नई दिल्ली: म्यूचुअल फंड्स इन दिनों कुछ चुनिंदा शेयरों में ही अपना पैसा लगा रहे हैं। इस साल उन्होंने अपना आधा पैसा सिर्फ 19 कंपनियों के शेयरों में लगाया गया है। इनमें इटरनल (जोमैटो), स्विगी, एसबीआई और देश की सबसे वैल्यूएबल कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज शामिल है। एलेरा सिक्योरिटीज के एक एनालिसिस के मुताबिक साल 2025 में अब तक म्यूचुअल फंड इक्विटी स्कीम्स में कुल 2,67,500 करोड़ रुपये आए हैं। इसमें से 25% पैसा सिर्फ छह कंपनियों के शेयरों में गया जबकि 50% पैसा केवल 19 कंपनियों में लगाया गया। यह दिखाता है कि फंड मैनेजर कुछ खास शेयरों पर ही दांव लगा रहे हैं।
म्यूचुअल फंड्स से सबसे ज्यादा पैसा पाने वाली कंपनियों में इन्फोसिस (कुल इनफ्लो का 5%), एक्सिस बैंक (4%), इटरनल (4%), एसबीआई (4%), स्विगी (4%) और एशियन पेंट्स (3%) शामिल हैं। इन छह कंपनियों ने ही करीब 67,000 करोड़ रुपये म्यूचुअल फंड्स से जुटाए हैं। इसके अलावा अगले 25% इनफ्लो 13 कंपनियों में रहा। इनमें एचडीएफसी बैंक, विशाल मेगामार्ट, रिलायंस, एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज, डिक्सन टेक, कोटक महिंद्रा बैंक, साइमन्स एनर्जी, टीसीएस, बजाज फिनसर्व, केंस टेक, वरुण बेवरेजेज, टाटा स्टील और हेक्सावेयर टेक शामिल हैं।
निगेटिव हुआ रिटर्न
यह सब तब हो रहा है जब म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के लिए हालात मुश्किल भरे हैं। साल 2025 के अगस्त महीने से भारतीय इक्विटी म्यूचुअल फंड्स का 1-साल का रोलिंग रिटर्न निगेटिव में चला गया। ऐसा 2018 के बाद पहली बार हुआ है। फंड्स के रिटर्न में आई इस गिरावट का असर यह है कि अब बहुत कम स्कीम्स पॉजिटिव रिटर्न दे पा रही हैं। सितंबर 2025 तक इक्विटी फंड्स पिछले एक साल से डेट फंड्स से भी पीछे चल रहे हैं। यह अंतर 10% तक पहुंच गया है, जो अक्टूबर 2020 के बाद इक्विटी का सबसे कम प्रीमियम है।
रिटर्न में आई इस कमजोरी की वजह से पिछले दो महीनों में एक्टिव इक्विटी इनफ्लो में थोड़ी कमी आई है। जुलाई 2025 में जहां 43,350 करोड़ रुपये आए थे, वहीं सितंबर 2025 में यह घटकर 31,000 करोड़ रुपये रह गए। म्यूचुअल फंड्स के पोर्टफोलियो में कुल 1,100 स्टॉक्स हैं, लेकिन इस दौरान सिर्फ 55 स्टॉक्स में 500 करोड़ रुपये से ज्यादा की बिकवाली हुई है। वहीं, 8,000 करोड़ रुपये का इनफ्लो अभी भी कैश में पड़ा है। इससे पता चलता है कि फंड मैनेजर कुछ खास शेयरों में पैसा तो लगा रहे हैं, लेकिन साथ ही वे थोड़ा सतर्क भी हो रहे हैं।
म्यूचुअल फंड्स से सबसे ज्यादा पैसा पाने वाली कंपनियों में इन्फोसिस (कुल इनफ्लो का 5%), एक्सिस बैंक (4%), इटरनल (4%), एसबीआई (4%), स्विगी (4%) और एशियन पेंट्स (3%) शामिल हैं। इन छह कंपनियों ने ही करीब 67,000 करोड़ रुपये म्यूचुअल फंड्स से जुटाए हैं। इसके अलावा अगले 25% इनफ्लो 13 कंपनियों में रहा। इनमें एचडीएफसी बैंक, विशाल मेगामार्ट, रिलायंस, एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज, डिक्सन टेक, कोटक महिंद्रा बैंक, साइमन्स एनर्जी, टीसीएस, बजाज फिनसर्व, केंस टेक, वरुण बेवरेजेज, टाटा स्टील और हेक्सावेयर टेक शामिल हैं।
निगेटिव हुआ रिटर्न
यह सब तब हो रहा है जब म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के लिए हालात मुश्किल भरे हैं। साल 2025 के अगस्त महीने से भारतीय इक्विटी म्यूचुअल फंड्स का 1-साल का रोलिंग रिटर्न निगेटिव में चला गया। ऐसा 2018 के बाद पहली बार हुआ है। फंड्स के रिटर्न में आई इस गिरावट का असर यह है कि अब बहुत कम स्कीम्स पॉजिटिव रिटर्न दे पा रही हैं। सितंबर 2025 तक इक्विटी फंड्स पिछले एक साल से डेट फंड्स से भी पीछे चल रहे हैं। यह अंतर 10% तक पहुंच गया है, जो अक्टूबर 2020 के बाद इक्विटी का सबसे कम प्रीमियम है।
रिटर्न में आई इस कमजोरी की वजह से पिछले दो महीनों में एक्टिव इक्विटी इनफ्लो में थोड़ी कमी आई है। जुलाई 2025 में जहां 43,350 करोड़ रुपये आए थे, वहीं सितंबर 2025 में यह घटकर 31,000 करोड़ रुपये रह गए। म्यूचुअल फंड्स के पोर्टफोलियो में कुल 1,100 स्टॉक्स हैं, लेकिन इस दौरान सिर्फ 55 स्टॉक्स में 500 करोड़ रुपये से ज्यादा की बिकवाली हुई है। वहीं, 8,000 करोड़ रुपये का इनफ्लो अभी भी कैश में पड़ा है। इससे पता चलता है कि फंड मैनेजर कुछ खास शेयरों में पैसा तो लगा रहे हैं, लेकिन साथ ही वे थोड़ा सतर्क भी हो रहे हैं।
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