अजीम मिर्जा, बहराइच: उत्तर प्रदेश के बहराइच में भेड़ियों के बाद कुत्तों के हमले का मामला सामने आया है। लहूलुहान बच्चे की जान बंदर ने आकर बचाई। लेकिन जब तक बंदर आता तब बच्चा बुरी तरह जख्मी हो गया था क्योंकि कुत्तों ने उसे पटक कर कई जगह नोंच लिया था। लिहाज़ा बच्चे का इलाज जनपद मुख्यालय के एक प्राइवेट अस्पताल में चल रहा है। बच्चे को इतनी जगह ज़ख्म आए की पिता यह बता पाने में असमर्थ है कि उसके बच्चे के कितने टांके लगे हैं। रिसिया इलाके के ग्राम तुला मझौवा गांव में आबादी से लगभग 300 मीटर की दूरी पर स्थित आम के बाग में सचिन (8) पुत्र राजेश कुछ बच्चों के साथ खेल रहा था कि चार-पाँच कुत्तों ने उस पर हमला बोल दिया। और उसे बुरी तरह नोचने लगे जिससे उसके हाथ, पैर, कमर, पीठ में घाव हो गया और वह जमीन पर गिर गया।बच्चे को तड़पता देख आम की डाल पर बैठे बंदर ने कुत्ते पर छलांग मार दी। जिससे कुत्तों का ध्यान भटका और वह बंदर को दौड़ाने लगे। तब तक सचिन के साथ के बच्चे भी उसके करीब आ गए और उसे घर उठा लाए। परिजन बोले- बंदर के रूप में आए हनुमान सचिन के पिता राजेश ने एनबीटी को बताया कि मेरे बच्चे की जान बंदर की वजह से बची वर्ना कुत्ते उसे जिंदा नोचकर खा जाते क्योंकि हमारे बच्चे के साथ खेल रहे दूसरे बच्चे भी कुत्तों के डर से दूर खड़े थे। उन्होंने कहा वह मेरे लिए बंदर नहीं बल्कि हनुमान भगवान थे, जिन्होंने समय पर बच्चे की जान बचा ली वर्ना हमारे बच्चे की मौत हो जाती। जनपद में कुत्तों के काटने की यह कोई पहली घटना नहीं है। यहाँ के महसी क्षेत्र में जब भेड़िये का आतंक चल रहा था। तब भी फारेस्ट विभाग ने दो दर्जन से अधिक मामलों में यह बताया था कि यह कुत्तों ने हमले किए हैं। लेकिन उस समय हर व्यक्ति सभी हमलों में वन्यजीव को ही दोषी मान रहा था। लेकिन जब दो भेड़िए मर गए और चार पकड़ लिए गए।उसके बाद भी शिवपुर इलाके में हमले नहीं रुके तो छान बीन की गई और कुत्तों के काटने के 12 मामले सामने आए। तब प्रशासन ने कुत्तों को पकड़कर जंगल में छोड़ने का काम शुरू किया और ऑटोरिक्शे पर प्रशासन की तरफ से एलान करवाया गया कि कुत्तो से सावधान रहें और बच्चों को अकेले कहीं ना जाने दे। इन सब जुगत के बावजूद अभी भी कुत्तों के हमले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। वन्यजीवों पर पिछले बीस साल से भी अधिक समय से काम कर रहे नेचर इनवायरमेंट एंड वाइल्ड लाइफ सोसाइटी (न्यूज़) के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिषेक ने बताया कि कुत्तों के खान-पान बदलने के कारण कुत्तों के व्यवहार में भी परिवर्तन आ रहा है। उन्होंने बताया कि पहले मरे हुए जानवरों को गिद्ध खा जाते थे लेकिन अब गिद्ध की संख्या बहुत कम हो गई है।ऐसी स्थिति में भूखे रहने पर आवारा कुत्ते मरे हुए जानवरों को खाते हैं, जिससे उनके अंदर हिंसक प्रवृत्ति पनप रही है। इसका समाधान यह है कि आवारा कुत्तों को पकड़ कर उनका बधियाकरण कराया जाए जिससे उनकी संख्या ना बढ़े।
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