पटना: बिहार में उद्योगों का विकास तेजी से हो रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य औद्योगिकीकरण की ओर बढ़ रहा है। पहले यह माना जाता था कि बिहार बड़े निवेश को आकर्षित नहीं कर सकता। लेकिन अब यह धारणा बदल गई है। नीतीश सरकार की औद्योगिक नीतियों के कारण बिहार निवेशकों की पसंद बन रहा है। बिहार बिजनेस कनेक्ट 2024 में 1 लाख 80 हजार करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव पर हस्ताक्षर हुए। यह 2023 के मुकाबले तीन गुना से भी ज्यादा है। सरकार निवेशकों के लिए हर तरह का माहौल बना रही है। बिहार स्टार्टअप नीति युवाओं को उद्यमी बनने में मदद कर रही है। राज्य सरकार भूमि अधिग्रहण के लिए भी सहायता दे रही है। गया और पटना जैसे शहर उद्योग के केंद्र बन रहे हैं।
बिहार में निवेश की बहुत संभावनाएं
दरअसल, कभी बिहार में उद्योग लगाने से लोग हिचकिचाते थे। अब माहौल बदल गया है। निवेशक बिहार की संभावनाओं को पहचान रहे हैं। बिहार में फूड प्रोसेसिंग, कपड़ा और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में निवेश की बहुत संभावनाएं हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार लगातार इसके लिए काम कर रही है। निवेशकों के लिए अच्छा वातावरण बनाया जा रहा है। बिहार बिजनेस कनेक्ट 2024 का आयोजन इसी उद्देश्य से किया गया था। इस कार्यक्रम में 1 लाख 80 हजार करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव पर हस्ताक्षर हुए। पटना में हुए इस कार्यक्रम में 423 कंपनियों ने भाग लिया। बिहार बिजनेस कनेक्ट 2024 राज्य के औद्योगिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण पल था।
इस क्षेत्र में सबसे अधिक निवेश
सबसे ज्यादा निवेश नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में हुआ। सन पेट्रो केमिकल्स ने 36,700 करोड़ रुपये का निवेश करने का वादा किया। एनएचपीसी ने 5,500 करोड़ रुपये के निवेश का वादा किया। फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में एसएलएमजी बेवरेजेज (कोका-कोला) ने 3,000 करोड़ रुपये का निवेश करने की घोषणा की। हल्दीराम स्नैक्स प्राइवेट लिमिटेड ने 300 करोड़ रुपये का निवेश करने की घोषणा की। श्री सीमेंट ने सामान्य निर्माण क्षेत्र में 800 करोड़ रुपये का निवेश करने का वादा किया। सभी कंपनियों को पहले चरण की मंजूरी मिल गई है। परियोजनाओं पर काम शुरू हो चुका है। अभी 1800 एकड़ जमीन उपलब्ध है। जरूरत के अनुसार और जमीन भी ली जा रही है।
बिहार स्टार्टअप नीति शुरू
अगस्त 2022 में बिहार स्टार्टअप नीति शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य राज्य में उद्यमिता को बढ़ावा देना है। इस नीति से एमएसएमई क्षेत्र के विकास में तेजी आएगी। उद्यमियों को इससे कई फायदे हो रहे हैं। इस नीति के तहत बिहार के युवा उद्यमियों को दस साल के लिए बिना ब्याज के 10 लाख रुपये तक की सहायता राशि दी जाती है। यह राशि बिहार स्टार्टअप नीति के तहत सीड फंड के रूप में दी जाती है। बिहार में युवा व्यवसायियों के लिए एक स्टार्टअप प्लेटफॉर्म बनाया गया है। इससे उन्हें नीतियों और कार्यक्रमों का लाभ उठाने में मदद मिलेगी। बिहार सरकार निवेशकों के लिए राज्य को और आकर्षक बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। इसके लिए औद्योगिक नीति जैसी नीतियां लागू की जा रही हैं। अनुमान है कि इन नीतियों से राज्य को औद्योगिकीकरण, रोजगार सृजन और विकास में मदद मिलेगी।
भूमि अधिग्रहण के लिए 1650 करोड़
राज्य सरकार ने भूमि अधिग्रहण के लिए 1650 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। बिहार उद्योग विभाग ने कानून और व्यवस्था को भी सुधारा है। इससे राज्य में निजी निवेश और औद्योगिक भागीदारी बढ़ी है। राज्य के औद्योगिकीकरण के लिए जमीन की उपलब्धता बहुत जरूरी है। इसके लिए 1500 करोड़ रुपये की सीमा के साथ एक कॉर्पस फंड बनाया गया था। बाद में इसे 2500 करोड़ रुपये तक बढ़ा दिया गया। बिहार सरकार ने भूमि अधिग्रहण के लिए बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण और बिहार उद्योग विभाग को 1650 करोड़ रुपये से अधिक की राशि दी है। इससे जमीन का विकास तेजी से हो सकेगा।
