New Delhi, 7 नवंबर . भारतीय सेना की ‘थार रैप्टर ब्रिगेड’ रेगिस्तानी युद्धक्षेत्र की वास्तविक परिस्थितियों में उच्च तीव्रता वाले कंबाइंड आर्म्स ऑपरेशंस कर रही हैं. इसका आयोजन ऑपरेशंस एक्सरसाइज त्रिशूल के अंतर्गत किया जा रहा हैं. यह अभ्यास थार रैप्टर ब्रिगेड की एविशन इकाइयां, ‘सुदर्शन चक्र’ और ‘कोणार्क’ कोर के मैकेनाइज्ड फॉर्मेशन्स के साथ समन्वय में कर रही हैं. ये पूरा अभियान भारतीय सेना की दक्षिण कमान के तत्वावधान में चल रहा है.
भारतीय सेना के मुताबिक, ये युद्धक अभ्यास दक्षिण कमान के मरु अभ्यासों का हिस्सा हैं. दक्षिण कमान ने मरुस्थल में ‘मरुज्वाला’ और ‘अखंड प्रहार’ जैसे शक्तिशाली युद्धाभ्यास आयोजित किए हैं. यह अभ्यास त्रि-सेवा (आर्मी, नेवी, एयरफोर्स) फ्रेमवर्क ‘एक्सरसाइज त्रिशूल’ के अंतर्गत आयोजित किए जा रहे हैं.
इन अभियानों का उद्देश्य संयुक्त एविशन, मैकेनाइज्ड टैक्टिक्स, टेक्निक्स एंड प्रोसिजर्स को परिष्कृत और प्रमाणित करना है. इस कठिन अभ्यास से जवानों के बीच तालमेल, समन्वय और युद्ध तत्परता में वृद्धि हो सकेगी. अभ्यासों के दौरान निगरानी एवं टोही मिशन, स्पेशल हेलिबोर्न ऑपरेशन्स, त्वरित सैनिक तैनाती और नजदीकी हवाई समर्थन जैसी विविध एविशन कार्रवाइयों का प्रदर्शन किया गया. इन अभ्यासों ने तकनीकी सामंजस्य, संचालन दक्षता और संयुक्तता की भावना को सशक्त रूप से प्रदर्शित किया है.
सेना का कहना है कि इन कठोर एवं यथार्थपरक अभ्यासों के माध्यम से, दक्षिण कमान निरंतर भविष्य के युद्धक्षेत्र को आकार दे रही है. इसके जरिए यह दर्शाया गया है कि भारतीय सशस्त्र बल एकजुट, लचीले और तकनीकी रूप से उन्नत बल के रूप में किसी भी उभरती चुनौती का सामना करने के लिए पूर्णत सक्षम हैं.
गौरतलब है कि नौसेना, वायुसेना और थलसेना के वीर जवान ‘एक्सरसाइज त्रिशूल’ का संचालन कर रहे हैं. यह एक प्रमुख त्रि-सेवा अभियान है जो भारतीय थलसेना, नौसेना और वायुसेना के बीच संयुक्तता और इंटरऑपरेबिलिटी को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से किया जा रहा है. भारतीय नौसेना के नेतृत्व में थलसेना और भारतीय वायुसेना के साथ यह त्रि-सेवा संयुक्त सैन्य अभ्यास, अब तक के सबसे महत्वपूर्ण युद्धाभ्यासों में शामिल है.
इस व्यापक अभ्यास के दौरान तीनों सेनाएं विभिन्न भू-भागों जैसे कि मरुस्थल, तटीय क्षेत्रों और समुद्री क्षेत्रों में एकीकृत अभियानों का प्रदर्शन कर रही हैं. इससे तीनों सेनाओं की सिनर्जी और इंटीग्रेटेड ऑपरेशंस की वास्तविक क्षमता को परखा जाएगा.
दरअसल, अभ्यास ‘त्रिशूल’ भारतीय सशस्त्र सेनाओं की उस अटूट भावना का प्रतीक है जो देश की सीमाओं की रक्षा के लिए संयुक्त शक्ति और समन्वित प्रयासों पर आधारित है.
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जीसीबी/एसके
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