राजस्थान हाईकोर्ट, जोधपुर ने एक महत्वपूर्ण फैसले में मृतक डिस्ट्रिक्ट जज (जिला न्यायाधीश) बी.डी. सारस्वत की बर्खास्तगी को रद्द कर दिया है। अदालत ने आदेश दिया है कि बर्खास्तगी से लेकर उनकी सेवानिवृत्ति तिथि तक की पूरी वेतन राशि और अन्य सेवा लाभ उनके परिवार को प्रदान किए जाएं।
यह फैसला न्यायमूर्ति पुष्पेंद्र सिंह भाटी की एकलपीठ ने सुनाया। कोर्ट ने कहा कि विभागीय कार्रवाई में उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया और बी.डी. सारस्वत को न्यायसंगत अवसर नहीं दिया गया, जिसके चलते उनकी बर्खास्तगी का आदेश कानूनी रूप से टिकाऊ नहीं है।
क्या है मामलामामले के अनुसार, बी.डी. सारस्वत राजस्थान न्यायिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी थे और उन्होंने विभिन्न जिलों में जिला एवं सत्र न्यायाधीश के रूप में कार्य किया था। सेवा के अंतिम वर्षों में उनके खिलाफ कुछ प्रशासनिक आरोप लगाए गए थे, जिनकी जांच के बाद सरकार ने उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया था।
बर्खास्तगी के कुछ समय बाद ही सारस्वत का निधन हो गया। इसके बाद उनके परिवार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि बर्खास्तगी अनुचित, अन्यायपूर्ण और नियमों के विपरीत थी। परिवार ने मांग की कि चूंकि मृतक अधिकारी को अपनी बात कहने का पूरा अवसर नहीं मिला, इसलिए यह आदेश निरस्त किया जाए और उन्हें मृतक की सेवा अवधि के अनुसार सभी वित्तीय लाभ दिए जाएं।
हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणीसुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि किसी भी सरकारी अधिकारी को दंडित करने से पहले उसे पूरी तरह से अपनी सफाई देने का अवसर देना संविधान के अनुच्छेद 311(2) के तहत उसका मौलिक अधिकार है।
कोर्ट ने पाया कि विभागीय जांच प्रक्रिया में आवश्यक प्रोटोकॉल और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन नहीं किया गया था।
न्यायमूर्ति भाटी ने अपने निर्णय में कहा —
परिवार को मिलेगा आर्थिक लाभ“बिना उचित सुनवाई और साक्ष्य के आधार पर दिया गया दंड आदेश न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता। जब तक किसी अधिकारी की दोष सिद्धि प्रमाणिक रूप से साबित न हो, तब तक ऐसी बर्खास्तगी न्यायिक समीक्षा में नहीं टिक सकती।”
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि बर्खास्तगी की तिथि से लेकर उनकी सेवानिवृत्ति की वास्तविक तारीख तक की पूरी वेतन राशि, पेंशन, ग्रेच्युटी और अन्य सेवा लाभ उनके कानूनी वारिसों को दिए जाएं।
अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि यह भुगतान तीन महीने के भीतर पूरा किया जाए।
इस फैसले को न्यायिक हलकों में एक महत्वपूर्ण नजीर के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय भविष्य में सरकारी सेवाओं में विभागीय जांचों के दौरान नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के पालन की आवश्यकता को और मजबूत करेगा।
परिवार की प्रतिक्रियापरिवार ने हाईकोर्ट के इस निर्णय पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि यह फैसला बी.डी. सारस्वत की ईमानदार सेवा का सम्मान है। उन्होंने कहा कि वर्षों तक अपमान और अन्याय झेलने के बाद यह निर्णय उन्हें न्याय दिलाता है।
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