नई दिल्ली : ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार आर्मी, नेवी और एयरफोर्स मिलकर एक बड़ा युद्धाभ्यास करने जा रहे हैं। ये ट्राई सर्विस यानी तीनों सेनाओं की एक्सरसाइज का नाम दिया गया है- त्रिशूल। इसको इंडियन नेवी लीड कर रही है और कल यानी 3 नवंबर से यह एक्सरसाइज शुरू होगी और अगले 10 दिनों तक बहुत बड़े स्केल पर ये युद्धाभ्यास होने जा रहा है।
पूरे वेस्टर्न फ्रंट पर होगी एक्सरसाइज
इंडियन नेवी के प्रवक्ता कैप्टन विवेक मधवाल ने कहा कि वेस्टर्न नेवल कमांड हेडक्वॉर्टर तीनों सेनाओं के साथ मिलकर इस अभ्यास को कर रहा है। इसमें राजस्थान और गुजरात के क्रीक और रेगिस्तानी इलाकों में बड़े पैमाने पर ऑपरेशंस किए जाएंगे। साथ ही उत्तर अरब सागर में समुद्री और एंफीबियस (Amphibious) ऑपरेशंस भी होंगे। गुजरात तट और उत्तर अरब सागर को कवर करने वाले इस अभ्यास में आर्मी सदर्न कमांड, वेस्टर्न नेवल कमांड और साउथ वेस्टर्न एयर कमांड मुख्य रूप से शामिल हो रही है। इंडियन कोस्ट गार्ड, बीएसएफ और दूसरी केंद्रीय एजेंसियां भी इसमें भाग लेंगी।
बेहतर तालमेल, जॉइंट ऑपरेशन क्षमता होगी मजबूत
त्रिशूल एक्सरसाइज के जरिए सभी एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल और जॉइंट ऑपरेशन क्षमता को और मजबूत किया जाएगा। एक्सरसाइज के दौरान ऑपरेशनल प्रक्रिया को परखेंगे और समन्यवय स्थापित करेंगे ताकि मल्टीडोमेन ऑपरेशंस प्रभावी तरीके से किए जा सकें। इस एक्सरसाइज का मकसद विभिन्न प्लेटफॉर्म और सिस्टम के बीच बेहतर तालमेल, सभी सेनाओं के नेटवर्क का इंटीग्रेशन मजबूत करना और अलग अलग डोमेन में एक साथ ऑपरेशंस की क्षमता को परखना है। यह ट्राई सर्विस एक्सरसाइज जॉइंट इंटेलिजेंस, सर्विलांस, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर और साइबर युद्धों के प्लान को भी परखेगी।
वॉरशिप, फाइटर जेट और पैदल सैनिक होंगे शामिल
त्रिशूल एक्सरसाइज में बड़ी संख्या में इंडियन नेवी के वॉरशिप, इंडियन एयरफोर्स के फाइटर जेट, सपोर्ट एयरक्राफ्ट, पैदल सैनिक और स्पेशल कमांडो शामिल होंगे। नेवी के लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक आईएनएस जलश्वा और लैंडिंग क्राफ्ट यूटिलिटी वेसल का भी इस्तेमाल किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक इंडियन नेवी का स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत अपने पूरे कैरियर बैटल ग्रुप के साथ इस एक्सरसाइज में शामिल होगा।
20 से 25 वॉरशिप इसमें हिस्सा लेंगे। इंडियन एयरफोर्स के फाइटर जेट रफाल, सुखोई सहित करीब 40 फाइटर जेट इसमें शामिल होंगे। इंडियन आर्मी के दो कोर के करीब 25 हजार सैनिक इस एक्सरसाइज में जुड़े होंगे। इसमें स्वदेशी हथियारों और प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया जाएगा। ये पूरी एक्सरसाइज वास्तविक युद्ध जैसी परिस्थितियों में की जाएगी ताकि युद्ध के सभी पहलू को परखा जा सके।
अरुणाचल के पहाड़ों में भी होगी एक्सरसाइज
इसी महीने अरुणाचल प्रदेश के मेचुका में भी ट्राई सर्विस एक्सरसाइज की जाएगी जिसमें आर्मी, नेवी और एयरफोर्स शामिल होगी। इस एक्सरसाइज का नाम पूर्वी प्रचंड प्रहार दिया गया है। इसमें स्पेशल फोर्सेस के साथ ड्रोन का भी बड़ी संख्या में इस्तेमाल होगा। इसमें पहाड़ से लेकर आकाश और नदियों तक इंडियन आर्म्ड फोर्सेस की ताकत और समन्वय को परखा जाएगा। ऊंचाई वाले इलाकों में ऑपरेशंस के लिए जरूरी सभी कंपोनेंट इस एक्सरसाइज में शामिल होंगे। निगरानी रखने से लेकर कम्युनिकेशन तक और बचाव से लेकर अटैक तक, युद्ध के सभी पहलुओं को इस एक्सरसाइज में परखा जाएगा।
