ट्रंप और जिनपिंग की यह मुलाकात दोनों देशों के बीच चल रहे व्यापार युद्ध के छह महीने बाद हुई थी। दोनों नेताओं ने एक-दूसरे पर भारी टैरिफ लगाए। बाद में टैरिफ शांति पर सहमति बनी थी। इसके बाद चीन ने अमेरिका और दुनिया के अन्य देशों को रेयर अर्थ के निर्यात पर अपना कंट्रोल जताया था। बेसेंट ने फाइनेंशियल टाइम्स को बताया, 'मुझे लगता है कि चीनी नेतृत्व उनके निर्यात नियंत्रण पर वैश्विक प्रतिक्रिया से थोड़ा चिंतित था।'
क्यों रेयर अर्थ महत्वपूर्ण?
रेयर अर्थ ऐसे 17 रासायनिक तत्वों का समूह है जो आधुनिक तकनीक के लिए बहुत जरूरी हैं। इनमें मोबाइल फोन, कंप्यूटर, इलेक्ट्रिक कार की बैटरियां, पवन टरबाइन और रक्षा उपकरण बनाने में इस्तेमाल होने वाले पुर्जे शामिल हैं। चीन इन खनिजों का सबसे बड़ा उत्पादक है और दुनिया भर में इनकी सप्लाई पर उसका बड़ा नियंत्रण है। इसी वजह से चीन की निर्यात नीतियों में कोई भी बदलाव वैश्विक बाजारों को प्रभावित कर सकता है।
अमेरिका और चीन के बीच यह तनाव तब और बढ़ गया जब चीन ने इन खनिजों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दी। इस धमकी का सीधा मतलब था कि अमेरिका को अपने हाई-टेक उद्योगों के लिए जरूरी सामग्री मिलना मुश्किल हो सकता था। अमेरिका इस बात को लेकर चिंतित था कि चीन अपनी आर्थिक ताकत का इस्तेमाल राजनीतिक दबाव बनाने के लिए कर सकता है। हालांकि, ट्रंप और जिनपिंग के बीच हुई मुलाकात के बाद स्थिति थोड़ी बदली है। दोनों नेताओं के बीच एक 'संतुलन' बनाने की कोशिश की गई है। इसका मतलब है कि दोनों देश एक-दूसरे की चिंताओं को समझते हुए आगे बढ़ेंगे। अमेरिका अब चीन पर निर्भरता कम करने के लिए दूसरे देशों से दुर्लभ पृथ्वी खनिजों की आपूर्ति के रास्ते तलाश रहा है। यह एक लंबी प्रक्रिया होगी, लेकिन चीन की धमकी ने अमेरिका को इस दिशा में तेजी से कदम उठाने के लिए प्रेरित किया है।
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