Repo Cut: वैश्विक निवेश बैंक गोल्डमैन सैक्स (Goldman Sachs) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि भारत में वर्ष 2025 के अंत से पहले एक और नीतिगत ब्याज दर में कटौती की संभावना है। रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में किए गए GST सरलीकरण और घरेलू नियामक ढील से संकेत मिलता है कि राजकोषीय सख्ती का चरम अब पीछे छूट चुका है। इन सभी कारकों के संयुक्त प्रभाव से देश में कर्ज की मांग में धीरे-धीरे सुधार देखने को मिल सकता है।
वर्ष के अंत तक हो सकती है दरों में और कटौती
गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हम उम्मीद करते हैं कि साल के अंत तक एक और नीतिगत दर में कटौती की जाएगी। हालिया GST सरलीकरण से यह भी संकेत मिला है कि राजकोषीय सख्ती का चरम अब पीछे रह गया है। इन सबके साथ घरेलू नियामक ढील से धीरे-धीरे कर्ज मांग में सुधार देखने को मिलेगा।’ रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के हालिया कदमों से क्रेडिट सप्लाई की स्थिति में सुधार आना चाहिए, लेकिन वास्तविक उधारी की गति इस बात पर निर्भर करेगी कि व्यापक अर्थव्यवस्था में मांग की स्थिति कैसी रहती है।
RBI ने दरों में कोई बदलाव नहीं किया
बता दें कि आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने अपनी पिछली बैठक में नीतिगत रेपो दर को 5.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा था। समिति का यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया। हालांकि, RBI गवर्नर के मौद्रिक नीति बयान में संकेत दिया गया कि आने वाले महीनों में 25 आधार अंकों की और कटौती की संभावना बनी हुई है। बयान में कहा गया कि वर्तमान मैक्रोइकोनॉमिक स्थिति और आउटलुक विकास को समर्थन देने के लिए नीतिगत ढील की गुंजाइश प्रदान करते हैं।
बाहरी कारकों से अभी भी दबाव
रिपोर्ट में यह भी बताया किया गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था पर बाहरी दबाव अब भी मौजूद हैं। गोल्डमैन सैक्स ने कहा, ‘अमेरिका में H-1B वीज़ा पर कड़ी शर्तें और बढ़ी हुई लागत भारतीय आईटी सेवाओं को प्रभावित कर रही हैं। इसके साथ ही अमेरिकी सरकार द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत तक के टैरिफ भी लगाए गए हैं। ये दोनों कारक व्यापक आर्थिक अनिश्चितता के बीच भारत में क्रेडिट मांग को कुछ हद तक धीमा कर सकते हैं।’ रिपोर्ट में कहा गया कि अच्छे मानसून और GST दरों के तर्कसंगतीकरण के चलते भारतीय रिज़र्व बैंक ने वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) के लिए आर्थिक विकास दर के अनुमान को ऊपर की ओर संशोधित किया है। यह संशोधन इस उम्मीद पर आधारित है कि कृषि उत्पादन में सुधार, खपत में वृद्धि, और नीतिगत प्रोत्साहन से आने वाले महीनों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
नीति दर कटौती का असर
यदि साल के अंत तक RBI द्वारा अपेक्षित 25 बेसिस पॉइंट की अतिरिक्त दर कटौती की जाती है, तो इससे बैंकों को सस्ता फंड मिलेगा, उद्योगों और उपभोक्ताओं के लिए ऋण की ब्याज दरों में कमी आ सकती है और अंततः कर्ज की मांग को मजबूती मिलेगी।
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