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मध्य प्रदेश : नीमच में पीएमईजीपी से आत्मनिर्भर हो रहे ग्रामीण, पारंपरिक शिल्पों को मिला पुनर्जीवन

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Bhopal , 24 अगस्त . मध्य प्रदेश के नीमच में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के लाभार्थियों ने ग्रामीण उद्यमियों को सशक्त बनाने और कभी विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके पारंपरिक शिल्पों को पुनर्जीवित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना की है.

इस योजना ने न केवल ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाया है, बल्कि वैश्विक बाजारों के द्वार भी खोले हैं. ऐसा ही एक प्रेरक उदाहरण नीमच जिले के तारापुर, उम्मेदपुरा गांव निवासी किरण जरिया हैं, जिन्हें अपने उद्यम, गीता हैंडप्रिंट्स, का विस्तार करने के लिए पीएमईजीपी के तहत 14 लाख रुपए का ऋण मिला.

उन्होंने अपने परिवार की 400 साल पुरानी नंदना प्रिंट, दाबू और इंडिगो हैंड ब्लॉक प्रिंट की विरासत को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों में सफलतापूर्वक पहुंचाया है. आज, उनके हस्तनिर्मित कपड़े भारत और विदेशों में ऑनलाइन बेचे जा रहे हैं.

किरण ने से बात करते हुए प्रधानमंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया. उन्‍होंने कहा कि नंदना, दाबू और नील सहित हमारे हाथ से बने ब्लॉक प्रिंट के काम को अब विदेशों में पहचान मिल रही है. यह हमारी सदियों पुरानी विरासत है, जो लगभग लुप्त हो रही थी. लेकिन, केंद्र सरकार की योजना की बदौलत यह फिर से फल-फूल रही है. पीएमईजीपी ने हमें वित्तीय सहायता और विस्तार का आत्मविश्वास दिया है. हमारा व्यवसाय बढ़ा है, हमारा परिवार खुशहाल है और हमारे उत्पाद अब दुनिया भर में बिक रहे हैं. इसके लिए मैं प्रधानमंत्री का तहे दिल से शुक्रिया अदा करती हूं.

एक अन्य लाभार्थी वनबारी जरिया ने भी अपनी आजीविका में आए बदलाव का श्रेय पीएमईजीपी को दिया. उन्‍होंने कहा कि हमने 2019-20 में इस योजना के तहत सब्सिडी के साथ ऋण लिया था. तब से, हमारे काम में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. यह योजना हम जैसे छोटे उद्यमियों के लिए एक वरदान है. 100 प्रतिशत प्राकृतिक रंगों से बने हमारे हाथ से बने कपड़ों को कई विदेशी ऑर्डर मिल रहे हैं. इस काम की वजह से गांव के और लोगों को भी रोजगार मिल रहा है. हम इस दूरदर्शी कार्यक्रम के लिए केंद्र सरकार का आभार जताते हैं.

एएसएच/एबीएम

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