Patna, 25 अक्टूबर . बिहार की राजधानी Patna से सटी फुलवारी विधानसभा सीट कहने को यह विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, लेकिन यह सीट प्रदेश की राजनीति में किसी तूफानी समंदर से कम नहीं है.
Patna जिले की यह महत्वपूर्ण सीट पाटलिपुत्र Lok Sabha क्षेत्र का हिस्सा है और यहां के चुनावी नतीजे अक्सर यह तय करते हैं कि Patna की सियासत कौन सा करवट लेगी.
यह सीट 1977 में अस्तित्व में आई और तब से अब तक यहां 12 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. फुलवारी की Political यात्रा बेहद दिलचस्प रही है. शुरुआती दौर में कांग्रेस ने यहां तीन बार जीत का परचम लहराया, लेकिन जल्द ही राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने अपनी धाक जमाई और चार बार चुनाव जीता.
जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के खाते में भी दो बार जीत आई है. इस सीट के इतिहास को श्याम रजक के नाम के बिना पूरा नहीं किया जा सकता. रजक यहां से छह बार विधायक रह चुके हैं, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है.
उन्होंने जनता दल के टिकट पर एक बार, राजद के टिकट पर तीन बार और जदयू के टिकट पर दो बार जीत हासिल की. बिहार की राजनीति में कई बार पाला बदलने के बावजूद, उनकी पकड़ इस सीट पर हमेशा मजबूत रही है. वह अब पुनः राजद में लौट चुके हैंं.
मगर, 2020 के विधानसभा चुनाव ने इस सीट की कहानी में एक बड़ा ‘ट्विस्ट’ ला दिया था. यह सीट तब महागठबंधन के सहयोगी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (लिब्रेशन) यानी सीपीआई(एमएल) के खाते में चली गई.
सीपीआई (माले-लिबरेशन) के उम्मीदवार गोपाल रविदास ने जदयू के कद्दावर नेता अरुण मांझी को भारी अंतर से हराया था. गोपाल रविदास को 91,124 वोट मिले, जबकि अरुण मांझी को 77,267 वोटों पर संतोष करना पड़ा.
चूंकि यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, इसलिए दलित मतदाता यहां सबसे ज्यादा निर्णायक भूमिका निभाते हैं. 2020 के आंकड़ों के मुताबिक, फुलवारी में 23.45 प्रतिशत अनुसूचित जाति के वोटर्स थे, जिनमें पासवान और रविदास समुदाय प्रभावी हैं.
इसके अलावा, मुस्लिम मतदाता (14.9 प्रतिशत) और अन्य पिछड़ा वर्ग जैसे यादव और कुशवाहा-कोयरी भी चुनावी नतीजों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं. ग्रामीण इलाकों में, वाम दल (सीपीआई-माले) का कैडर वोट बेहद संगठित माना जाता है, जबकि यादव और मुस्लिम समुदाय का पारंपरिक झुकाव राजद की तरफ रहता है. यह जटिल समीकरण ही हर बार फुलवारी में कांटे की टक्कर सुनिश्चित करता है.
एक तरफ, छह बार के विधायक श्याम रजक हैं, जो राजद में वापसी कर चुके हैं और इस सीट पर अपना दावा मजबूत कर रहे हैं. दूसरी तरफ, गोपाल रविदास हैं, जिन्होंने 2020 में यह सीट जीतकर माले के लिए झंडा गाड़ा है.
फुलवारी विधानसभा क्षेत्र की बनावट ही इसे खास बनाती है. यह मुख्य रूप से दो बड़े हिस्सों (फुलवारी और पुनपुन) में बंटा हुआ है. Patna शहर से सटा होने के बावजूद, यह इलाका ग्रामीण और अर्ध-शहरी जीवन का एक खूबसूरत मिश्रण है.
एक तरफ है पुनपुन, जो पवित्र पुनपुन नदी के नाम से जाना जाता है और हिंदू धर्म में ‘श्राद्ध’ (पितृपक्ष) के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है. दूसरी तरफ, फुलवारी शरीफ है, जिसका सदियों पुराना इतिहास इस्लामी शिक्षा और सूफी परंपरा के केंद्र के रूप में रहा है. इन दोनों ब्लॉकों के बीच सदियों से चली आ रही एक अलग सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान दिखाई देती है.
यह पूरा क्षेत्र प्राचीन मगध साम्राज्य का हिस्सा रहा है. यह मौर्यों और गुप्तों के अधीन रहा, फिर दिल्ली सल्तनत और मुस्लिम शासकों के प्रभाव में आया.
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वीकेयू/जीकेटी
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