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कांग्रेस ने बिहार की संशोधित मतदाता सूची पर सवाल उठाए, पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया

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Patna, 8 अक्टूबर . कांग्रेस ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले India निर्वाचन आयोग (ईसीआई) द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाए हैं.

चुनाव आयोग को लिखे एक पत्र में, पार्टी ने आरोप लगाया कि बार-बार अनुरोध के बावजूद चुनाव आयोग अपडेटेड मतदाता सूची का मशीन-रीडेबल वर्जन उपलब्ध कराने में विफल रहा है, जिससे कोई भी स्वतंत्र विश्लेषण बेहद मुश्किल हो गया है.

पत्र में कहा गया है, “कांग्रेस पार्टी के कई अनुरोधों के बावजूद, चुनाव आयोग ने मशीन रीडेबल वोटर लिस्ट उपलब्ध नहीं कराई है, जिससे मतदाता सूची का कोई भी विश्लेषण बहुत जटिल हो जाता है. इसके अलावा, चुनाव आयोग ने मतदाता सूची को एक समेकित सूची के रूप में उपलब्ध नहीं कराया, बल्कि इसे 90,000 अलग-अलग इमेज फाइलों के रूप में जारी किया. चुनाव आयोग मतदाता सूचियों का विश्लेषण आसान बनाने में इतना हिचकिचा क्यों रहा है? उसे किस बात का डर है?

कांग्रेस के अनुसार, चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित अंतिम सूची में बिहार में 7.42 करोड़ पंजीकृत मतदाता हैं- जो 2024 के Lok Sabha चुनावों में दर्ज मतदाताओं की संख्या से लगभग 30 लाख कम है.

पार्टी ने सवाल किया कि ये मतदाता कौन हैं और इनमें से कितने लोगों ने पिछले साल संसदीय चुनावों में वोट डाला था.

पार्टी ने आगे दावा किया कि चुनाव आयोग ने 21.53 लाख नए मतदाताओं को जोड़ने की सूचना दी है, जबकि आधिकारिक फॉर्म-6 आवेदन केवल 16.93 लाख के लिए ही उपलब्ध थे, जिससे 4.6 लाख नए मतदाताओं के नाम अस्पष्ट रह गए.

कांग्रेस ने पूछा, “क्या ये मतदाता बिना उचित प्रक्रिया के जोड़े गए?” उन्होंने आगे कहा कि संशोधन प्रक्रिया के दौरान 67.3 लाख नाम हटाए गए, जिनमें से 10 प्रतिशत से ज्यादा नाम सिर्फ 15 विधानसभा क्षेत्रों में काटे गए.

पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि व्यापक संशोधन प्रक्रिया के बावजूद पांच लाख से ज्यादा डुप्लिकेट मतदाता अंतिम सूची में बने हुए हैं.

एमएस/डीकेपी

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