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भारत में नवजात शिशुओं के लिए 'पोषण देखभाल' पर जोर, ईएनसी से ईएनएनसी की ओर

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नई दिल्ली: नवजात शिशुओं की गुणवत्तापूर्ण देखभाल (Quality of Care) को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल के तहत 28 अक्टूबर को एक उच्च-स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का विषय था- 'छोटे और बीमार नवजात शिशुओं (SSNBs) के लिए गर्भ से परे पोषण'। इसमें एसेंशियल न्यूबॉर्न नर्चरिंग केयर (ENNC) नामक एक नए दृष्टिकोण को बड़े पैमाने पर लागू करने पर जोर दिया गया।

क्यों है यह बदलाव जरूरी (जनहित का मुद्दा)
  • ईएनसी (ENC - Essential Newborn Care ): 1994 में WHO द्वारा विकसित 'एसेंशियल न्यूबॉर्न केयर' पैकेज ने नवजात मृत्यु दर को कम करने में बड़ी भूमिका निभाई। इसने मुख्य रूप से गर्मी/तापमान बनाए रखने, जल्द स्तनपान, बुनियादी पुनर्जीवन और संक्रमण की रोकथाम पर ध्यान केंद्रित किया।
  • आज की आवश्यकता - 'अक्षुण्ण जीवन' और 'उत्कर्ष': संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के तहत, वैश्विक ध्यान अब केवल जीवन रक्षा (Survival) से हटकर अक्षुण्ण जीवन और उत्कर्ष ( Intact Survival and Thrival ) पर केंद्रित हो गया है। यह विशेष रूप से प्रीटर्म, छोटे और बीमार नवजात शिशुओं के लिए महत्वपूर्ण है।
  • मस्तिष्क का विकास: ये शिशु गर्भ के बाहर NICU में मस्तिष्क के विकास का एक महत्वपूर्ण चरण पूरा करते हैं। विशेषज्ञों ने जोर दिया कि हर स्पर्श, ध्वनि, प्रकाश और देखरेख नवजात शिशु के मस्तिष्क और बाद के परिणामों को आकार देती है।

ईएनएनसी में शामिल ये बातें शामिल हैं
  • परिवार-भागीदारी देखभाल (Family-Participatory Care)
  • प्रतिक्रियाशील देखभाल (Responsive Caregiving)
  • संकेत-आधारित फीडिंग (Cue-based feeding)
  • आरामदायक स्पर्श/देखभाल (Comforting touch)
  • दर्द को कम करना (Pain minimisation)
  • मातृ मानसिक स्वास्थ्य (Maternal mental health) पर ध्यान देना

कार्यक्रम और उच्च-स्तरीय भागीदारी
28 अक्टूबर के कार्यक्रम में लगभग 300 प्रतिभागियों की पूर्ण उपस्थिति ने इस पहल के प्रति व्यापक समर्थन को दर्शाया। इनमें WHO, यूनिसेफ, बिल गेट्स फाउंडेशन (BGF) और राष्ट्रीय निकायों जैसे नीति आयोग (माननीय सदस्य डॉ. विनोद पॉल) और आईसीएमआर (डीजी डॉ. राजीव बहल) के प्रतिनिधि शामिल थे।
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