मथुरा: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति के तहत सरकार ने एक बार फिर बड़ी कार्रवाई की है। समाज कल्याण विभाग में वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर मामलों में सात अधिकारियों पर सख्त कार्यवाही की गई है। इनमें सबसे बड़ा नाम मथुरा में तैनात रहे तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी करुणेश त्रिपाठी का है, जिन्हें बर्खास्त कर दिया गया है। साथ ही, उनके खिलाफ 19.25 करोड़ रुपये की वसूली का भी आदेश जारी हुआ है। इस मामले ने प्रदेश में हलचल तेज कर दी है।
छात्रवृत्ति घोटाले का मामलाकरुणेश त्रिपाठी पर आरोप है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति योजनाओं में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की। आरोपों के अनुसार, उन्होंने मथुरा के कई प्राइवेट आईटीआई संस्थानों को अनियमित रूप से छात्रवृत्ति की रकम जारी की, जिनमें कई संस्थान मान्यता विहीन थे। सूत्रों के मुताबिक, 11 ऐसे गैर-मान्यता प्राप्त संस्थानों को 2.53 करोड़ रुपये का भुगतान छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति के रूप में किया गया।
जांच में यह भी सामने आया कि इन आईटीआई संस्थानों ने 2 वर्ष से लेकर 51 वर्ष तक की आयु के लोगों को फर्जी प्रवेश दिखाकर छात्रवृत्ति की रकम हड़पी। इस तरह सरकारी धन के करोड़ों रुपये का गबन किया गया।
मंत्री की जांच के बाद कार्रवाईसमाज कल्याण विभाग ने रविवार को भ्रष्टाचार के आरोपी चार अधिकारियों के खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई करते हुए तीन रिटायर्ड अधिकारियों के पेंशन में कटौती का निर्देश दिया है। इनमें भ्रष्टाचार के कुछ मामले करीब डेढ़ दशक से लंबित थे। आरोपी में तीन रिटायर हो गए हैं। इनसे सरकारी रकम की वसूली के साथ पेंशन से स्थाई कटौती करने का निर्देश दिया गया है। समाज कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण की निगरानी में हुई जांच के बाद आरोपी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। मंत्री ने साफ तौर पर कहा है कि इस प्रकार के दबे मामलों को उजागर कर कार्रवाई की जाएगी।
विभागीय मंत्री ने सभी मामलों में केस दर्ज कर कार्रवाई का निर्देश दिया है। इसके तहत तत्कालीन मथुरा समाज कल्याण अधिकारी करुणेश ने त्रिपाठी पर आरोप है कि तैनाती के दौरान निजी आईटीआई संस्थानों को अनियमित तरीके से छात्रवृत्ति, शुल्क प्रतिपूर्ति का भुगतान कर गंभीर वित्तीय अनियमितता की।मथुरा के तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी उमाशंकर शर्मा पर आरोप है कि वर्ष 2015-16 से 2019-20 तक 11 मान्यता विहीन संस्थाओं को 2.53 करोड़ रुपये की धनराशि का भुगतान छात्रवृत्ति शुल्क प्रतिपूर्ति के रूप में कर दिया।
मामले में कुल 66 आरोपीइस घोटाले में कुल 66 लोगों को आरोपी बनाया गया है। जिला समाज कल्याण अधिकारी रमाशंकर की तहरीर पर थाना सदर बाजार, मथुरा में मुकदमा दर्ज कराया गया था। आरोपियों में तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी करुणेश त्रिपाठी, सहायक विकास अधिकारी राहुल कुमार, वरिष्ठ लिपिक नवीन मल्होत्रा, लिपिक योगेश कुमार मुख्य रूप से शामिल हैं।
आरोपियों में 62 आईटीआई संस्थानों के प्रबंधक और संचालक भी शामिल हैं। इन सभी पर 2015-16 से 2019-20 तक की अवधि में छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति राशि का गबन करने का आरोप है।
विधायक की शिकायत पर खुलासाइस पूरे घोटाले का पर्दाफाश बलदेव विधानसभा के विधायक पूरन प्रकाश की शिकायत पर हुआ था। उन्होंने 2019 में शासन को विस्तृत रिपोर्ट सौंपी थी। उनकी शिकायत के आधार पर मामला आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (EOW) को सौंपा गया। जांच के बाद EOW उपनिरीक्षक मोहम्मद शाकिर ने कानपुर में मथुरा के कुल 130 शिक्षण संस्थानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया।