आर्थिक उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण ने औद्योगिक क्षेत्र को बहुत प्रभावित किया है। इसलिए छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों पर ध्यान दिया जा रहा है। विनिर्माण क्षेत्र के लाभ और एमएसएमई उद्यमियों की मदद के लिए बिहार उद्योग विभाग क्लस्टर आधारित विकास को बढ़ावा दे रहा है। यह छोटी मशीनों, प्लास्टिक, परिधान, जूट और वस्त्र और खाद्य प्रसंस्करण को विकसित करने के लिए विशेष क्लस्टर स्थापित कर रहा है। क्लस्टर का मतलब है एक ही तरह के उद्योगों को एक जगह पर स्थापित करना। इससे उन्हें आपस में सहयोग करने और विकसित होने में मदद मिलती है।
गया और पटना बन रहे उद्योग के केंद्र
गया का डोभी और पटना का बिहटा भी उद्योग के केंद्र बन रहे हैं। गया के डोभी में राज्य का पहला और देश का सबसे विकसित औद्योगिक पार्क बनाया जा रहा है। यह कोलकाता-अमृतसर कॉरिडोर औद्योगिक पार्क लगभग 1670 एकड़ जमीन पर बनाया जा रहा है। औद्योगिक पार्क के निर्माण के लिए जिला प्रशासन ने जमीन अधिग्रहण का काम शुरू कर दिया है। डोभी के गमहरिया गांव में लगभग 475 एकड़ सरकारी जमीन विभाग को दे दी गई है। बाकी जमीन पर अधिग्रहण का काम चल रहा है।
अमृतसर-दिल्ली-कोलकाता औद्योगिक कॉरिडोर के तहत गया के डोभी गमहरिया गांव में बन रहा इंटीग्रेटेड मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर परियोजना जिले के लिए बहुत फायदेमंद होगा। इस प्रोजेक्ट के तहत डोभी में बड़े और मध्यम दर्जे के उद्योग लगाने की योजना है। अमृतसर-दिल्ली-कोलकाता औद्योगिक कॉरिडोर से नजदीकी के कारण यह क्षेत्र इकोनामिक जोन के लिए पूरी तरह से सही है। यहां बड़े पैमाने पर इंडस्ट्री लगने से इस इलाके का विकास होगा।
बिहटा बन रहा बिहार का एक महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र
पटना का बिहटा भी बिहार का एक महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र बन रहा है। सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं और उद्यमियों की भागीदारी से बिहटा एक बड़े औद्योगिक केंद्र के रूप में विकसित होगा। 25 मार्च 2025 को बिहटा में तीन नई औद्योगिक इकाइयों का उद्घाटन और एक इकाई का शिलान्यास किया गया। इस कार्यक्रम के दौरान डी वेगा बांड, एंजल्स प्राइवेट लिमिटेड, आइन स्पाइरल और नमस्ते इंडिया एनआईएफ प्राइवेट लिमिटेड जैसी इकाइयों की शुरुआत हुई। डी वेगा बांड में 3 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। एंजल्स प्राइवेट लिमिटेड में 2.34 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। नमस्ते इंडिया एनआईएफ प्राइवेट लिमिटेड में 350 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है, जिससे लगभग 800 लोगों को रोजगार मिलेगा।
बिहार में निवेश की बहुत संभावनाएं
दरअसल, कभी बिहार में उद्योग लगाने से लोग हिचकिचाते थे। अब माहौल बदल गया है। निवेशक बिहार की संभावनाओं को पहचान रहे हैं। बिहार में फूड प्रोसेसिंग, कपड़ा और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में निवेश की बहुत संभावनाएं हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार लगातार इसके लिए काम कर रही है। निवेशकों के लिए अच्छा वातावरण बनाया जा रहा है। बिहार बिजनेस कनेक्ट 2024 का आयोजन इसी उद्देश्य से किया गया था। इस कार्यक्रम में 1 लाख 80 हजार करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव पर हस्ताक्षर हुए। पटना में हुए इस कार्यक्रम में 423 कंपनियों ने भाग लिया। बिहार बिजनेस कनेक्ट 2024 राज्य के औद्योगिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण पल था।
इस क्षेत्र में सबसे अधिक निवेश
सबसे ज्यादा निवेश नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में हुआ। सन पेट्रो केमिकल्स ने 36,700 करोड़ रुपये का निवेश करने का वादा किया। एनएचपीसी ने 5,500 करोड़ रुपये के निवेश का वादा किया। फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में एसएलएमजी बेवरेजेज (कोका-कोला) ने 3,000 करोड़ रुपये का निवेश करने की घोषणा की। हल्दीराम स्नैक्स प्राइवेट लिमिटेड ने 300 करोड़ रुपये का निवेश करने की घोषणा की। श्री सीमेंट ने सामान्य निर्माण क्षेत्र में 800 करोड़ रुपये का निवेश करने का वादा किया। सभी कंपनियों को पहले चरण की मंजूरी मिल गई है। परियोजनाओं पर काम शुरू हो चुका है। अभी 1800 एकड़ जमीन उपलब्ध है। जरूरत के अनुसार और जमीन भी ली जा रही है।
बिहार स्टार्टअप नीति शुरू
