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'सरना धर्म कोड' के नाम पर झारखंड के आदिवासियों की आंखों में धूल झोंक रही झामुमो-कांग्रेस : बाबूलाल मरांडी

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रांची, 27 मई . झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने मंगलवार को राज्य की सत्तारूढ़ पार्टियों झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस पर “सरना धर्म कोड” के नाम पर आदिवासी समाज को गुमराह करने का आरोप लगाया.

मरांडी ने रांची स्थित प्रदेश भाजपा कार्यालय में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि आदिवासियों के “सरना धर्म” के नाम पर झंडा लेकर निकली इन दोनों पार्टियों के नेता इस बात का जवाब क्यों नहीं देते कि राज्य भर में आदिवासियों के अवैध रूप से धर्मांतरण का सिलसिला कैसे चल रहा है? इन पार्टियों की सरकार यह बताए कि सरना धर्म मानने वाले लाखों आदिवासी कैसे ईसाई बन गए?

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने आदिवासियों के धर्मांतरण के संबंध में वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़ों का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि इस वर्ष राज्य की कुल आबादी तीन करोड़ 29 लाख 88 हजार 134 थी. इनमें से आदिवासियों की संख्या 86 लाख 45 हजार 42 थी. यह राज्य की कुल आबादी का 26.20 प्रतिशत है. आदिवासियों की कुल आबादी में से करीब 14 लाख यानी 15 प्रतिशत लोगों ने जनगणना में अपना धर्म ईसाई बताया था.

मरांडी ने कहा कि सवाल यह है कि 15 प्रतिशत आदिवासी अपने मूल “सरना धर्म” से ईसाई कैसे बन गए और यह सिलसिला आज भी कैसे जारी है? आगे होने वाली जनगणना में यह आंकड़ा और स्पष्ट हो जाएगा.

उन्होंने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस अगर “सरना धर्म” के इतने बड़े हितैषी हैं और उनके लिए जनगणना में अलग धर्मकोड मांग रहे हैं, तो उन्हें बताना चाहिए कि धर्मांतरण को रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं?

नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि “सरना धर्म कोड” के नाम पर सरकार में शामिल दोनों पार्टियां आदिवासी समाज की आंखों में धूल झोंक रही हैं. उन्होंने कहा कि जनगणना में पहले “सरना धर्म कोड” लागू था, जिसे केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने हटा दिया था. पार्टी जवाब दे कि ऐसा क्यों किया गया था?

मरांडी ने कहा कि 1960-70 के दशक में कांग्रेस के बड़े नेता कार्तिक उरांव ने आदिवासियों के धर्मांतरण के विरुद्ध आवाज उठाई थी, लेकिन कांग्रेस ने उनका भी तिरस्कार किया. साल 2014 में केंद्र की कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने “सरना धर्म कोड” की मांग को संसद में अव्यावहारिक बताया था. उस वक्त हेमंत सोरेन कांग्रेस की गोद में बैठकर सत्ता की मलाई खा रहे थे. आज झारखंड में आदिवासी समाज पर चौतरफा अत्याचार हो रहा है. उन्होंने कहा कि धर्मांतरण और घुसपैठ को बढ़ावा देकर आदिवासियों को मिटाने की साजिश रचने वाली झामुमो-कांग्रेस का चरित्र उजागर हो चुका है.

एसएनसी/एकेजे

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