हालांकि, इस कार्रवाई के दौरान विधायक पूरन प्रकाश को काफी विरोध झेलना पड़ा। शिक्षण संस्थानों से जुड़े लोगों ने उनके खिलाफ कलक्ट्रेट में बुद्धिशुद्धि यज्ञ तक आयोजित किया था।
सरकार का सख्त संदेशसमाज कल्याण विभाग की इस कार्रवाई से पूरे विभाग में हड़कंप मचा है। राज्य सरकार ने साफ संकेत दिया है कि भ्रष्टाचार करने वाले किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा। करुणेश त्रिपाठी की बर्खास्तगी और करोड़ों रुपये की वसूली का आदेश योगी सरकार की सख्त नीति को फिर एक बार मजबूत करता है।
योगी सरकार का संदेश साफ है कि जनता की योजनाओं में गड़बड़ी करने वालों पर अब सिर्फ विभागीय कार्रवाई नहीं, बल्कि आर्थिक एवं कानूनी दोनों सजा दी जाएगी। करुणेश त्रिपाठी पर एक्शन इसकी गवाही दे रहा है।
24 अधिकारियों के खिलाफ जांचविधायक पूरन प्रकाश का कहना है कि समाज कल्याण विभाग में अधिकारियों की मिलीभगत से गड़बड़ी की गई। तत्कालीन सात डीआईओस अरुण कुमार दुबे, भास्कर मिश्र, अशोक कुमार सिंह, मुकेश कुमार रायजादा, इंद्र प्रकाश सोलंकी, कृष्णपाल सिंह सोलंकी और डा. राजेंद्र सिंह की संलिप्तता थी। साथ ही वरिष्ठ सहायक राजेश कुमार शर्मा, सहायक बीएसए राघुवेंद्र सिंह, समाज कल्याण अधिकारी करुणेश त्रिपाठी, उमा शंकर शर्मा, विनोद शंकर तिवारी, पूरन चंद शर्मा, राहुल कुमार सहायक विकास अधिकारी के खिलाफ केस दर्ज किया गया।
इनके साथ ही कनिष्ठ सहायक नवीन मल्होत्रा एवं योगेश कुमार, वरिष्ठ सहायक गिरिराज शर्मा, महावीर सिंह, सहायक कनिष्ठ मान सिंह शर्मा, प्रधान सहायक श्रीओम शर्मा, जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी श्याम सुंदर इकनौरिया, कुलदीप मिश्र, दिव्यांग जन सशक्तिकरण अधिकारी डा. अजीत कुमार, संजीव कुमार कनिष्ठ सहायक सहित 24 अधिकारियों पर भी रिपोर्ट दर्ज हुई है।
छात्रवृत्ति घोटाले का मामलाकरुणेश त्रिपाठी पर आरोप है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति योजनाओं में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की। आरोपों के अनुसार, उन्होंने मथुरा के कई प्राइवेट आईटीआई संस्थानों को अनियमित रूप से छात्रवृत्ति की रकम जारी की, जिनमें कई संस्थान मान्यता विहीन थे। सूत्रों के मुताबिक, 11 ऐसे गैर-मान्यता प्राप्त संस्थानों को 2.53 करोड़ रुपये का भुगतान छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति के रूप में किया गया।
जांच में यह भी सामने आया कि इन आईटीआई संस्थानों ने 2 वर्ष से लेकर 51 वर्ष तक की आयु के लोगों को फर्जी प्रवेश दिखाकर छात्रवृत्ति की रकम हड़पी। इस तरह सरकारी धन के करोड़ों रुपये का गबन किया गया।
मंत्री की जांच के बाद कार्रवाईसमाज कल्याण विभाग ने रविवार को भ्रष्टाचार के आरोपी चार अधिकारियों के खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई करते हुए तीन रिटायर्ड अधिकारियों के पेंशन में कटौती का निर्देश दिया है। इनमें भ्रष्टाचार के कुछ मामले करीब डेढ़ दशक से लंबित थे। आरोपी में तीन रिटायर हो गए हैं। इनसे सरकारी रकम की वसूली के साथ पेंशन से स्थाई कटौती करने का निर्देश दिया गया है। समाज कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण की निगरानी में हुई जांच के बाद आरोपी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। मंत्री ने साफ तौर पर कहा है कि इस प्रकार के दबे मामलों को उजागर कर कार्रवाई की जाएगी।
समाज कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण ने समाज कल्याण विभाग के चार अधिकारियों की बर्खास्तगी का आदेश जारी किया। तीन रिटायर्ड अधिकारियों की पेंशन से राशि की वसूली होगी। भ्रष्टाचार के मामलों में विभाग का बड़ा एक्शन।#asimarun #UttarPradesh #Mathura @NavbharatTimes pic.twitter.com/67tmVCzazS
— NBT Uttar Pradesh (@UPNBT) November 10, 2025