अगस्त 2022 में बिहार स्टार्टअप नीति शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य राज्य में उद्यमिता को बढ़ावा देना है। इस नीति से एमएसएमई क्षेत्र के विकास में तेजी आएगी। उद्यमियों को इससे कई फायदे हो रहे हैं। इस नीति के तहत बिहार के युवा उद्यमियों को दस साल के लिए बिना ब्याज के 10 लाख रुपये तक की सहायता राशि दी जाती है। यह राशि बिहार स्टार्टअप नीति के तहत सीड फंड के रूप में दी जाती है। बिहार में युवा व्यवसायियों के लिए एक स्टार्टअप प्लेटफॉर्म बनाया गया है। इससे उन्हें नीतियों और कार्यक्रमों का लाभ उठाने में मदद मिलेगी। बिहार सरकार निवेशकों के लिए राज्य को और आकर्षक बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। इसके लिए औद्योगिक नीति जैसी नीतियां लागू की जा रही हैं। अनुमान है कि इन नीतियों से राज्य को औद्योगिकीकरण, रोजगार सृजन और विकास में मदद मिलेगी।
भूमि अधिग्रहण के लिए 1650 करोड़
राज्य सरकार ने भूमि अधिग्रहण के लिए 1650 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। बिहार उद्योग विभाग ने कानून और व्यवस्था को भी सुधारा है। इससे राज्य में निजी निवेश और औद्योगिक भागीदारी बढ़ी है। राज्य के औद्योगिकीकरण के लिए जमीन की उपलब्धता बहुत जरूरी है। इसके लिए 1500 करोड़ रुपये की सीमा के साथ एक कॉर्पस फंड बनाया गया था। बाद में इसे 2500 करोड़ रुपये तक बढ़ा दिया गया। बिहार सरकार ने भूमि अधिग्रहण के लिए बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण और बिहार उद्योग विभाग को 1650 करोड़ रुपये से अधिक की राशि दी है। इससे जमीन का विकास तेजी से हो सकेगा।
आर्थिक उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण ने औद्योगिक क्षेत्र को बहुत प्रभावित किया है। इसलिए छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों पर ध्यान दिया जा रहा है। विनिर्माण क्षेत्र के लाभ और एमएसएमई उद्यमियों की मदद के लिए बिहार उद्योग विभाग क्लस्टर आधारित विकास को बढ़ावा दे रहा है। यह छोटी मशीनों, प्लास्टिक, परिधान, जूट और वस्त्र और खाद्य प्रसंस्करण को विकसित करने के लिए विशेष क्लस्टर स्थापित कर रहा है। क्लस्टर का मतलब है एक ही तरह के उद्योगों को एक जगह पर स्थापित करना। इससे उन्हें आपस में सहयोग करने और विकसित होने में मदद मिलती है।
गया और पटना बन रहे उद्योग के केंद्र
गया का डोभी और पटना का बिहटा भी उद्योग के केंद्र बन रहे हैं। गया के डोभी में राज्य का पहला और देश का सबसे विकसित औद्योगिक पार्क बनाया जा रहा है। यह कोलकाता-अमृतसर कॉरिडोर औद्योगिक पार्क लगभग 1670 एकड़ जमीन पर बनाया जा रहा है। औद्योगिक पार्क के निर्माण के लिए जिला प्रशासन ने जमीन अधिग्रहण का काम शुरू कर दिया है। डोभी के गमहरिया गांव में लगभग 475 एकड़ सरकारी जमीन विभाग को दे दी गई है। बाकी जमीन पर अधिग्रहण का काम चल रहा है।
अमृतसर-दिल्ली-कोलकाता औद्योगिक कॉरिडोर के तहत गया के डोभी गमहरिया गांव में बन रहा इंटीग्रेटेड मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर परियोजना जिले के लिए बहुत फायदेमंद होगा। इस प्रोजेक्ट के तहत डोभी में बड़े और मध्यम दर्जे के उद्योग लगाने की योजना है। अमृतसर-दिल्ली-कोलकाता औद्योगिक कॉरिडोर से नजदीकी के कारण यह क्षेत्र इकोनामिक जोन के लिए पूरी तरह से सही है। यहां बड़े पैमाने पर इंडस्ट्री लगने से इस इलाके का विकास होगा।
बिहटा बन रहा बिहार का एक महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र
पटना का बिहटा भी बिहार का एक महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र बन रहा है। सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं और उद्यमियों की भागीदारी से बिहटा एक बड़े औद्योगिक केंद्र के रूप में विकसित होगा। 25 मार्च 2025 को बिहटा में तीन नई औद्योगिक इकाइयों का उद्घाटन और एक इकाई का शिलान्यास किया गया। इस कार्यक्रम के दौरान डी वेगा बांड, एंजल्स प्राइवेट लिमिटेड, आइन स्पाइरल और नमस्ते इंडिया एनआईएफ प्राइवेट लिमिटेड जैसी इकाइयों की शुरुआत हुई। डी वेगा बांड में 3 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। एंजल्स प्राइवेट लिमिटेड में 2.34 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। नमस्ते इंडिया एनआईएफ प्राइवेट लिमिटेड में 350 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है, जिससे लगभग 800 लोगों को रोजगार मिलेगा।
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