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अमोल मजूमदार: देश के लिए तो नहीं खेल पाए पर कोच बन भारतीय टीम को बनाया वर्ल्ड चैंपियन

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Getty Images महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप के साथ अमोल मजूमदार

जब सचिन और विनोद कांबली ने मुंबई के शारदाश्रम विद्या मंदिर स्कूल के लिए खेलते हुए 664 रनों की साझेदारी कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था, तब एक बल्लेबाज़ पूरे दिन पैरों में पैड बांधकर अपनी बारी का इंतजार कर रहा था.

स्कूल में सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली के साथ पढ़ रहे इस छात्र का नाम था अमोल मजूमदार.

उस मैच में उन्हें एक भी गेंद खेलने का मौक़ा नहीं मिला.

इस घटना ने उनके क्रिकेट करियर को नए तरीके से परिभाषित किया और वो एक बेहतरीन बल्लेबाज़ के तौर पर पहचाने जाने लगे.

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अमोल मजूमदार ने फ़र्स्ट क्लास क्रिकेट में 30 शतकों के साथ 11 हज़ार से ज़्यादा रन बनाए. किसी ज़माने में उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम का अगला सचिन तेंदुलकर कहा जाता था लेकिन उन्हें कभी टीम इंडिया में जगह नहीं मिली.

image Getty Images सचिन और कांबली की तरह अमोल मजूमदार भी शारदाश्रम स्कूल के छात्र थे (फ़ाइल फ़ोटो)

उस वक़्त भारतीय टीम में सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण और सौरव गांगुली जैसे बल्लेबाज़ मध्य क्रम की रीढ़ बने हुए थे.

टीम इंडिया के विश्व कप जीतने के बाद भारतीय कप्तान हरमनप्रीत कौर कोच अमोल मजूमदार की ओर दौड़ीं, उनके पैरों में झुकीं, उन्हें गले लगाया और फूट-फूटकर रोने लगीं.

वो भी इस जीत पर खुलकर मुस्कुराए और हरमन को बधाई दी. मैच के बाद उन्होंने जोश भरे शब्दों में कहा कि उन्हें महिला टीम के विश्व कप जीतने पर बहुत गर्व है.

टीम इंडिया का कप जीतना उनके लिए शायद फ़िल्म 'चक दे इंडिया' के 'कबीर ख़ान' वाले पल जैसा था.

अपने 21 साल के करियर में वो कभी भारत की नेशनल टीम के लिए नहीं खेल पाए और क़रीब 12 साल पहले उन्होंने क्रिकेट से संन्यास ले लिया. लेकिन अब एक कोच के रूप में उन्होंने महिला टीम को विश्व चैंपियन बना दिया है.

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मुंबई से की शानदार शुरुआत image Getty Images दक्षिण अफ़्रीका पर जीत के बाद अमोल मजूमदार और हरमनप्रीत कौर

अमोल मजूमदार ने 19 साल की उम्र में 1993-94 के सीज़न में मुंबई के लिए खेलते हुए अपने फ़र्स्ट क्लास क्रिकेट की शुरुआत की थी. फ़रीदाबाद में हरियाणा के ख़िलाफ़ क्वार्टर फ़ाइनल उनका पहला रणजी मैच था.

इस मैच में उन्होंने एक पारी में रिकॉर्ड 260 रन बनाकर अपने डेब्यू मैच में ही सबको प्रभावित किया.

इस प्रदर्शन के कारण उन्हें 'बॉम्बे स्कूल ऑफ बैट्समैनशिप' से निकली एक और 'बड़ी उपलब्धि' के रूप में प्रशंसा मिली.

हालांकि खेल पत्रिका 'स्पोर्ट्सस्टार' के साथ एक इंटरव्यू में अमोल मजूमदार ने कहा था कि उन्हें यह मौक़ा तब मिला जब सचिन तेंदुलकर, संजय मांजरेकर, सलिल अंकोला और विनोद कांबली जैसे खिलाड़ी टीम इंडिया के लिए खेलने न्यूजीलैंड गए थे.

मजूमदार ने कहा था कि उन्हें रणजी में खेलने का ये अवसर मुंबई के कप्तान रवि शास्त्री ने दिया था.

मजूमदार साल 1994 में भारतीय अंडर-19 टीम के उप-कप्तान भी थे. वे सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ के साथ इंडिया-ए के लिए खेले थे.

घरेलू क्रिकेट में लगातार रन बनाने के बावजूद उन्हें नेशनल टीम में मौक़ा नहीं मिला.

घरेलू क्रिकेट का शानदार सफर image Getty Images अमोल मजूमदार साल 2007 में, जब वो मुंबई की रणजी टीम के कप्तान थे

अमोल मजूमदार ने घरेलू क्रिकेट में ढेरों रन बनाए हैं. असल में वो इस तरह के क्रिकेट में सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ों में से एक हैं.