पूरे वेस्टर्न फ्रंट पर होगी एक्सरसाइज
इंडियन नेवी के प्रवक्ता कैप्टन विवेक मधवाल ने कहा कि वेस्टर्न नेवल कमांड हेडक्वॉर्टर तीनों सेनाओं के साथ मिलकर इस अभ्यास को कर रहा है। इसमें राजस्थान और गुजरात के क्रीक और रेगिस्तानी इलाकों में बड़े पैमाने पर ऑपरेशंस किए जाएंगे। साथ ही उत्तर अरब सागर में समुद्री और एंफीबियस (Amphibious) ऑपरेशंस भी होंगे। गुजरात तट और उत्तर अरब सागर को कवर करने वाले इस अभ्यास में आर्मी सदर्न कमांड, वेस्टर्न नेवल कमांड और साउथ वेस्टर्न एयर कमांड मुख्य रूप से शामिल हो रही है। इंडियन कोस्ट गार्ड, बीएसएफ और दूसरी केंद्रीय एजेंसियां भी इसमें भाग लेंगी।
बेहतर तालमेल, जॉइंट ऑपरेशन क्षमता होगी मजबूत
त्रिशूल एक्सरसाइज के जरिए सभी एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल और जॉइंट ऑपरेशन क्षमता को और मजबूत किया जाएगा। एक्सरसाइज के दौरान ऑपरेशनल प्रक्रिया को परखेंगे और समन्यवय स्थापित करेंगे ताकि मल्टीडोमेन ऑपरेशंस प्रभावी तरीके से किए जा सकें। इस एक्सरसाइज का मकसद विभिन्न प्लेटफॉर्म और सिस्टम के बीच बेहतर तालमेल, सभी सेनाओं के नेटवर्क का इंटीग्रेशन मजबूत करना और अलग अलग डोमेन में एक साथ ऑपरेशंस की क्षमता को परखना है। यह ट्राई सर्विस एक्सरसाइज जॉइंट इंटेलिजेंस, सर्विलांस, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर और साइबर युद्धों के प्लान को भी परखेगी।
वॉरशिप, फाइटर जेट और पैदल सैनिक होंगे शामिल
त्रिशूल एक्सरसाइज में बड़ी संख्या में इंडियन नेवी के वॉरशिप, इंडियन एयरफोर्स के फाइटर जेट, सपोर्ट एयरक्राफ्ट, पैदल सैनिक और स्पेशल कमांडो शामिल होंगे। नेवी के लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक आईएनएस जलश्वा और लैंडिंग क्राफ्ट यूटिलिटी वेसल का भी इस्तेमाल किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक इंडियन नेवी का स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत अपने पूरे कैरियर बैटल ग्रुप के साथ इस एक्सरसाइज में शामिल होगा।
20 से 25 वॉरशिप इसमें हिस्सा लेंगे। इंडियन एयरफोर्स के फाइटर जेट रफाल, सुखोई सहित करीब 40 फाइटर जेट इसमें शामिल होंगे। इंडियन आर्मी के दो कोर के करीब 25 हजार सैनिक इस एक्सरसाइज में जुड़े होंगे। इसमें स्वदेशी हथियारों और प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया जाएगा। ये पूरी एक्सरसाइज वास्तविक युद्ध जैसी परिस्थितियों में की जाएगी ताकि युद्ध के सभी पहलू को परखा जा सके।
अरुणाचल के पहाड़ों में भी होगी एक्सरसाइज
इसी महीने अरुणाचल प्रदेश के मेचुका में भी ट्राई सर्विस एक्सरसाइज की जाएगी जिसमें आर्मी, नेवी और एयरफोर्स शामिल होगी। इस एक्सरसाइज का नाम पूर्वी प्रचंड प्रहार दिया गया है। इसमें स्पेशल फोर्सेस के साथ ड्रोन का भी बड़ी संख्या में इस्तेमाल होगा। इसमें पहाड़ से लेकर आकाश और नदियों तक इंडियन आर्म्ड फोर्सेस की ताकत और समन्वय को परखा जाएगा। ऊंचाई वाले इलाकों में ऑपरेशंस के लिए जरूरी सभी कंपोनेंट इस एक्सरसाइज में शामिल होंगे। निगरानी रखने से लेकर कम्युनिकेशन तक और बचाव से लेकर अटैक तक, युद्ध के सभी पहलुओं को इस एक्सरसाइज में परखा जाएगा।
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