राम त्रिपाठी, नई दिल्लीः चिड़ियाघर में विजिटर्स अब कुछ ही इंच की दूरी से टाइगर को देख सकेंगे। इतनी नजदीकी से देखने पर ऐसा लगेगा जैसे टाइगर आपकी तरफ छलांग लगाने वाला है। हालांकि, इससे घबराने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि आपके और टाइगर के बीच मजबूत लैमिनेटेड ग्लास लगा होगा। चिड़ियाघर के कुछ बाड़ों में अब दीवारों की जगह एक खास ग्लास लगाया जाएगा। इस तरह यह देश का पहला चिड़ियाघर होगा, जहां इस तरह के ग्लास का इस्तेमाल किया जाएगा।   
   
400 करोड़ रुपये होंगे खर्चचिड़ियाघर अंदर से बाहर तक आधुनिक और आकर्षक बनने जा रहा है। इसके लिए एक बड़ी मॉडर्नाइजेशन स्कीम तैयार की गई है। इस स्कीम पर करीब 400 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसकी मंजूरी सेंटर ने दी है। इस पूरी योजना में रिलायंस कंपनी के ग्रीन्स जूलॉजिकल रिसर्च एंड रिहेबिलिटेशन सेंटर ( GZRRC ) की भी मदद ली जा रही है। इसे वनतारा चिड़ियाघर के नाम से भी जाना जाता है। हाल ही में नैशनल जूलॉजिकल पार्क ( दिल्ली चिड़ियाघर ), गुजरात सरकार और वनतारा चिड़ियाघर (GZRRC) के बीच एक समझौता हुआ है।
     
दो साल में काम होगा पूराइस स्कीम को दो चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले चरण में मथुरा रोड से लेकर चिड़ियाघर के एंट्री गेट तक के करीब 6 एकड़ इलाके में कई नई सुविधाएं बनाई जाएंगी। दूसरे चरण में चिड़ियाघर के अंदर मौजूद जानवरों के बाड़े, साइन बोर्ड और रास्ते को आधुनिक बनाया जाएगा। पूरा प्रोजेक्ट दो साल में खत्म होने की उम्मीद है।
     
सिक्योरिटी के लिए बनी खाई होंगी बंदपहले चरण में टाइगर और बंदरों के बाड़ों में मोटे लैमिनेटेड ग्लास लगाए जाएंगे। इसके बाद शेर और लैपर्ड जैसे बिग कैट्स के बाड़ों में भी इन्हें लगाया जाएगा। अभी तक इन बाड़ों में सिक्योरिटी के लिए कृत्रिम झील या मोठ (खाई) बनाई जाती थी लेकिन अब उसे बंद कर दिया जाएगा। यह सुझाव वनतारा की टीम ने दिया है।
   
लैमिनेटेड ग्लास की मजबूतीलैमिनेटेड ग्लास को चिड़ियाघरों और एनिमल पाकों के लिए सबसे सेफ ग्लास माना जाता है। यह ग्लास दो या दो से ज्यादा शीटों से बना होता है, जो पॉलीविनाइल ब्यूटिरल (PVB) इंटरलेयर से जुड़ी होती हैं। यह इंटरलेयर ग्लास को टूटने पर भी एक साथ बनाए रखती है। टूटने की हालत में भी यह ग्लास बिखरता नहीं है बल्कि 'मकड़जाल की तरह जुड़ा रहता है।
  
400 करोड़ रुपये होंगे खर्चचिड़ियाघर अंदर से बाहर तक आधुनिक और आकर्षक बनने जा रहा है। इसके लिए एक बड़ी मॉडर्नाइजेशन स्कीम तैयार की गई है। इस स्कीम पर करीब 400 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसकी मंजूरी सेंटर ने दी है। इस पूरी योजना में रिलायंस कंपनी के ग्रीन्स जूलॉजिकल रिसर्च एंड रिहेबिलिटेशन सेंटर ( GZRRC ) की भी मदद ली जा रही है। इसे वनतारा चिड़ियाघर के नाम से भी जाना जाता है। हाल ही में नैशनल जूलॉजिकल पार्क ( दिल्ली चिड़ियाघर ), गुजरात सरकार और वनतारा चिड़ियाघर (GZRRC) के बीच एक समझौता हुआ है।
दो साल में काम होगा पूराइस स्कीम को दो चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले चरण में मथुरा रोड से लेकर चिड़ियाघर के एंट्री गेट तक के करीब 6 एकड़ इलाके में कई नई सुविधाएं बनाई जाएंगी। दूसरे चरण में चिड़ियाघर के अंदर मौजूद जानवरों के बाड़े, साइन बोर्ड और रास्ते को आधुनिक बनाया जाएगा। पूरा प्रोजेक्ट दो साल में खत्म होने की उम्मीद है।
सिक्योरिटी के लिए बनी खाई होंगी बंदपहले चरण में टाइगर और बंदरों के बाड़ों में मोटे लैमिनेटेड ग्लास लगाए जाएंगे। इसके बाद शेर और लैपर्ड जैसे बिग कैट्स के बाड़ों में भी इन्हें लगाया जाएगा। अभी तक इन बाड़ों में सिक्योरिटी के लिए कृत्रिम झील या मोठ (खाई) बनाई जाती थी लेकिन अब उसे बंद कर दिया जाएगा। यह सुझाव वनतारा की टीम ने दिया है।
लैमिनेटेड ग्लास की मजबूतीलैमिनेटेड ग्लास को चिड़ियाघरों और एनिमल पाकों के लिए सबसे सेफ ग्लास माना जाता है। यह ग्लास दो या दो से ज्यादा शीटों से बना होता है, जो पॉलीविनाइल ब्यूटिरल (PVB) इंटरलेयर से जुड़ी होती हैं। यह इंटरलेयर ग्लास को टूटने पर भी एक साथ बनाए रखती है। टूटने की हालत में भी यह ग्लास बिखरता नहीं है बल्कि 'मकड़जाल की तरह जुड़ा रहता है।
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