मजूमदार ने अपने करियर में 171 फ़र्स्ट क्लास मैच खेले.

उन्होंने 48.13 की औसत से 11,167 रन बनाए, जिसमें 30 शतक और 60 अर्धशतक शामिल हैं.

मुंबई ने उनकी मौजूदगी के दौरान आठ बार रणजी ट्रॉफी का ख़िताब जीता.

रणजी ट्रॉफी के साल 2006-07 सीज़न में उन्हें मुंबई टीम का कप्तान बनाया गया था. उस समय मुंबई की टीम ने टूर्नामेंट की शुरुआत बहुत ख़राब की थी.

उस प्रदर्शन को देखकर किसी ने नहीं सोचा था कि टीम जीतेगी. लेकिन कप्तान के तौर पर उन्होंने आगे बढ़कर टीम का नेतृत्व किया और रणजी ट्रॉफी का ख़िताब दिलाया.

मुंबई टीम के साथ 17 साल के करियर के बाद, वो साल 2009 में असम के लिए खेलने लगे. बाद में वो आंध्र प्रदेश टीम के साथ जुड़ गए. उन्होंने साल 2014 में प्रथम श्रेणी क्रिकेट से संन्यास ले लिया.

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कोच के रूप में एक नया अवतार image

घरेलू क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद उन्होंने कोचिंग के साथ अपनी दूसरी पारी शुरू की.

उन्होंने राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी में टीमों को कोचिंग दी और मुंबई टीम के कोच के रूप में काम किया.

अमोल आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स टीम की कोचिंग टीम में भी रहे हैं.

अक्तूबर 2023 में अमोल मजूमदार महिला क्रिकेट टीम के मुख्य कोच बने.

image Getty Images साल 2024 में एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान अमोल मजूमदार और हरमनप्रीत कौर

इस वर्ल्ड कप में अच्छी शुरुआत करने के बाद एक समय टीम इंडिया लगातार तीसरा मैच हार गई थी, जिससे उसके सेमीफ़ाइनल में पहुंचने की संभावनाएँ कम हो गई थीं.

इंदौर में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ मैच में भारत 4 रन से हार गया. इस हार के बाद भारतीय ड्रेसिंग रूम में एक घटना घटी. भारत ने जब ऑस्ट्रेलिया को सेमीफ़ाइनल मैच में हराया तब जियो हॉटस्टार के साथ एक इंटरव्यू में इस बात की जानकारी मिली.

इसमें जब कप्तान हरमनप्रीत से पूछा गया कि आख़िर ऐसा क्या हुआ कि भारत की टीम लगातार तीन हार के बाद वापसी कर पाई?

हरमनप्रीत ने अपनी बगल में खड़े कोच अमोल की ओर इशारा किया और कहा, "इंग्लैंड से हारने के बाद मैंने ड्रेसिंग रूम में कुछ नहीं कहा. सारी बातें उन्होंने ही कीं. उन्होंने चिल्लाते हुए कहा कि 'तुम्हें यह मैच जीतना चाहिए था.'

अमोल, जो उनके बगल में खड़े थे, उन्होंने फ़ौरन कहा, "हाँ, मैंने ड्रेसिंग रूम में कुछ बातें की थीं. लेकिन मैंने ये सब टीम की भलाई के लिए कहा था."

फिर हरमन ने मुस्कुराते हुए कहा, "उस दिन सर ने थोड़े गुस्से में कहा. लेकिन सभी ने उन बातों को सकारात्मक रूप से लिया. क्योंकि वह सिर्फ टीम की भलाई की बात करते हैं. हमें उन पर पूरा भरोसा है. वो ईमानदारी से बात करते हैं."

"हम जानते हैं कि सर हमसे क्या उम्मीद करते हैं. देश हमसे ऐसे प्रदर्शन की उम्मीद नहीं करता. सभी खिलाड़ियों ने उस प्रतिक्रिया को सकारात्मक रूप से लिया. आप इसे हमारे प्रदर्शन से समझ सकते हैं."

कप्तान हरमनप्रीत ने रविवार को हुए फ़ाइनल मैच के बाद मीडिया से कहा, "सर के कोच बनने के बाद चीजें पूरी तरह बदल गई हैं. इससे पहले कोच आते-जाते रहते थे. एक स्थिर कोच का आना हमारे लिए काफ़ी मददगार रहा है."

यानी कम शब्दों में कहें तो अमोल मजूमदार, जिन्होंने कभी टीम इंडिया की जर्सी नहीं पहनी, उन्हें अब एक कोच के तौर पर प्रशंसा मिल रही है.

उनकी टीम वर्ल्ड चैंपियन बन गई है.

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