घरेलू उद्योग बचाने के लिए की गई सिफारिशइसका मकसद डोमेस्टिक कंपनियों को सस्ते इंपोर्ट की वजह से होने वाले नुकसान से बचाना है। DGTR ने अपनी फाइनल रिपोर्ट में कहा ‘सोलर सेल्स, चाहे मॉड्यूल में असेंबल किए गए हों या पैनल में बनाए गए हों’, भारत में सामान्य मूल्य से कम कीमत पर निर्यात किए जा रहे हैं, जिससे डंपिंग हो रही है।
तीन साल के लिए एंटी-डंपिंग ड्यूटी की सिफारिश
DGTR ने कहा है कि सोलर सेल्स पर तीन साल के लिए एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाई जानी चाहिए, जो उस सामान के CIF (कॉस्ट, इंश्योरेंस, फ्रेट) मूल्य के प्रतिशत के रूप में लगेगी।
कुछ चाइनीज कंपनियों पर एंटी-डंपिंग शुल्क CIF मूल्य का 23% और वहीं अन्य चाइनीज कंपनियों के लिए एंटी-डंपिंग शुल्क 30% लगाने की सिफारिश की गई है।
अंतिम फैसला मिनिस्ट्री ऑफ फाइनेंस काहालांकि DGTR एंटी-डंपिंग शुल्क या ड्यूटी की सिर्फ सिफारिश कर सकता है। इस मामले पर अंतिम निर्णय वित्त मंत्रालय द्वारा किया जाता है।
सोलर एनर्जी को बिजली में बदलने की प्रक्रिया को फोटोवोल्टाइक (PV) कहा जाता है। इसमें कई मुख्य घटक मिलकर सूरज की एनर्जी को कैप्चर करते हैं। इसके केंद्र में सोलर सेल्स होते हैं, जो सिलिकॉन से बने होते हैं। ये सेल्स एक साथ जुड़े होते हैं और सोलर पैनल या मॉड्यूल पर लगाए जाते हैं, जो सूर्य की रोशनी को सीधे करंट (DC) बिजली में बदलते हैं।
अमेरिका और तुर्की से इंपोर्ट पर भी एंटी-डंपिंग ड्यूटी की सिफारिशDGTR ने चिली और चीन से आयात होने वाले “वर्जिन मल्टी-लेयर पेपरबोर्ड्स” पर भी ड्यूटी लगाने की सिफारिश की है। सुझाई गई ड्यूटी 152.27 US डॉलर प्रति टन से 221.36 US डॉलर प्रति टन के बीच है। ड्यूटी की अवधि 5 साल के लिए है।
इसके अलावा, DGTR ने तुर्की, रूस, अमेरिका और ईरान से आयात होने वाले सोडा ऐश पर भी पांच साल के लिए एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाने की सिफारिश की है।
वियतनाम से आयात होने वाले “कैल्शियम कार्बोनेट फिलर मास्टरबैच” पर भी ड्यूटी लगाने की सिफारिश की गई है। इसके लिए ड्यूटी USD 31.58 प्रति टन से USD 75 प्रति टन के बीच सुझाई गई है।
क्यों लगाई जाती है एंटी-डंपिंग ड्यूटीएंटी-डंपिंग इन्वेस्टिगेशन यह निर्धारित करने के लिए की जाती है कि डोमेस्टिक इंडस्ट्री को सस्ते इंपोर्ट से नुकसान तो नहीं हुआ। इसके खिलाफ देशों द्वारा इंपोर्ट पर ड्यूटी लगाई जाती है, जो कि जिनेवा स्थित विश्व व्यापार संगठन (WTO) के बहुपक्षीय नियमों के तहत होती है।
इस ड्यूटी का उद्देश्य डोमेस्टिक इंडस्ट्री के लिए निष्पक्ष व्यापार सुनिश्चित करना और विदेशी इंडस्ट्री के साथ बराबरी का मैदान तैयार करना है। भारत पहले भी विभिन्न उत्पादों पर, खासकर चीन से सस्ते आयात को रोकने के लिए, एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगा चुका है।
तीन साल के लिए एंटी-डंपिंग ड्यूटी की सिफारिश
DGTR ने कहा है कि सोलर सेल्स पर तीन साल के लिए एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाई जानी चाहिए, जो उस सामान के CIF (कॉस्ट, इंश्योरेंस, फ्रेट) मूल्य के प्रतिशत के रूप में लगेगी।
कुछ चाइनीज कंपनियों पर एंटी-डंपिंग शुल्क CIF मूल्य का 23% और वहीं अन्य चाइनीज कंपनियों के लिए एंटी-डंपिंग शुल्क 30% लगाने की सिफारिश की गई है।
अंतिम फैसला मिनिस्ट्री ऑफ फाइनेंस काहालांकि DGTR एंटी-डंपिंग शुल्क या ड्यूटी की सिर्फ सिफारिश कर सकता है। इस मामले पर अंतिम निर्णय वित्त मंत्रालय द्वारा किया जाता है।
सोलर एनर्जी को बिजली में बदलने की प्रक्रिया को फोटोवोल्टाइक (PV) कहा जाता है। इसमें कई मुख्य घटक मिलकर सूरज की एनर्जी को कैप्चर करते हैं। इसके केंद्र में सोलर सेल्स होते हैं, जो सिलिकॉन से बने होते हैं। ये सेल्स एक साथ जुड़े होते हैं और सोलर पैनल या मॉड्यूल पर लगाए जाते हैं, जो सूर्य की रोशनी को सीधे करंट (DC) बिजली में बदलते हैं।
अमेरिका और तुर्की से इंपोर्ट पर भी एंटी-डंपिंग ड्यूटी की सिफारिशDGTR ने चिली और चीन से आयात होने वाले “वर्जिन मल्टी-लेयर पेपरबोर्ड्स” पर भी ड्यूटी लगाने की सिफारिश की है। सुझाई गई ड्यूटी 152.27 US डॉलर प्रति टन से 221.36 US डॉलर प्रति टन के बीच है। ड्यूटी की अवधि 5 साल के लिए है।
इसके अलावा, DGTR ने तुर्की, रूस, अमेरिका और ईरान से आयात होने वाले सोडा ऐश पर भी पांच साल के लिए एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाने की सिफारिश की है।
वियतनाम से आयात होने वाले “कैल्शियम कार्बोनेट फिलर मास्टरबैच” पर भी ड्यूटी लगाने की सिफारिश की गई है। इसके लिए ड्यूटी USD 31.58 प्रति टन से USD 75 प्रति टन के बीच सुझाई गई है।
क्यों लगाई जाती है एंटी-डंपिंग ड्यूटीएंटी-डंपिंग इन्वेस्टिगेशन यह निर्धारित करने के लिए की जाती है कि डोमेस्टिक इंडस्ट्री को सस्ते इंपोर्ट से नुकसान तो नहीं हुआ। इसके खिलाफ देशों द्वारा इंपोर्ट पर ड्यूटी लगाई जाती है, जो कि जिनेवा स्थित विश्व व्यापार संगठन (WTO) के बहुपक्षीय नियमों के तहत होती है।
इस ड्यूटी का उद्देश्य डोमेस्टिक इंडस्ट्री के लिए निष्पक्ष व्यापार सुनिश्चित करना और विदेशी इंडस्ट्री के साथ बराबरी का मैदान तैयार करना है। भारत पहले भी विभिन्न उत्पादों पर, खासकर चीन से सस्ते आयात को रोकने के लिए, एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगा चुका है।
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