जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) चुनाव में लेफ्ट यूनिटी पैनल ने अध्यक्ष पद सहित तीन अहम पदों पर जीत हासिल की है, जबकि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने दस साल के बाद फिर से जेएनयू छात्रसंघ में वापसी करते हुए एक सीट जीती है।रात भर जेएनयू में दोनों पक्षों की ओर से जश्न मनाया गया और परिसर में लाल और भगवा झंडे लहराए गए।
अध्यक्ष पद पर लेफ्ट यूनिटी के नीतीश कुमार, उपाध्यक्ष पद पर मनीषा और महासचिव पद पर मुन्तेहा ने जीत दर्ज की। इस साल स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) से अलग होने के बाद ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) ने डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (डीएसएफ) के साथ गठबंधन किया था। नीतीश कुमार आइसा से हैं, जबकि मनीषा और मुन्तेहा डीएसएफ से हैं।
एबीवीपी के वैभव मीना ने संयुक्त सचिव पद जीता, जिससे वे हाल के इतिहास में केंद्रीय पैनल पद जीतने वाले पहले व्यक्ति बन गए। इस बीच, एबीवीपी ने कहा कि उसने 42 में से 24 काउंसलर पद जीते हैं।
आइसा से चुने गए अध्यक्ष नीतीश कुमार ने जीत के बाद कहा कि, "इस कैंपस में लगातार फंड काटा जा रहा है। हम सरकार के खजाने से खींच कर फंड लाएंगे। कैंपस के आधारभूत संरचना को जो बर्बाद किया गया है उसको बेहतर किया जाएगा। जेएनयू प्रवेश परीक्षा के अपने मॉडल को दोबारा शुरू किया जाएगा... इस कैंपस का वामपंथ का आंदोलन खड़ा है। यदि एबीवीपी का संयुक्त सचिव (वैभव मीना) इस कैंपस के दिए हुए जनादेश से एक कदम भी हिलने की कोशिश करता है, यदि वे जेएनयू के खिलाफ एक शब्द भी बोलने की कोशिश करता है तो पूरा पैनल उसके सामने खड़ा होगा।
इस साल, यूनाइटेड लेफ्ट दो ब्लॉकों में विभाजित हो गया था, जिसमें स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने बिरसा अंबेडकर फुले स्टूडेंट्स एसोसिएशन (BAPSA), ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (AISF) और प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स एसोसिएशन (PSA) के साथ लेफ्ट-अंबेडकरवादी पैनल का गठन किया, और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) ने डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (DSF) के साथ गठबंधन किया।
JNU लेफ्ट का गढ़ रहा है, जहाँ ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) और स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) दोनों ने कई बार अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की है। AISA और SFI 2016 से लेफ्ट यूनिटी गठबंधन के तहत एक साथ लड़ रहे हैं, जिसका उद्देश्य सामूहिक रूप से RSS से जुड़े ABVP का मुकाबला करना है।
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