कोपेनहेगन/नई दिल्ली, 1 जून . डेनमार्क के एक अनुभवी राजनयिक ने रविवार को भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और कूटनीतिक प्रयासों की सराहना की है. इसके साथ ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की वकालत की. इसके तहत आतंकवाद के वित्तपोषण और वैश्विक आतंकी संगठनों का सपोर्ट करने में लगातार भूमिका के लिए पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ‘ग्रे लिस्ट’ में वापस डालना भी शामिल है.
भारत में डेनमार्क के पूर्व राजदूत फ्रेडी स्वेन ने ‘ ’ से खास बातचीत की, जिसमें उन्होंने कहा कि दुनिया के लिए यह मानने का सही समय है कि पाकिस्तान इस क्षेत्र में आतंकवाद का केंद्र बना हुआ है.
स्वेन ने से कहा, “आतंकवाद अपने आप पैदा नहीं होता. इसके पीछे पैसा, ढांचा और एक लंबी सोची-समझी योजना होती है. इसलिए आपको वैश्विक और क्षेत्रीय स्तर पर भी जो हर संभव प्रयास करने की जरूरत है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ऐसा कोई फंडिंग सोर्स न हो जो आतंकियों के पोषण में काम आ सके. हमें इसे रोकना होगा. पाकिस्तान को उस जगह रखा जाना चाहिए, जहां वह वास्तव में मौजूद है. इसलिए पाकिस्तान को उसी लिस्ट में रखा जाना चाहिए. इसमें कोई शक नहीं है.”
फ्रेडी स्वेन एक बहुत ही अनुभवी राजनयिक हैं. उन्होंने भारत, भूटान, श्रीलंका और मालदीव में दो बार राजदूत के रूप में काम किया है. उनका पहला कार्यकाल 2010 से 2015 तक रहा और दूसरा कार्यकाल दिसंबर 2024 में समाप्त हुआ.
भारत में इतना समय बिताने के बाद उन्होंने कई मौकों पर पाकिस्तान को भारत की जमीन पर आतंक फैलाते देखा. उन्होंने कहा, “जैसा कि आप सभी जानते हैं कि मैं दो अवधियों में 10 साल तक भारत में रहा हूं. हम आतंक को देखते रहे और उसका असर महसूस किया. जाहिर है, हम सभी जानते थे कि पाकिस्तान किसी न किसी तरह से आतंक के पीछे था. आप तर्क दे सकते हैं कि पाकिस्तान में अलग-अलग चेहरे हैं, राजनीतिक और सैन्य भी. लेकिन, जब बात आतंक की आती है, तो दो चेहरे नहीं हो सकते. सिर्फ एक ही बदसूरत चेहरा है. हम जानते हैं कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ बहुत सारे आतंकी हमलों को भड़काता रहा है. दुख की बात है कि पहलगाम में हुई इस घटना के बाद, आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त और समन्वित प्रतिक्रिया के लिए वास्तव में समय आ गया है. इसके साथ ही पाकिस्तान को भी आड़े हाथों लिया जाना चाहिए.”
भारत ने कई देशों में अपने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजे हैं. इस कूटनीतिक पहुंच की तारीफ करते हुए पूर्व राजदूत ने माना कि नई दिल्ली ने दुनिया को एक बहुत ही कड़ा संदेश दिया है- “वह अब से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के किसी भी जघन्य कृत्य को बर्दाश्त नहीं करेगा.”
स्वेन ने कहा, “तथ्य ये है कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और आतंक के बारे में बात करने के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजे गए हैं. यह साबित करता है कि आतंकवाद के खिलाफ खड़े होने का समय आ गया है. जिस तरह से पाकिस्तान ने हमेशा ही आतंकवादी हमलों को उकसाया है, उसके खिलाफ आवाज उठाई जाए. भारत ने दिखाया है कि वह ग्लोबल प्लेयर के तौर पर आगे बढ़ चुका है.”
पूर्व राजनयिक ने रविशंकर प्रसाद के नेतृत्व में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से भी मुलाकात की. ये प्रतिनिधिमंडल आतंकवाद के खिलाफ भारत के अडिग रुख और इसके हर रूप को मिटाने के उसके संकल्प को व्यक्त करने के लिए 29-31 मई तक कोपेनहेगन में था.
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि यह बहुत जरूरी है कि आप जो मैसेज देने जा रहे हैं, उसे सुना जाए और उस पर एक्शन लिया जाए. इसलिए मैं 10 साल से अधिक समय तक भारत में राजदूत के रूप में भी काम कर चुका हूं. मुझे खुशी है कि भारत ने इस बहुत ही दुखद और घातक, अमानवीय पहलगाम घटना की पृष्ठभूमि में अब आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाई है. हम सभी को वास्तव में शब्दों से हटकर काम करने की जरूरत है. इसलिए भारत सरकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दुनिया भर में सांसदों के एक ग्रुप को इस बारे में बात करने के लिए भेजने का फैसला बहुत महत्वपूर्ण है. इसे डेनमार्क में भी बहुत अच्छी तरह से स्वीकार किया गया है. मैंने कुछ भारतीय सांसदों से पूछा कि क्या यह कोई नई बात है? क्योंकि मैंने अपने जीवन में कभी यह अनुभव नहीं किया था कि भारत आतंकवाद और आतंकवाद के प्रभाव के बारे में अपनी चिंताओं को जाहिर करने के लिए दुनिया भर में ऐसे सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजेगा.”
स्वेन ने कहा, “मुझे बताया गया कि दशकों पहले भी कुछ ऐसा ही किया गया था. लेकिन सच यह है कि भारत अब इस पर डटा है. ये महत्वपूर्ण है. यह भारत को एक विशेष भूमिका और एक विशेष स्थान देगा, क्योंकि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ खड़ा है. यह एक नई सामान्य बात है और किसी को भी इस बात पर संदेह नहीं होना चाहिए कि अगर आतंक को नहीं रोका गया तो क्या होगा. हम एक विश्व और एक बड़े परिवार के रूप में मिलकर काम कर रहे हैं.”
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आरएसजी/एएस
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