नई दिल्ली: दिल्ली के लाल किले मेट्रो स्टेशन के पास हुए धमाके में 9 लोगों की मौत हो चुकी है, लेकिन देर रात तक इनमें से सिर्फ 2 की ही पहचान हो सकी है। इनमें से एक उत्तर प्रदेश के अमरोहा के मूल निवासी 34 वर्षीय अशोक कुमार हैं तो वहीं दूसरे दिल्ली के श्रीनिवासपुरी निवासी अमर कटारिया।
जब लोगों को धमाके के बारे में जानकारी मिली तो लोक नायक अस्पताल में लोग अपने प्रियजनों के बारे में जानकारी पाने के लिए चिंतित, भयभीत और बेचैन होकर एक काउंटर से दूसरे काउंटर पर भटकते नजर आए। दिल्ली निवासी कटारिया के भतीजे पार्थ ने बताया कि परिवार को यह नहीं बताया गया था कि उनके रिश्तेदार का नाम मृतकों की सूची में है।
चाचा के बारे में नहीं मिल रही जानकारीपार्थ ने आगे कहा कि मैं तीन घंटे से यहां हूं, लेकिन मेरे चाचा के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है। उनका फोन नहीं लग रहा है। चिंतित पार्थ ने कहा कि वह खबर पाने की उम्मीद में रिश्तेदारों के फोन का जवाब दे रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि आखिरी बार मैंने उनसे तब बात की थी, जब वह काम से घर लौट रहे थे। वह चांदनी चौक में कपड़ों की दुकान चलाते हैं। घर में सन्नाटा पसरा है। हमें एक अनजान नंबर से फोन आया कि उन्हें लोक नायक अस्पताल ले जाया गया है, लेकिन यहां कोई हमें कुछ नहीं बता रहा है। वे ऐसा कैसे कर सकते हैं? हम बस यह जानना चाहते हैं कि हमारे परिवार का सदस्य जिंदा है या मर गया।
रिश्तेदार को ढूंढने यहां से वहां भटक रहेयूपी के अमरोहा निवासी अशोक के परिवार से कोई भी देर रात तक लोक नायक अस्पताल नहीं पहुंचा था। इस बीच अपने रिश्तेदार लोकेश अग्रवाल को ढूंढ रहे 64 वर्षीय संदीप कुमार के मुताबिक अशोक, लोकेश अग्रवाल का कर्मचारी था। कुमार ने कहा कि अशोक, लोकेश को लेने लाल किला मेट्रो स्टेशन गया था। हमें बताया गया है कि अशोक मर चुका है, लेकिन हम लोकेश को ढूंढ नहीं पा रहे हैं, हमें नहीं पता कि वह कहां हैं।
पुलिस ने यूएपीए के तहत दर्ज किया केसबता दें कि दिल्ली पुलिस ने इस मामले में आतंकवाद और विस्फोटक अधिनियम के साथ ही कई धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कर ली है। पुलिस के मुताबिक ब्लास्ट के मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) की धारा 16 और 18 के तहत केस दर्ज किया गया है। बता दें कि यूएपीए आतंकवादी कृत्यों और आतंकवाद का समर्थन करने पर सजा से संबंधित है। पुलिस ने घटना में विस्फोटकों के अवैध कब्जे और इस्तेमाल के संबंध में विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धारा 3 और 4 भी लगाई है।
जब लोगों को धमाके के बारे में जानकारी मिली तो लोक नायक अस्पताल में लोग अपने प्रियजनों के बारे में जानकारी पाने के लिए चिंतित, भयभीत और बेचैन होकर एक काउंटर से दूसरे काउंटर पर भटकते नजर आए। दिल्ली निवासी कटारिया के भतीजे पार्थ ने बताया कि परिवार को यह नहीं बताया गया था कि उनके रिश्तेदार का नाम मृतकों की सूची में है।
चाचा के बारे में नहीं मिल रही जानकारीपार्थ ने आगे कहा कि मैं तीन घंटे से यहां हूं, लेकिन मेरे चाचा के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है। उनका फोन नहीं लग रहा है। चिंतित पार्थ ने कहा कि वह खबर पाने की उम्मीद में रिश्तेदारों के फोन का जवाब दे रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि आखिरी बार मैंने उनसे तब बात की थी, जब वह काम से घर लौट रहे थे। वह चांदनी चौक में कपड़ों की दुकान चलाते हैं। घर में सन्नाटा पसरा है। हमें एक अनजान नंबर से फोन आया कि उन्हें लोक नायक अस्पताल ले जाया गया है, लेकिन यहां कोई हमें कुछ नहीं बता रहा है। वे ऐसा कैसे कर सकते हैं? हम बस यह जानना चाहते हैं कि हमारे परिवार का सदस्य जिंदा है या मर गया।
रिश्तेदार को ढूंढने यहां से वहां भटक रहेयूपी के अमरोहा निवासी अशोक के परिवार से कोई भी देर रात तक लोक नायक अस्पताल नहीं पहुंचा था। इस बीच अपने रिश्तेदार लोकेश अग्रवाल को ढूंढ रहे 64 वर्षीय संदीप कुमार के मुताबिक अशोक, लोकेश अग्रवाल का कर्मचारी था। कुमार ने कहा कि अशोक, लोकेश को लेने लाल किला मेट्रो स्टेशन गया था। हमें बताया गया है कि अशोक मर चुका है, लेकिन हम लोकेश को ढूंढ नहीं पा रहे हैं, हमें नहीं पता कि वह कहां हैं।
पुलिस ने यूएपीए के तहत दर्ज किया केसबता दें कि दिल्ली पुलिस ने इस मामले में आतंकवाद और विस्फोटक अधिनियम के साथ ही कई धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कर ली है। पुलिस के मुताबिक ब्लास्ट के मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) की धारा 16 और 18 के तहत केस दर्ज किया गया है। बता दें कि यूएपीए आतंकवादी कृत्यों और आतंकवाद का समर्थन करने पर सजा से संबंधित है। पुलिस ने घटना में विस्फोटकों के अवैध कब्जे और इस्तेमाल के संबंध में विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धारा 3 और 4 भी लगाई है।
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