संयुक्त राष्ट्र, 29 अक्टूबर . सूडान के एल फशर में जारी बर्बर हिंसा के बीच इस साल की शुरुआत से अब तक हजारों नागरिकों की जान जा चुकी है. संयुक्त राष्ट्र ने सूडान के एल फशर में बढ़ती हिंसा की चेतावनी दी और नागरिकों पर हमलों की निंदा की.
संयुक्त राष्ट्र मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (ओसीएचए) ने Tuesday को कहा कि विश्व निकाय और उसके सूडान सहायता सहयोगियों ने एक बयान जारी कर उत्तरी दारफुर राज्य की राजधानी एल फशर में नागरिकों, उनके बुनियादी ढांचे और मानवीय कार्यकर्ताओं पर रैपिड सपोर्ट फोर्स (आरएसएफ) द्वारा किए गए कथित हमलों की कड़े शब्दों में निंदा की है.
बयान में कहा गया है, “हम व्यापक उल्लंघनों की विश्वसनीय रिपोर्टों से भयभीत हैं, जिनमें त्वरित फांसी, भागने के रास्तों पर नागरिकों पर हमले, घर-घर छापेमारी और नागरिकों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचने से रोकने वाली बाधाएं शामिल हैं. यौन हिंसा, विशेष रूप से महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ, की खबरें आती रहती हैं. स्थानीय (सहायता) प्रतिक्रियाकर्ता गंभीर खतरे में हैं; कुछ को हिरासत में लिया गया है या मार दिया गया है.”
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के कार्यालय की ओर से साझा जानकारी के अनुसार, वर्चस्व की इस लड़ाई में उत्तरी दारफुर में लगभग 1,850 नागरिकों की मौत हुई है. इनमें से अनुमानतः 1,350 मौतें इस साल की शुरुआत से 20 अक्टूबर तक एल फशर में हुईं.
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (यूएनएचआरसी) ने कहा कि वह विस्थापित परिवारों को जीवन रक्षक सहायता और आवश्यक सेवाएं प्रदान कर रही है. हालांकि, यूएनएचआरसी ने कहा कि एल फशर तक पहुंच पाना मुश्किल है, और जरूरतें बढ़ने के साथ मानवीय क्षमता तेजी से कम हो रही है.
न्यूज एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, कार्यालय ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र और उसके मानवीय सहयोगी दारफुर में अपनी जीवन रक्षक सहायता बढ़ाने और जमीनी स्तर पर अपनी उपस्थिति फिर से स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
सूडान में अप्रैल 2023 से सैन्य बलों और सशस्त्र सेना और आरएसएफ के बीच हिंसक झड़प शुरू हुई, जिसकी वजह से हजारों नागरिकों की मौत हुई और करोड़ों लोग विस्थापित हो गए. लोगों को यहां पर खाने के लिए भोजन नहीं मिल पा रहा है.
एल शफर पर कब्जा करने के लिए आरएसएफ के लड़ाकों ने करीब डेढ़ साल इसकी घेराबंदी कर रखी है. इसकी वजह से इस क्षेत्र में लगातार हिंसक संघर्ष देखने को मिल रहा है.
सूडान में इस भयावह संकट की वजह सेना और अर्धसैनिक बल के बीच वर्चस्व की लड़ाई है. 2023 में दोनों पक्षों में गृहयुद्ध शुरू हुआ. ओटोमन साम्राज्य की मिस्र शाखा ने 19वीं शताब्दी में उत्तर पूर्वी अफ्रीका में सूडान का निर्माण किया. हालांकि, 20वीं सदी में कुछ समय तक अंग्रेजों और मिस्र ने कॉन्डोमिनियम के रूप में सूडान पर शासन किया.
फिर सेना का शासन धीरे-धीरे वहां बढ़ने लगा, और आलम ये था कि सेना ने वहां तीन बार सत्ता पर कब्जा किया. 1958, 1969, और 1989 में सेना ने सूडान पर कब्जा किया और लंबे समय तक सत्ता में बने रहे.
हालांकि, कई बार सूडान में सेना के खिलाफ बड़े स्तर पर विद्रोह भी हुए, जिसने सैन्य शासन को खतरे में डाला. देखते ही देखते सूडान की सेना के अंदर ही इस बात को लेकर कलह शुरू हो गया कि देश में किसका शासन होगा.
स्थिति भयावह हुई और एक दिन अतिरिक्त सुरक्षा बल और सैनिक आमने-सामने आ गए. उमर अल बशीर ने अतिरिक्त सुरक्षा बल बनाकर सेना के आगे खड़ा कर दिया. इसके पीछे की मंशा बिल्कुल साफ थी. बशीर अतिरिक्त सुरक्षा बल को सेना के आगे करके दोनों को कंट्रोल करना चाहते थे.
हालात ऐसे हुए कि 15 अप्रैल 2023 को सूडान में सूडानी सशस्त्र बलों (एसएएफ) और अर्धसैनिक रैपिड फोर्स के बीच झड़प शुरू हो गई. एसएएफ का नेतृत्व सेना प्रमुख और Government चला रहे जनरल अब्देल फतह अल-बुरहान और आरएसएफ का नेतृत्व जनरल मोहम्मद हमदान डागालो कर रहे थे. 15 अप्रैल 2023 को राष्ट्रीय राजधानी में धमाके और गोलीबारी की घटना सामने आई. इसके बाद से दोनों पक्ष आमने-सामने खड़े हैं, जिसकी वजह से सूडान में आम नागरिक हिंसा और भूखमरी के शिकार बन रहे हैं.
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केके/डीकेपी
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