विभागीय मंत्री ने सभी मामलों में केस दर्ज कर कार्रवाई का निर्देश दिया है। इसके तहत तत्कालीन मथुरा समाज कल्याण अधिकारी करुणेश ने त्रिपाठी पर आरोप है कि तैनाती के दौरान निजी आईटीआई संस्थानों को अनियमित तरीके से छात्रवृत्ति, शुल्क प्रतिपूर्ति का भुगतान कर गंभीर वित्तीय अनियमितता की।मथुरा के तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी उमाशंकर शर्मा पर आरोप है कि वर्ष 2015-16 से 2019-20 तक 11 मान्यता विहीन संस्थाओं को 2.53 करोड़ रुपये की धनराशि का भुगतान छात्रवृत्ति शुल्क प्रतिपूर्ति के रूप में कर दिया।
मामले में कुल 66 आरोपीइस घोटाले में कुल 66 लोगों को आरोपी बनाया गया है। जिला समाज कल्याण अधिकारी रमाशंकर की तहरीर पर थाना सदर बाजार, मथुरा में मुकदमा दर्ज कराया गया था। आरोपियों में तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी करुणेश त्रिपाठी, सहायक विकास अधिकारी राहुल कुमार, वरिष्ठ लिपिक नवीन मल्होत्रा, लिपिक योगेश कुमार मुख्य रूप से शामिल हैं।
आरोपियों में 62 आईटीआई संस्थानों के प्रबंधक और संचालक भी शामिल हैं। इन सभी पर 2015-16 से 2019-20 तक की अवधि में छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति राशि का गबन करने का आरोप है।
विधायक की शिकायत पर खुलासाइस पूरे घोटाले का पर्दाफाश बलदेव विधानसभा के विधायक पूरन प्रकाश की शिकायत पर हुआ था। उन्होंने 2019 में शासन को विस्तृत रिपोर्ट सौंपी थी। उनकी शिकायत के आधार पर मामला आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (EOW) को सौंपा गया। जांच के बाद EOW उपनिरीक्षक मोहम्मद शाकिर ने कानपुर में मथुरा के कुल 130 शिक्षण संस्थानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया।
हालांकि, इस कार्रवाई के दौरान विधायक पूरन प्रकाश को काफी विरोध झेलना पड़ा। शिक्षण संस्थानों से जुड़े लोगों ने उनके खिलाफ कलक्ट्रेट में बुद्धिशुद्धि यज्ञ तक आयोजित किया था।
सरकार का सख्त संदेशसमाज कल्याण विभाग की इस कार्रवाई से पूरे विभाग में हड़कंप मचा है। राज्य सरकार ने साफ संकेत दिया है कि भ्रष्टाचार करने वाले किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा। करुणेश त्रिपाठी की बर्खास्तगी और करोड़ों रुपये की वसूली का आदेश योगी सरकार की सख्त नीति को फिर एक बार मजबूत करता है।
योगी सरकार का संदेश साफ है कि जनता की योजनाओं में गड़बड़ी करने वालों पर अब सिर्फ विभागीय कार्रवाई नहीं, बल्कि आर्थिक एवं कानूनी दोनों सजा दी जाएगी। करुणेश त्रिपाठी पर एक्शन इसकी गवाही दे रहा है।
24 अधिकारियों के खिलाफ जांचविधायक पूरन प्रकाश का कहना है कि समाज कल्याण विभाग में अधिकारियों की मिलीभगत से गड़बड़ी की गई। तत्कालीन सात डीआईओस अरुण कुमार दुबे, भास्कर मिश्र, अशोक कुमार सिंह, मुकेश कुमार रायजादा, इंद्र प्रकाश सोलंकी, कृष्णपाल सिंह सोलंकी और डा. राजेंद्र सिंह की संलिप्तता थी। साथ ही वरिष्ठ सहायक राजेश कुमार शर्मा, सहायक बीएसए राघुवेंद्र सिंह, समाज कल्याण अधिकारी करुणेश त्रिपाठी, उमा शंकर शर्मा, विनोद शंकर तिवारी, पूरन चंद शर्मा, राहुल कुमार सहायक विकास अधिकारी के खिलाफ केस दर्ज किया गया।
इनके साथ ही कनिष्ठ सहायक नवीन मल्होत्रा एवं योगेश कुमार, वरिष्ठ सहायक गिरिराज शर्मा, महावीर सिंह, सहायक कनिष्ठ मान सिंह शर्मा, प्रधान सहायक श्रीओम शर्मा, जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी श्याम सुंदर इकनौरिया, कुलदीप मिश्र, दिव्यांग जन सशक्तिकरण अधिकारी डा. अजीत कुमार, संजीव कुमार कनिष्ठ सहायक सहित 24 अधिकारियों पर भी रिपोर्ट दर्ज हुई है।
You may also like

विंध्य को मिली 'विकास की उड़ान': रीवा-दिल्ली हवाई सेवा शुरू, अब सिर्फ दो घंटे में राजधानी, व्यापार और पर्यटन को मिलेगा बूस्टर डोज़

दिल्ली ब्लास्ट के बाद नोएडा में हाई अलर्ट, सेक्टर-18 से लेकर मेट्रो स्टेशन तक सघन चेकिंग

गोवा पुलिस का विशेष अभियान, चिम्बेल और सांता क्रूज में 45 संदिग्ध हिरासत में

OMG! येˈ कैसा प्यार? सेक्स के लिए ये कपल बदलता रहता है अपना बेड पार्टनर, दोनों को नहीं है कोई आपत्ति, जानकर आपके भी उड़ जाएंगे होश﹒

बैंक के नाम से आया कॉल असली है या नकली? इस सरकारी App से सेकंड में लगेगा पता




