New Delhi, 12 अक्टूबर . संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में अपना योगदान देने वाले देशों के प्रमुखों का सम्मेलन ‘यूएनटीसीसी- 2025’ इस बार India में आयोजित किया जा रहा है. 14 से 16 अक्टूबर तक देश की राजधानी New Delhi में होने वाले इस प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय आयोजन की मेजबानी भारतीय सेना कर रही है.
संयुक्त राष्ट्र के अवर महासचिव-फॉर पीस ऑपरेशन्स, जीन-पियरे लैक्रोइक्स ने यूएनटीसीसी-2025 के अवसर पर Sunday को एक विशेष संदेश साझा किया. जीन-पियरे लैक्रोइक्स ने कहा कि यह सम्मेलन वैश्विक शांति स्थापना में सामूहिक प्रयासों और परस्पर सहयोग की भावना का प्रतीक है. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में India के योगदान की भी सराहना की.
भारतीय सेना के मुताबिक इस तीन दिवसीय सम्मेलन में विश्व के 30 से अधिक देशों के सेना प्रमुख और उच्च सैन्य अधिकारी भाग लेंगे. सम्मेलन का उद्देश्य बदलते वैश्विक परिदृश्य में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों से जुड़ी नई चुनौतियों पर विचार-विमर्श करना है.
संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान और भविष्य की तैयारियों पर भी यहां चर्चा की जाएगी. यूएनटीसीसी-2025 का मुख्य लक्ष्य विश्वभर के शांति अभियानों में योगदान देने वाले देशों के बीच साझेदारी और समन्वय को सुदृढ़ करना है. इसके तहत प्रतिभागी देश New Delhi में अपने अनुभव साझा करेंगे. विश्व के विभिन्न हिस्सों से आए सैन्य कमांडर्स शांति अभियानों में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करेंगे और संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों की प्रभावशीलता बढ़ाने के उपायों पर विचार करेंगे.
गौरतलब है कि India दशकों से संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से एक रहा है. अब India इस महत्वपूर्ण वैश्विक सम्मेलन की मेजबानी भी कर रहा है. India अपने इस कदम के जरिए अपनी वैश्विक जिम्मेदारी और शांति के प्रति प्रतिबद्धता को फिर से प्रदर्शित कर रहा है.
भारतीय सेना ने वर्षों से अफ्रीका, एशिया और मध्य पूर्व सहित अनेक क्षेत्रों में शांति अभियानों में सराहनीय भूमिका निभाई है. यही कारण है कि इस आयोजन से पहले संयुक्त राष्ट्र के अंडर-सेक्रेटरी-जनरल फॉर पीस ऑपरेशन्स, जीन-पियरे लैक्रोइक्स ने India के नेतृत्व और योगदान की सराहना की. सम्मेलन की थीम ‘संघर्ष क्षेत्रों से शांति के गलियारों तक’ इस आयोजन की भावना को दर्शाती है. यह न केवल युद्धग्रस्त क्षेत्रों में शांति कायम रखने के प्रयासों का प्रतीक है, बल्कि यह इस बात का भी संकेत है कि राष्ट्र मिलकर एक सुरक्षित और स्थायी विश्व व्यवस्था के निर्माण में योगदान दे सकते हैं.
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जीसीबी/एसके
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