UK Work Visa Duration: ब्रिटेन की सरकार ने एक व्हाइट पेपर पेश किया है, जिसमें विदेशी छात्रों के लिए कड़े नियम लाए गए हैं। इसका सबसे ज्यादा असर उन छात्रों पर पड़ेगा, जो ब्रिटेन में पढ़ाई पूरी करने के बाद यहां जॉब करने की प्लानिंग कर रहे हैं। इमिग्रेशन को लेकर किया गया सबसे बड़ा सुधार विदेशी छात्रों के लिए पोस्ट-स्टडी वर्क परमिट की अवधि घटाना है। पोस्ट-स्टडी वर्क परमिट के जरिए ब्रिटेन में डिग्री लेने के बाद विदेशी स्टूडेंट्स को जॉब की इजाजत मिलती है। ये काफी अहम वर्क परमिट है।
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दरअसल, ब्रिटेन में विदेशी छात्रों के लिए ग्रेजुएट रूट नाम से एक प्रोग्राम चलाया जाता है। इसके तहत जो भी स्टूडेंट ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी करता है, उसे देश में जॉब की इजाजत होती है। सबसे अच्छी बात ये है कि वे किसी भी कंपनी के लिए जॉब कर सकते हैं और उन्हें किसी तरह के स्पांसरशिप लेटर की भी जरूरत नहीं होती है। ग्रेजुएट रूट प्रोग्राम की वजह से ही हर साल लाखों की संख्या में विदेशी स्टूडेंट्स ब्रिटेन पढ़ने जाते हैं, क्योंकि उन्हें मालूम होता है कि डिग्री के बाद वे यहां जॉब कर सकते हैं।
अब सिर्फ 18 महीने ही जॉब की होगी इजाजत
ब्रिटिश सरकार ने ग्रेजुएट रूट वीजा की अवधि घटा दी है। 1 जनवरी 2027 से विदेशी स्टूडेंट्स को सिर्फ 18 महीने तक ही देश में रुककर जॉब करने की इजाजत होगी। पहले ये समय अवधि 2 साल थी। इस दौरान स्टूडेंट्स ना सिर्फ जॉब ढूंढ सकते थे, बल्कि वे बिना स्पांसरशिप किसी भी कंपनी में जॉब भी कर सकते थे। भारतीय छात्रों के बीच तो ग्रेजुएट रूट वीजा काफी ज्यादा पॉपुलर रहा है। भारतीय छात्रों को मालूम होता था कि डिग्री मिलने के बाद उन्हें नौकरी के लिए ज्यादा धक्के नहीं खाने पड़ेंगे।
हालांकि, पीएचडी करने वाले स्टूडेंट्स पहले की तरह ही तीन साल तक जॉब कर पाएंगे। होम ऑफिस मिनिस्टर माइक टाप ने एक लिखित बयान में कहा, 'ये बदलाव इसलिए किया गया है, क्योंकि आंकड़ों से पता चलता है कि बहुत सारे स्टूडेंट्स ग्रेजुएट लेवल की जॉब्स नहीं कर रहे हैं, जबकि ग्रेजुएट रूट की स्थापना ही इसी के लिए की गई थी।' उन्होंने इशारा किया कि स्टूडेंट्स ग्रेजुएशन की डिग्री होने के बाद भी वेटर, ड्राइवर, क्लीनर्स जैसी छोटी-मोटी जॉब कर रहे हैं, जिससे अर्थव्यवस्था में ज्यादा योगदान नहीं होता है।
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दरअसल, ब्रिटेन में विदेशी छात्रों के लिए ग्रेजुएट रूट नाम से एक प्रोग्राम चलाया जाता है। इसके तहत जो भी स्टूडेंट ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी करता है, उसे देश में जॉब की इजाजत होती है। सबसे अच्छी बात ये है कि वे किसी भी कंपनी के लिए जॉब कर सकते हैं और उन्हें किसी तरह के स्पांसरशिप लेटर की भी जरूरत नहीं होती है। ग्रेजुएट रूट प्रोग्राम की वजह से ही हर साल लाखों की संख्या में विदेशी स्टूडेंट्स ब्रिटेन पढ़ने जाते हैं, क्योंकि उन्हें मालूम होता है कि डिग्री के बाद वे यहां जॉब कर सकते हैं।
अब सिर्फ 18 महीने ही जॉब की होगी इजाजत
ब्रिटिश सरकार ने ग्रेजुएट रूट वीजा की अवधि घटा दी है। 1 जनवरी 2027 से विदेशी स्टूडेंट्स को सिर्फ 18 महीने तक ही देश में रुककर जॉब करने की इजाजत होगी। पहले ये समय अवधि 2 साल थी। इस दौरान स्टूडेंट्स ना सिर्फ जॉब ढूंढ सकते थे, बल्कि वे बिना स्पांसरशिप किसी भी कंपनी में जॉब भी कर सकते थे। भारतीय छात्रों के बीच तो ग्रेजुएट रूट वीजा काफी ज्यादा पॉपुलर रहा है। भारतीय छात्रों को मालूम होता था कि डिग्री मिलने के बाद उन्हें नौकरी के लिए ज्यादा धक्के नहीं खाने पड़ेंगे।
हालांकि, पीएचडी करने वाले स्टूडेंट्स पहले की तरह ही तीन साल तक जॉब कर पाएंगे। होम ऑफिस मिनिस्टर माइक टाप ने एक लिखित बयान में कहा, 'ये बदलाव इसलिए किया गया है, क्योंकि आंकड़ों से पता चलता है कि बहुत सारे स्टूडेंट्स ग्रेजुएट लेवल की जॉब्स नहीं कर रहे हैं, जबकि ग्रेजुएट रूट की स्थापना ही इसी के लिए की गई थी।' उन्होंने इशारा किया कि स्टूडेंट्स ग्रेजुएशन की डिग्री होने के बाद भी वेटर, ड्राइवर, क्लीनर्स जैसी छोटी-मोटी जॉब कर रहे हैं, जिससे अर्थव्यवस्था में ज्यादा योगदान नहीं होता है।
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