दुनिया भर में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की ओर बढ़ते रुझान ने सिर्फ वाहनों के चलने के तरीके ही नहीं, बल्कि उनके डिजाइन, मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई सिस्टम को भी पूरी तरह बदल दिया है. जब पूरी दुनिया सस्टेनेबिलिटी और संसाधनों के बेहतर उपयोग पर ध्यान दे रही है, तब भारत भी इस ग्लोबल EV सिस्टम का एक अहम हिस्सा बनता जा रहा है. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, देश की इनोवेटिक मैन्युफैक्चरिंग भारत को एक आत्मनिर्भर और मजबूत सप्लाई चेन की दिशा में आगे बढ़ा रहा है.
भारत का बढ़ता EV सफरभारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की अपनाने की रफ्तार लगातार बढ़ रही है. हालांकि, इस क्षेत्र में समय समय के लिए मजबूती इस बात पर निर्भर करेगी कि देश EV सप्लाई चेन की चुनौतियों को कैसे हल करता है. खासतौर पर ऐसे कच्चे माल में, जो इलेक्ट्रिक मोटर्स और बैटरियों में लगते हैं.
इनोवेशन और रिसर्चभारत अब ऐसे विकल्पों और तकनीकों पर काम कर रहा है जो रेयर अर्थ पर निर्भरता कम करें. इन मटेरियल्स की जगह नए और टिकाऊ मोटर डिजाइन विकसित किए जा रहे हैं. ऐसी ही एक नई तकनीक है फेराइट मैगनेट टेक्नोलॉजी है, जो रेयर अर्थ मेटल्स के बिना मोटर्स को पावर दे सकती है. यह तकनीक मजबूत, सस्ती और टिकाऊ है, और अब तेजी से लोकप्रिय हो रही है. हाल ही में ओला इलेक्ट्रिक इस तरह मोटर बनाने वाली पहली कंपनी बनी है, जिसे सरकार से मान्यता मिली है.
आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदमफेराइट आधारित मोटर्स में बढ़ती दिलचस्पी दिखाती है कि भारत अब बाहरी संसाधनों पर निर्भरता घटाकर, एक ज्यादा टिकाऊ और स्थानीय EV इकोसिस्टम की ओर बढ़ रहा है. यह तकनीकें न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं, बल्कि देश की मैन्युफैक्चरिंग क्षमता को भी मजबूत बना रही हैं. क्योंकि इनमें इस्तेमाल होने वाला बहुत-सा मटेरियल देश में ही तैयार किया जा सकता है.
स्थानीय उत्पादन और तकनीकी आत्मनिर्भरता
भारत का EV उद्योग अब उन नीतियों से भी बदल रहा है जो लोकल प्रोडक्शन और स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा देती हैं. इंसेंटिव योजनाओं की मदद से देश में अब EV के अहम पुर्जों का स्थानीय उत्पादन तेजी से बढ़ा है, खासकर बैटरी टेक्नोलॉजी पर जोर दिया जा रहा है. एडवांस्ड लिथियम-आयन सेल मैन्युफैक्चरिंग का विकास इस दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है. इससे आयात पर निर्भरता घटेगी और देश के अंदर पूरी वैल्यू चेन मजबूत होगी.
नवाचार से निर्यात तकभारत की रणनीति अब कंपोनेंट इनोवेशन, सेल मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई चेन लोकलाइजेशन इन तीनों को जोड़कर एक ऐसा आधार तैयार कर रही है जिससे देश सिर्फ EV का बड़ा बाजार नहीं, बल्कि एक वैश्विक उत्पादन और निर्यात केंद्र बन सके. इसका लक्ष्य साफ है. स्थानीय क्षमता बढ़ाओ, भारत में इनोवेट करो, और स्वच्छ परिवहन की वैश्विक दिशा के साथ आगे बढ़ो. इसमें सरकार और निजी कंपनियों के बीच साझेदारी भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. खासकर इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास और R&D (रिसर्च एंड डेवलपमेंट) निवेश के क्षेत्र में.
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